भारत ने दूसरे देशों को बेचे 1 लाख करोड़ के iPhone, तिलमिलाया चीन – भारत संपर्क
भारत ने iPhone एक्सपोर्ट में बनाया रिकॉर्ड.
Made in India iPhone: 2024 में एपल ने भारत से आईफोन के एक्सपोर्ट में एक बड़ा मील का पत्थर हासिल किया है. कंपनी ने इंडिया से 12.8 अरब डॉलर (लगभग 1.08 लाख करोड़ रुपये) के आईफोन एक्सपोर्ट किए हैं, जो 2023 की तुलना में 42 फीसदी ज्यादा है. यह उपलब्धि भारतीय सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम की सफलता को दिखाती है, जिससे लोकल प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट में भारी बढ़ोतरी हुई है. भारत के रिकॉर्ड एक्सपोर्ट से चीन के लिए चुनौती बढ़ेगी.
लोकल प्रोडक्शन में इजाफा
एपल का लोकल प्रोडक्शन भी शानदार रहा है. ईटी के मुताबिक, 2024 में भारत में प्रोडक्शन 46 फीसदी से बढ़कर 17.5 अरब डॉलर (1.48 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया. इसके साथ ही एपल का लोकल वैल्यू एडिशन भी 15-20 फीसदी तक पहुंच चुका है, जो पहले 5-8 फीसदी था.
अगर यह रफ्तार बनी रहती है, तो एपल अगले कुछ सालों में 30 अरब डॉलर का सालाना प्रोडक्शन हासिल कर सकता है, जिससे आईफोन प्रोडक्शन में भारत का हिस्सा मौजूदा 14 फीसदी से बढ़कर 26 फीसदी तक बढ़ सकता है.
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iPhone एक्सपोर्ट में भारत की अहमियत
भारत ने एपल के आईफोन एक्सपोर्ट में अहम भूमिका निभाई है. 2023 में एपल ने 9 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट किए थे, जो कुल घरेलू प्रोडक्शन का तीन-चौथाई था. अब भारत ने दुनिया के अन्य देशों को 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के आईफोन भेजे हैं, जो इस सेक्टर में एक नया रिकॉर्ड है. यह भारत को स्मार्टफोन प्रोडक्शन सेक्टर में एक बड़ा प्लेयर बनाता है.
चीन से कंपटीशन
एपल के लिए भारत की सफलता चीन की टेंशन बढ़ा सकती है. चीन एपल आईफोन का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर है, जबकि भारत तेजी से उभर रहा है. आईफोन के एक्सपोर्ट के लिए भारत काफी अहमियत रखता है, क्योंकि देश में बनने वाले कुल आईफोन का करीब 70 फीसदी एक्सपोर्ट होता है. चीन में Huawei की डिमांड बढ़ने से आईफोन की बिक्री कम हुई है. चीन में आईफोन की घटती बिक्री पर भी एपल की नजर है.
PLI को आगे बढ़ाने की मांग
भारत सरकार देश को स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाने के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम चलाती है. इसमें शामिल मोबाइल कंपनियों को फोन प्रोडक्शन टारगेट पूरा करने पर सब्सिडी दी जाती है. यह स्कीम 2026 में खत्म हो जाएगी. ईटी के अनुसार, मोबाइल बनाने वाली कंपनियों की मांग है कि इस स्कीम को आगे बढ़ाया जाए, क्योंकि अभी और काम किया जाना बाकी है.