नीलामी, वसूली और ठेका… भोपाल कैश कांड पर पूर्व CM दिग्विजय सिंह ने उठाए स… – भारत संपर्क
कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के जंगल में लावारिस खड़ी कार में 52 किलो सोना और 10 करोड़ रुपए कैश बरामद होने के मामले पर अब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह दिखाता है राज्य के परिवहन विभाग के भीतर किस प्रकार से चेक पोस्ट की नीलामी हो रही थी और वसूली चल रहा था. उन्होंने आगे कहा कि यह भी अपने आप में बड़ा सवाल है कि ये सारी संपत्ति क्या सौरभ शर्मा की है? ये एक जांच का विषय है.
सोना और कैश बरामदगी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री ने पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया था. हालांकि, बताया गया कि जब्ती लोकायुक्त और आईटी की टीम ने की है. अगर आईटी सामने नहीं आता तो शायद ये कार्रवाई नहीं हो पाती. हो सकता है कि मेरी जानकारी गलत भी हो.
पूर्व सीएम बोले- सरकार ने दबाव में भंग किया बोर्ड
कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि जब मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार बनी थी तब सीएम पर इतना दबाव था कि परिवहन विभाग गोविंद राजपूत को दिया जाए. इसके बाद एक बोर्ड बनाया गया. ऐसा क्यों था ये तो उस समय के कुछ नेता ही बताएंगे. जैसे ही सरकार गिरी और शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने, उन पर दबाव डालकर बोर्ड को खत्म कर दिया गया. सीएम ने इसे खत्म कर दिया. इसके बाद राज्य में फिर से ठेका प्रणाली शुरू हो गई. जो सबसे ज्यादा वसूली करेगा गोविंद राजपूत द्वारा उसी की नियुक्ति हो जाती थी.
‘चेक पोस्टों की नीलामी करके वसूलते थे पैसा’
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें सौरभ शर्मा के साथ संजय श्रीवास्तव, वीरेश, दर्शन सिंह पटेल, ये लोग नीलामी करके वसूली करते थे. इन लोगों की जांच हो तो मनी ट्रेल का पता चल जाएगा. मनोज परमार के घर पर तो ईडी की टीम भी पहुंच गई थी. अगर अब ईडी इसे संज्ञान में नहीं लेगा. शिवराज सिंह चौहान ने 20 साल में किसी पर भी भ्रष्टाचार का केस चलाया हो तो बता दीजिए.
पता लगना चाहिए सोना और पैसा कहां से आया?
उन्होंने कहा कि सौरभ शर्मा जो आज कल दुबई में है. दुबई ऐसा केंद्र है जहां पर इन्वेस्टमेंट होता है. सरकार और जांच एजेंसियों को पता लगाना चाहिए इतना सोना और पैसा कहा से आया और ये किसका है? अगर मामले की जांच ऊपर से किसी सीनियर की देखरेख में नहीं हुआ तो इसे दबा दिया जाएगा. कायदे से तो ये जांच मध्य प्रदेश के चीफ जस्टिस की निगरानी में होनी चाहिए.