Kho Kho World Cup 2025: कौरवों-पांडवों ने शुरू किया था खो-खो? महाभारत से जु… – भारत संपर्क
खो-खो का इतिहास क्या है? (PC-PTI)
भारत में अब तक खेलों के कई वर्ल्ड कप आयोजित हुए हैं. वहीं अब भारत में खो खो वर्ल्ड कप की शुरुआत हुई है. बचपन में आपने भी जरूर कभी ना कभी खो खो खेला ही होगा ये खेल अब विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है.13 जनवरी से नई दिल्ली में खो खो वर्ल्ड खेला जा रहा है. इसका इतिहास कुछ सालों या दशकों का नहीं है बल्कि बताया जाता है कि यह खेल महाभारत काल में अस्तित्व में आया था. आइए आपको इसके इतिहास के बारे में विस्तार से बताते हैं.
महाभारत से जुड़ा है खो खो का इतिहास
खो खो मूल रूप से भारत का खेल है और इसका इतिहास सदियों पुराना है. अन्य खेलों की दुनिया में चाहे यह अब फल फूल रहा हो लेकिन इसकी जड़े बहुत गहरी है. भारत में इसे ग्रामीण खेल के रूप में देखा जाता रहा है लेकिन अब इसे विश्व में पहचाना मिल रही है. माना जाता है कि महाभारत काल के दौरान इस खेल की शुरुआत हुई थी.
कौरवों-पांडवों ने शुरू किया था खो-खो?
गौरतलब है कि हरियाणा एके कुरुक्षेत्र में महाभारत युद्ध 18 दिनों तक चला था. इसके 13वें दिन कौरवों के सेनापति द्रोणाचार्य ने ‘चक्रव्यूह’ रचा. यह एक सैन्य घेरा था. इसके अंतर्गत अभिमन्यु ने अकेले योद्धाओं से अकेले युद्ध लड़ा था. हालांकि वे लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे. उन्होंने जो रणनीति अपनाई थी उसे आज के समय में खो खो के खेल में इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए खो खो का खेल कौरवों और पांडवों से भी जुड़ा हुआ कहा जाता है.
रथों पर भी खेला जाता था खो खो
विशेषज्ञ यह भी मानते है कि खो खो का इतिहास महाराष्ट्र राज्य से जुड़ा हुआ है. समय बढ़ता गया तो प्राचीन भारत में इस खेल को राजा महाराजा अपने रथों पर खेलते लगे. रथों पर खेलने की वजह से इसका नाम ‘राथेरा’ पड़ गया. इसके बाद इसे जमीन पर खेला जाने लगा. आज भी यह कहे जमीन पर ही खेला जाता है और खूब प्रचलित हो रहा है. दुनिया की जर में खो खो प्रमुख रूप से साल 1914 के प्रथम विश्व युद्ध के दौरान आया.
1936 के बर्लिन ओलंपिक में कबड्डी-मलखंब के साथ हुआ प्रदर्शित
1914 के प्रथम विश्व युद्ध के दौरान चलन में आने के बाद इसे साल 1936 के बर्लिन ओलंपिक में कबड्डी और मलखंब जैसे भारतीय खेलों के साथ प्रदर्शित किया गया था. इसके बाद 1960 के दौरान आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में पहली अखिल भारतीय खो-खो चैम्पियनशिप का आयोजन करके इस खेल को नई पहचान दी गई. बाद में कोलकाता में साल 1996 में पहली खो खो एशियाई चैम्पियनशिप आयोजित की गई थी.