क्या शिलाजीत भगवान शिव से जुड़ा है? जानिए इसके बारे में मिथक और सच्चाई

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क्या शिलाजीत भगवान शिव से जुड़ा है? जानिए इसके बारे में मिथक और सच्चाई

शिलाजीत को आयुर्वेद में एक चमत्कारी औषधि माना जाता है. ये शरीर को ऊर्जा देने और इम्यूनिटी बढ़ाने में फायदेमंद होती है. कई पोषक तत्वों और मिनरल से भरपूर यह जड़ी-बूटी हिमालय के ऊपरी हिस्सों में चट्टानों में चिपकी हुई पाई जाती है. शिलाजीत के फायदे को देखते कई लोग इसे खाते हैं. यह मुख्य रूप से भारत, नेपाल, पाकिस्तान और तिब्बत में पाई जाती है.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिलाजीत को भगवान शिव से भी जोड़ा जाता है? इसे “कमजोरी का संहारक” कहा जाता है. हिंदू ग्रंथों में इसकी उत्पत्ति को लेकर कई रोचक कथाएं भी हैं. आइए जानते हैं कि क्या शिलाजीत वाकई भगवान शिव के नाम से जुड़ी या यह बात सिर्फ एक मिथक ही है.

शिलाजीत के नाम का अर्थ

संस्कृत में शिलाजीत शब्द दो भागों में विभाजित किया गया है. शिला यानी चट्टान या पर्वत और जीत का अर्थ है विजय प्राप्त करना. इस तरह का शाब्दिक अर्थ है-वह पदार्थ जिसने पर्वतों को जीता या पर्वतों से निकलने वाला अमृत.हिंदू धर्म में इसे भगवान शिव का आशीर्वाद माना जाता है, जो शक्ति और अमरता के प्रतीक हैं.

शिलाजीत की उत्पत्ति

हिंदू धर्म में समुद्र मंथन की कथा काफी प्रसिद्ध है, जिसमें देवता और असुरों ने अमृत की प्राप्ति के लिए समुद्र का मंथन किया था. इस मंथन के दौरान, अमृत, विष (कालकूट), रत्न, धन, कामधेनु, ऐरावत और अन्य दिव्य पदार्थ निकले थे. ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष (हलाहल) का पान किया, तब उनके शरीर से एक तेज़स्वी ऊर्जा निकली, जो पर्वतों में समाहित हो गई. यही ऊर्जा धीरे-धीरे शिलाजीत के रूप में विकसित हुई. इसीलिए इसे शिव का प्रसाद कहा जाता है.

भगवान शिव और हिमालय की तपस्या

एक दूसरी मान्यता के अनुसार, भगवान शिव जब कैलाश पर्वत पर ध्यानमग्न हुए, तो उनकी ऊर्जा से पर्वतों की चट्टानों में एक दिव्य पदार्थ उत्पन्न हुआ. यह पदार्थ हजारों वर्षों तक पर्वतों में संचित होता रहा और गर्मी के कारण चट्टानों की दरारों से बाहर निकलने लगा. इसके बाद यही पदार्थ शिलाजीत कहलाया जाने लगा.

साधु भी करते हैं इस्तेमाल

हिंदू ग्रंथों में बताया गया है किहिमालय की गुफाओं में तपस्या करने वाले योगी और साधु बिना भोजन के वर्षों तक जीवित रहते थे. इसका कारण शिलाजीत का सेवन बताया जाता है. यह माना जाता था कि भगवान शिव ने योगियों को अमरता और शक्ति के लिए शिलाजीत दी थी.

शिलाजीत को कहा जाता है अमृत

आयुर्वेद में शिलाजीत को दिव्य औषधि माना जाता है, जो शारीरिक कमजोरी को दूर करती है.जो व्यक्ति नियमित रूप से शुद्ध शिलाजीत का सेवन करता है, वह दीर्घायु, बलशाली और रोगमुक्त रहता है.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण: क्या शिलाजीत वाकई शक्तिशाली है?

आधुनिक विज्ञान ने भी सिद्ध किया है कि शिलाजीत में वे सभी गुण मौजूद हैं, जो इसे एक शक्तिशाली औषधि बनाते हैं. शिलाजीत माइटोकॉन्ड्रियल फंक्शन को सुधारता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का उत्पादन बढ़ता है. इसमें मौजूद फुल्विक एसिड और ह्यूमिक एसिड कोशिकाओं को ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाते हैं, जिससे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी होती है.

(स्रोत: International Journal of Pharmaceutical Sciences Review and Research, Vol 59(1), Nov-Dec 2019)

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