शहीद वीर नारायण सिंह का बलिदान हम सबक़े लिए प्रेरणादायक -मुख्यमंत्री साय – भारत संपर्क न्यूज़ …
सोनाखान में खुलेगा पोस्ट मेट्रिक छात्रावास, 23 पर्यटन एवं ऐतिहासिक स्थलों में लगेंगे सोलर हाई मास्ट लाईट
शहादत दिवस एवं सोनाखान मड़ई मेला के लिए 15 लाख रूपये देने की घोषणा
हम होंगे कामयाब क़े तहत 13 युवाओं को सम्मान पत्र, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 10 हितग्राहियों को सौपा चाबी
पीएम जनमन आदर्श पंचायत के तहत 2 गांव क़े पंचायत प्रतिनिधियों का हुआ सम्मान
मुख्यमंत्री ने शहीद वीर नारायण सिंह शहादत दिवस पर उन्हें दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय 10 दिसम्बर मंगलवार को छत्तीसगढ़ क़े प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह क़े शहादत दिवस पर उनकी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि सोनाखान में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री साय सोनाखान स्थित शहीद स्मारक में शहीद वीर नारायण सिंह क़ी प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय का भी अवलोकन किया। उन्होंने श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शहीद वीर नारायण सिंह के वंशजो को सम्मानित किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सोनाखान में पोस्ट मेट्रिक छात्रावास खोलने,सोनाखान मड़ई मेला क़े लिए 15 लाख देने,23 पर्यटन एवं ऐतिहासिक स्थलों में हाई मास्ट लाईट लगाने,सोनाखान क़े 3 तालाबों का अमृत सरोवार में उन्नयन तथा शहीद वीर नारायण क़े वंशज जो पेंशन क़े लिए वंचित हैं उन सभी सदस्यों को भी पेंशन देने क़ी घोषणा क़ी। इसके साथ ही 10 हितग्राहियों को पीएम आवास ग्रामीण की चॉबी सौंपा। हितग्राहियो को आयुष्मान कार्ड का वितरण,पीएम जनमन आदर्श पंचायत बल्दाकछार एवं औवराई का सम्मान, आदिवासी समाज के युवा प्रतिभावान छात्रों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री साय ने कहा की शहीद वीर नारायण सिंह क़े जन्म एवं कर्मभूमि में मुख्यमंत्री क़े तौर पर पहली बार आया हूं। यह पवित्र भूमि गरीबों क़े लिए बलिदान का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह गरीबों की प्राण रक्षा एवं आत्मसम्मान क़े लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिए जो हम सब क़े लिए प्रेरणादायक है। जिस समय सोनाखान क्षेत्र में आकाल पड़ा तो भूख से तड़पते लोगों क़ी दशा देखकर द्रवित हो गए और गोदाम से अनाज निकाल कर बाँट दिए। उन्होंने अंग्रेजो क़े विरुद्ध क्रांति का बिगुल फूंका दिए। अंग्रेजी सरकार ने 10 दिसम्बर 1857 को रायपुर क़े जय स्तम्भ चौक में फांसी दे दी गई।