हर साल बहता है, हर साल बनता है… भागलपुर के ‘बिंद टोली बांध’ की 38 करोड़…

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हर साल बहता है, हर साल बनता है… भागलपुर के ‘बिंद टोली बांध’ की 38 करोड़…

मिट्टी, जिओ बैग व बोल्डर पीचिंग की मदद से तटबंध बनाए जाने का कार्य तो अपने देखा और सुना होगा. लेकिन अब भागलपुर में नई तकनीक से जल संसाधन विभाग इस्माइलपुर-बिंद टोली में ध्वस्त हुए बांध का मरम्मत करवाएगा. बाढ़ से हुई तबाही का मंजर बिहार कभी नहीं भुला सकता. वहीं भागलपुर जिले में भी ‘गंगा व कोसी’ दोनों नदियां अपने तेवर से लोगों के जीवन पर संकट ला देती हैं. पिछले साल आई बाढ़ से गंगा नदी के कटाव में नवगछिया के गोपालपुर में इस्माइलपुर बिंद टोली तटबंध बुद्धूचक गांव के पास 142 मीटर की दूरी तक ध्वस्त हो गया था. उस वक्त जल संसाधन विभाग ने किसी तरह मसक्कत करके पानी के बहाव को रोका था.

जल संसाधन विभाग नई तकनीक से बांध के मरम्मत करने का काम कर रहा है. स्पर्श संख्या सात और आठ के बीच गंगा के कटाव में ध्वस्त हुए 142 मीटर तटबंध को सीट पाइलिंग के जरिए जोड़ा जाएगा. इस काम के लिए जल संसाधन विभाग ने 38 करोड रुपए का टेंडर निकला है. जल संसाधन विभाग ने कटे हुए हिस्से के मरम्मत के लिए मार्च तक काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है. तकनीकी सलाहकार समिति और एसआरसी के तहत मिली स्वीकृति के बाद विभाग की ओर से टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

142 मीटर बांध हुआ था ध्वस्त

इस संबंध में नवगछिया बाढ़ नियंत्रण कार्यालय के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि कटे हुए तटबंध में 142 मीटर लंबाई के हिस्से में यह काम किया जाएगा. साथ ही 208 मीटर और 120 मीटर चौड़ाई में भी काम किया जाएगा. इसके साथ ही शीत पाइलिंग का काम नदी की तरफ से किया जाएगा. इसके पूरा हो जाने के बाद गंगा नदी का पानी तटबंध पर दबाव नहीं बन पाएगा. साथ ही कटे हुए उस हिस्से पर बोल्डर पिचिंग का काम भी होगा. ताकि बिंद टोली गांव को बचाया जा सके.

15 करोड़ की लागत से होगी मरम्मत

इस्माइलपुर के बिंद टोली में 2024 में ही 15 करोड़ की लागत से बांध की मरम्मत करवाई गई थी लेकिन पानी के दबाव को वह झेल नहीं सका. इस घटना में दर्जनों लोगों के घर उजड़ गए थे व आधा दर्जन से अधिक गांव में गंगा का पानी घुस गया था. लगभग 142 मीटर बांध का हिस्सा गंगा नदी की तेज धारा में बह गया था, जिससे बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था. अब नई तकनीक से मरम्मत का कार्य बिंद टोली के लोगों के लिए नई उम्मीद बनकर आया है.

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