*20 सालों से निर्विरोध उप सरपंच रहने वाले अरविंद गुप्ता ने की अब बीडीसी की…- भारत संपर्क
जशपुरनगर। बीडीसी चुनाव में अरविंद गुप्ता ने ठोकी ताल, क्षेत्र में विकास की नई उम्मीदें जगीं
बगीचा जनपद पंचायत क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 21 (रनपुर, करमा, कुदमुरा) से बीडीसी चुनाव के लिए प्रत्याशी के तौर पर अरविंद गुप्ता ने अपनी दावेदारी पेश की है। भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता और जनसेवक के रूप में पहचान रखने वाले अरविंद गुप्ता ने पिछले 20 वर्षों में अपनी कर्मठता और सेवा भावना से क्षेत्र में गहरी छाप छोड़ी है।
20 वर्षों का निर्विरोध कार्यकाल
अरविंद गुप्ता बीते 20 वर्षों से अपने पंचायत में निर्विरोध उपसरपंच चुने जा रहे हैं। इस लंबे और विवादमुक्त कार्यकाल ने उन्हें एक समर्पित और विश्वसनीय जनप्रतिनिधि के रूप में स्थापित किया है। अपनी सादगी, सौम्यता और मिलनसार व्यक्तित्व के कारण वे जनता के दिलों में खास जगह बना चुके हैं।
सामाजिक सेवा और धार्मिक समर्पण
अरविंद गुप्ता ने सामाजिक और धार्मिक कार्यों में भी अपनी विशिष्ट भूमिका निभाई है। उनके प्रयासों से क्षेत्र में विशाल और भव्य सोमेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण हुआ, जो न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को भी समृद्ध करता है। उनके इन प्रयासों ने जनता का विश्वास और समर्थन और भी मजबूत किया है।
विकास के प्रति वचनबद्धता
बीडीसी चुनाव में अपनी दावेदारी के साथ अरविंद गुप्ता क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता देने का संकल्प लेकर मैदान में उतरे हैं। उनके पंचायत में अब तक हुए विकास कार्यों और उनकी संघर्षशीलता को देखकर क्षेत्रवासियों में उम्मीदें जाग उठी हैं। ग्रामीणों का मानना है कि अगर वे बीडीसी चुने जाते हैं, तो क्षेत्र में नई विकास योजनाओं का मार्ग प्रशस्त होगा।
क्षेत्रवासियों का समर्थन
अरविंद गुप्ता के चुनाव में उतरने की खबर से क्षेत्र के लोगों में उत्साह है। शांत स्वभाव, सहयोगात्मक रवैया और कार्य के प्रति समर्पण जैसे गुणों से लबरेज अरविंद गुप्ता को जनता का अपार समर्थन मिल रहा है। उनकी यह छवि चुनावी मैदान में उनकी दावेदारी को और मजबूत बना रही है।
अरविंद गुप्ता ने बीडीसी चुनाव लड़ने का फैसला लेकर न केवल अपने 20 वर्षों के अनुभव को एक नई दिशा देने का प्रयास किया है, बल्कि क्षेत्रवासियों के विकास के सपनों को भी साकार करने का भरोसा दिलाया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता का यह विश्वास चुनावी नतीजों में कैसे परिवर्तित होता है।