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तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा के कार्यकाल में हुआ बड़ा घोटाला, डीएमएफ और सीएसआर से 100 करोड़ रुपए से अधिक के कार्यों की नस्ती गायब, प्रशासन में बैठे जिम्मेदार अधिकारी नहीं करा रहे हैं एफआईआर
कोरबा। तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा वर्तमान संचालक समग्र शिक्षा के कार्यकाल में वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं 2023 -24 में डीएमएफ और सीएसआर से स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी/हिंदी माध्यम के विद्यालयों तथा शासकीय स्कूलों के लिए तकरीबन 100 करोड़ से अधिक के सामाग्री खरीदी एवं निर्माण कार्य कराए गए। इससे जुड़ी फाइल/नस्ती गायब होने के मामले में वर्तमान अधिकारी द्वारा अब तक एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है। एसईसीएल गेवरा क्षेत्र ने सीएसआर की कोई राशि दी नहीं थी या कोई आदेश नहीं था तो फिर जानबूझकर स्कूल व सामग्री खरीदी कैसे कर दी गई। सीधा भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा ने बिना कोई राशि के इस 17 स्कूल में खरीदी भी कर डाला है। वही तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा ने 14 फरवरी 2023 को 42 स्वामी आत्मानंद स्कूल के लिए प्रशासकीय स्वीकृति दी थी। जिसमें से 17 स्कूल से जुड़े आदेश जारी करते हुए 3 दिसंबर 2024 को कलेक्टर अजीत वसंत ने निरस्त किए हैं। मगर कार्रवाई के नाम पर शासन प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया है। गत वित्तीय वर्ष में सम्बंधित कार्यालय से डीएमएफ और सीएसआर के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं 2023 -24 में स्वीकृत कार्यों के सूची, प्रशासकीय स्वीकृति आदेश, देयक व्हाउचर, कोटेशन, निविदा प्रक्रिया, क्रय प्रक्रिया भौतिक सत्यापन प्रपत्र आदि की फाइल गायब है। जबकि कायदे से ऐसे प्रकरणों में सम्बंधितों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराए जाने का प्रावधान है। लेकिन भ्रष्ट अफसरों को बचाने प्रकरण में एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई जा सकी हैं। वहीं दूसरी तरफ कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग में संविधान के अनुच्छेद 275 (1 ) मद के 3 करोड़ के कार्यों की भुगतान से सबंधित नस्ती कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने पर पूर्व सहायक आयुक्त के विरुद्ध शासन ने जांच कमेटी बैठा दी है। डीएमएफ से स्वीकृत कार्यों , टेंडर में हुए अनियमितता के मामले में पूर्व सहायक आयुक्त हिरासत में हैं। वहीं समग्र शिक्षा में किसी को आंच तक नहीं आई। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो 2022-23 ,2023 -24 इन दोनों वित्तीय वर्षों में डीएमएफ एवं सीएसआर से सेजेस,स्कूलों के लिए तकरीबन 100 करोड़ रुपए से अधिक के फर्नीचर,बर्तन,भवन ,कम्प्यूटर लैब समेत विभिन्न कार्य कराए गए हैं ,सामाग्रियों की खरीदी की गई है। लेकिन तत्कालीन कलेक्टर संजीव झा के कार्यकाल में यह सारी अनियमितता हुई है सत्ता परिवर्तन के बाद उन्हें उसी विभाग का संचालक समग्र शिक्षा के महत्त्वपूर्ण पद पर बिठा दिया गया है। जिससे सत्ता पक्ष की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो उच्च अधिकारी के दबाव पर फाइल गुम हो जाने का बहाना बनाकर सूचना के अधिकार के आवेदकों को गुमराह किया जा रहा है।जबकि हफ्ते भर पूर्व सीएसईबी फुटबॉल ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री ने मीडियाकर्मियों के सवाल पर वर्तमान में भी डीएमएफ एवं कोयला में अनियमितता शिकायती प्रकरणों के मामले में भी कार्रवाई की बात कही थी। लेकिन सीएम हाउस तक लिखित शिकायतों के बावजूद आज पर्यंत कार्रवाई नहीं होना कहीं न कहीं ऐसे भ्रष्टचार के लिए सम्बंधितों को बल प्रदान करता है। सवाल उठता है कि भारतीय जनता पार्टी के लोग सरकार में नहीं थे, तब हुई भ्रष्टाचार की जांच करवाने की बात करते थे। लेकिन सरकार बदलने के बाद भी इतने बड़े भ्रष्टाचार के मामले शासन व प्रशासन खामोश क्यों हैं?