जॉर्डन से इराक और सीरिया तक 165 हमले…इजराइल हमास की जंग में अमेरिका को चुकानी पड़…

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जॉर्डन से इराक और सीरिया तक 165 हमले…इजराइल हमास की जंग में अमेरिका को चुकानी पड़…
जॉर्डन से इराक और सीरिया तक 165 हमले...इजराइल-हमास की जंग में अमेरिका को चुकानी पड़ रही भारी कीमत

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन

इजराइल और हमास के बीच जंग 7 अक्टूबर, 2023 को शुरू हुई थी. वैसे तो ये जंग एक मुल्क और एक आतंकी संगठन के बीच है, लेकिन इसकी कीमत दुनिया के सबसे ताकतवर देश यानी अमेरिका को भी चुकानी पड़ रही है. ईराक, सीरिया और जॉर्डन तक में उसे घाव मिला है. अधिकारियों के मुताबिक, जंग के बाद से अब तक ईराक और सीरिया में अमेरिका के ठिकानों पर 165 हमले हुए हैं. जॉर्डन में रविवार को मिलिट्री बेस पर हुए ड्रोन हमले ने अमेरिका को गहरा जख्म दिया है. इसमें उसके 3 सैनिकों की मौत हो गई. इस हमले से पहले तक किसी भी घटना में एक भी अमेरिकी की मौत नहीं हुई थी.

अमेरिका ने हमले के लिए ईरान समर्थित समूहों को दोषी ठहराया है. पेंटागन ने कहा कि अमेरिका ईरान के साथ युद्ध नहीं चाहता है. पेंटागन की प्रवक्ता सबरीना सिंह ने कहा, हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन हम कार्रवाई करेंगे और अपनी सेनाओं पर हमलों का जवाब देंगे. ड्रोन हमला सीरियाई सीमा के पास उत्तर-पूर्वी जॉर्डन के रुक्बन में हुआ. बाद में अमेरिकी अधिकारियों ने इस बेस का नाम टॉवर 22 रखा.

हमले में 40 से अधिक सैन्यकर्मी घायल हो गए. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि हमले के समय टॉवर 22 पर एयर डिफेंस सिस्टम की सुविधाएं बंद कर दी गई थीं, क्योंकि दुश्मन का ड्रोन उसी समय आया था जब अमेरिकी ड्रोन वापस लौट रहा था. उन्होंने बताया कि जब ड्रोन हमला हुआ तब एयर बेस पर सैनिक अपने कमरे में थे. घटना के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हम हमले का जवाब देंगे.

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मिलिशिया ने बयान में क्या कहा?

पेंटागन की प्रवक्ता सबरीना सिंह ने कहा कि हमला इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स समर्थित मिलिशिया द्वारा किया गया था. एक बयान में मिलिशिया ने कहा कि उसने सीरिया में तीन अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाया है – उनकी पहचान शद्दादी, तन्फ़ और रुक्बन के रूप में की गई है. हालांकि, रुक्बन सीरिया की सीमा के जॉर्डन की ओर है.

पिछले महीने उत्तरी इराक में एक बेस पर ड्रोन हमले में अमेरिका के तीन सैनिक घायल हो गए थे. अमेरिका ने ईरान के कई समूहों के खिलाफ हवाई हमले किए. जनवरी की शुरुआत में ईराक के बगदाद में एक जवाबी अमेरिकी हमले में एक मिलिशिया नेता की मौत हो गई थी.

मिडिल ईस्ट में क्यों हैं अमेरिका के बेस?

जॉर्डन में अमेरिका के एक दर्जन से अधिक बेस हैं. अमेरिका के एक प्रमुख सहयोगी जॉर्डन में लगभग 3,000 अमेरिकी सैनिक हैं, और इराक में 2,500 सैनिक हैं. इसके अलावा ईराक में भी इनकी अच्छी खासी संख्या है. सीरिया में लगभग 900 अमेरिकी कर्मी हैं. सीरिया सरकार अपने देश में अमेरिकी उपस्थिति का विरोध करती है और इसे कब्ज़ा बताती है.

अमेरिका ने पूरे मध्य पूर्व में और भी कई अड्डे बनाए रखे हैं, जिनमें खाड़ी में तीन प्रमुख हवाई अड्डे और बहरीन में एक बंदरगाह शामिल है, जो अमेरिकी नौसेना बल सेंट्रल कमांड और यूएस फिफ्थ फ्लीट के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है.

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