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गजराजों का कहर: हर साल सैकड़ों किसानों की मेहनत कर रहे बेकार, प्रतिवर्ष औसतन पांच सौ आशियाना तोड़ रहे हाथी, उत्पात बढ़ा लेकिन सेटअप व संसाधन पहले की तरह
कोरबा। हाथियों ने 2019 से लेकर अब तक कटघोरा वनमंडल के दायरे में आने वाले चार रेंज के 50 से अधिक गांव का सुख चैन छीन लिया है। हर साल औसतन पांच सौ मकान हाथी तोड़ रहे हैं। वहीं फसल नुकसान के हर साल 15 सौ केस सामने आ रहे हैं। इस नुकसान के आंकड़े से समझा जा सकता है कि आखिर हाथियों का उत्पात किस हद तक बढ़ चुका है।
2019 से पहले कटघोरा वनमंडल के जंगल शांत थे। हाथियों का झुंड साल में एकाध बार पहुंच जाता था। कोरबा वनमंडल से हाथियों का झुंड एक बार कटघोरा वनमंडल पहुंचा तब से लेकर अब तक बीते तीन साल में चार रेंज में हाथियों ने जबरदस्त उत्पात मचा कर रखा है। स्थिति ये है कि एक रेंज से हाथियों को खदेड़ा जाता है तो दूसरे रेंज में आफत मच जाती है। पसान, जटगा, केंदई व ऐतमानगर रेंज एक दूसरे से लगे हुए हैं। हाथियों को जंगल के दायरे मेें सीमित करके रखना वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। जैसे ही झुंड दायरे से बाहर आकर गांव या कस्बे के आसपास पहुंचता है आपाधापी मच जाती है। तीन साल पहले तक कटघोरा वनमंडल में हाथियों से नुकसान के आंकड़े बेहद कम होते थे। साल भर में तीन से पांच सौ हेक्टेयर खेतों को नुकसान, 10 से 20 मकानों को क्षतिग्रस्त करते थे। ये आंकड़े अब कई गुना बढ़ चुके हैं।अगर एक साथ कई रेंज में हाथी आ जाते हैं तो अफसरों की दिक्कतें भी बढ़ जाती है। वर्तमान में हाथियों का झुंड अलग अलग क्षेत्रों में उत्पात मचा रहा है। हर झुंड पर 24 घंटे निगरानी रख पाना एक बड़ी चुनौती है। जब-जब इसमें चूक होती है तब-तब हाथियों का हमला बढ़ जाता है। पिछले कुछ वर्षों की तुलना में हाथियों का उत्पात कई गुना बढ़ गया है, लेकिन इस उत्पात को कम करने की जिन पर जिम्मेदारी है। उनकी संख्या बल बेहद कम है। संसाधन में इजाफा हुआ है, लेकिन वह भी नाकाफी है। रेंज स्तर पर विभागीय काम के साथ-साथ हाथियों पर निगरानी, मुनादी समेत अन्य कायों के लिए पर्याप्त कर्मी नहीं है। ग्रामीणों की मदद से किसी तरह काम चलाया जा रहा है।
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2019 से हाथियों से नुकसान पर एक नजर
वर्ष फसल क्षतिपूर्ति प्रकरण कुल हेक्टेयर मकान नुकसान
2019 1311 397.15 117
2020 1568 662.69 502
2021 1333 814.384 431
2022 1431 736 326
2023 1578 695 236