MP: गाय के पोषण पर 40 रुपए और बच्चों के लिए महज 8, ऐसे कैसे कुपोषणमुक्त होग… – भारत संपर्क

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MP: गाय के पोषण पर 40 रुपए और बच्चों के लिए महज 8, ऐसे कैसे कुपोषणमुक्त होग… – भारत संपर्क

सांकेतिक तस्वीर
मध्य प्रदेश सरकार कुपोषणमुक्त भारत अभियान के प्रति संवेदनशीलता का अंदाजा इतने भर से लगाया जा सकता है कि यहां बच्चों के पोषण के लिए 8 रुपये खर्च हो रहे हैं. इसमें भी साल के आखिर में पैसा बच जा रहा है. जबकि राज्य में गायों के पोषण पर 40 रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है. बड़ी बात यह है कि बीजेपी के विधायकों को यह 8 रुपये की राशि भी ज्यादा लग रही है. जबलपुर से बीजेपी के विधायक अजय बिश्नोई कहना है कि बच्चों के पोषण के लिए दी जाने वाली यह राशि पर्याप्त है.
उन्होंने कहा कि यदि किसी को डोसा-पिज्जा खाना हो तो यह अलग बात है. अन्यथा इस राशि से बच्चों का बेहतर पोषण हो सकता है. यह राशि कुपोषित बच्चों की माताओं को मिल रही है और वह इसका लाभ भी उठा रही हैं. दरअसल यह मामला बीजेपी की ही एक विधायक कंचन तनवे ने विधानसभा में उठाया है. उन्होंने बताया कि आंगबाड़ी के जरिए दिए जाने वाले पोषाहार की यह रकम बहुत कम है और इसे बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर विभाग की मंत्री और अधिकारियों से भी बात करेंगी.
गायों के पोषण पर खर्च हो रहे हैं 40 रुपये
यह मुद्दा इसलिए भी गंभीर कि मध्य प्रदेश में गायों के पोषण के लिए प्रति गाय 40 रुपये खर्च किए जा रहे हैं. यह रकम राज्य सरकार की ओर से गोशाला प्रबंधकों को दिया भी जा रहा है. वहीं इंसानों के पोषण की बात आती है तो राज्य सरकार ने कुपोषित बच्चों के लिए 8 रुपये और अति कुपोषित बच्चों के लिए 12 रूपये का प्रावधान किया है. टीवी 9 भारतवर्ष ने इस संबंध में राज्य की महिला और बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया से सवाल किया. हालांकि वह सवाल सुनते ही कैमरे के सामने आने से बचने का प्रयास करने लगीं.
देश में चल रहा है कुपोषणमुक्त भारत अभियान
उन्होंने कहा कि अभी वह बिजी है और इस संबंध में बाद में बात करेंगी. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. कांग्रेस पार्टी की ओर से कहा गया है कि बीजेपी और मध्य प्रदेश सरकार को इवेंट्स में होने वाले बेवजह के खर्चे को बंद कर बच्चों के पोषण में खर्च करना चाहिए. उल्लेखनीय है कि देश की सभी राज्य सरकारें कुपोषण से निपटने के लिए लंबे समय से काम कर रही हैं. बावजूद इसके स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा. आलम यह है कि साल 2020 से 2023 के बीच मध्य प्रदेश में 8 लाख 52 हज़ार बच्चे कुपोषित पाए गए.

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