अमेरिका ने एच-1बी वीजा नियमों में किया बदलाव, अब अनिवार्य हो गया स्पेशलाइजेशन


एच-1बी वीजा नियमों में बदलावImage Credit source: Getty Images
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से सत्ता में आते ही खलबची मचा दी है. उन्होंने कई नियमों में बदलाव करने शुरू कर दिए हैं, जिसमें एच-1बी वीजा भी शामिल है. ट्रंप ने जो नया नियम लागू किया है, उसके तहत एच-1बी वीजा के लिए टेक्निकल डिग्री ही काफी नहीं होगी बल्कि विशेषज्ञता को अनिवार्य कर दिया गया है यानी उम्मीदवार अपने आवेदन में अपनी सभी योग्यताओं का जिक्र कर सकता है, लेकिन उनमें से एक योग्यता सीधे उसके काम से जुड़ी होनी चाहिए.
हर साल जारी होता है वीजा
अमेरिका हर साल टेक्निकल कर्मचारियों के लिए करीब 65 हजार एच-1बी वीजा जारी करता है, जिसके तहत भारत समेत अन्य देशों के लोग काम करने के लिए अमेरिका जाते हैं. अब तक एच-1बी वीजा के लिए ग्रेजुएशन की डिग्री की मान्य थी, लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया गया है. उदाहरण के तौर पर, अगर आपके पास कंप्यूटर साइंस की डिग्री है तो पहले इससे जुड़े किसी भी काम के लिए आपको एच-1बी वीजा के योग्य माना जाता था, लेकिन अब आवेदकों से उनकी टेक्निकल विशेषज्ञता भी पूछी जाएगी.
क्या है एच-1बी वीजा?
यह एक गैर-प्रवासी वीजा है, जिसे आमतौर पर अमेरिका में काम करने जाने वाले लोगों को दिया जाता है. जिनके पास एच-1बी वीजा होता है, वो अपने साथ अपनी पत्नी और बच्चों को भी रख सकता है. अगर किसी के एच-1बी वीजा की अवधि खत्म हो जाती है तो वो अमेरिका की नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता है. वैसे तो इसकी अवधि तीन साल होती है, लेकिन इसे 6 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है.
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एच-1बी वीजा लेने में भारतीय कंपनियां आगे
हाल ही में अमेरिका द्वारा एच-1बी वीजा को लेकर जो आंकड़ा जारी किया गया था, उसमें खुलासा हुआ था कि जारी किए गए कुल एच-1बी वीजा का 20 फीसदी भारतीय मूल की टेक्निकल कंपनियों ने हासिल किया है. अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-सितंबर 2024 की अवधि में अमेरिका ने कुल 1.3 लाख एच-1बी वीजा जारी किया था, जिसमें से 24,766 वीजा भारतीय मूल की कंपनियों को मिला था.
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