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फरवरी में ही बिजली की डिमांड अप्रैल-मई की तरह, सेंट्रल सेक्टर से लेनी पड़ रही शेड़्यूल, अनशेड्यूल बिजली
कोरबा। फरवरी के दूसरे पखवाड़े में ही बिजली की डिमांड 6 हजार मेगावाट के करीब पहुंच गई है। बिजली की डिमांड पूरी करने सेंट्रल सेक्टर से शेड़्यूल, अनशेड्यूल बिजली लेनी पड़ रही है। फरवरी में ही अप्रैल-मई की तरह मांग पहुंच चुकी है। माना जा रहा है कि इस बार बिजली की डिमांड 7 हजार मेगावाट तक पहुंच सकती है। गर्मी की सीजन की शुरुआत के साथ ही बिजली की डिमांड में इजाफा होने लगा है। शुक्रवार की शाम बिजली की अधिकतम डिमांड 5885 मेगावाट तक पहुंच गई थी। बिजली की डिमांड पूरा करने सेंट्रल सेक्टर से 3323 मेगावाट बिजली ड्राल करनी पड़ रही थी। लगातार बिजली की डिमांड बढऩे से अंडर ड्राल और ओवर ड्राल की स्थिति निर्मित होती रही। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के तीन संयंत्र एचटीपीपी, मड़वा और डीएसपीएम सहित बांगो हाइडल प्लांट से बिजली बनती है। मांग में बढ़ोतरी के बीच उत्पादन कंपनी से लगभग 2400 मेगावाट बिजली बन रही थी। जबकि थर्मल संयंत्रों की क्षमता 2840 व बांगो हाइडल की क्षमता 120 मेगावाट है। फरवरी में ही डिमांड 6 हजार के करीब पहुंच जाने से संयंत्रों को फुल लोड पर चलाने की स्थिति बन रही है। एचटीपीपी कोरबा पश्चिम संयंत्र में 210 -210 मेगावाट की 4 व 500 मेगावाट की एक इकाई है। संयंत्र की उत्पादन क्षमता 1340 मेगावाट है। शुक्रवार को संयंत्र की 210 मेगावाट की इकाई क्रमांक 3 ट्रिप हो गई थी। जिसके कारण संयंत्र से 913 मेगावाट तक बिजली बन रही थी। डीएसपीएम से 500 के मुकाबले 465 मेगावाट व मड़वा से 1000 के मुकाबले 940 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा रहा था। वर्तमान में बांगो बांध से रबी फसल के लिए पानी छोड़ा जा रहा है। जिससे बांगो हाइडल प्लांट के 40-40 मेगावाट के तीनों इकाइयों से बिजली उत्पादन हो रहा है। शुक्रवार शाम को हाइडल प्लांट से 118 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा था।