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बागों बांध के विस्थापितों ने कहा अब नहीं सहेंगे अन्याय, ठेका व्यवस्था निरस्त कर विस्थापितों की समितियों को मछली पकडऩे के कानूनी अधिकार की मांग

कोरबा। चार दशक पूर्व बने मिनीमाता बांगो बांध से प्रभावित 52 गांव के प्रभावित आदिवासी, मछुआरे समुदाय ने एतमानगर में विशाल सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन में बांध की ठेका प्रणाली तत्काल निरस्त करने की मांग की। ग्रामीणों ने विस्थापितों की मछुआरा समितियों को केज की व्यवस्था कर स्वतंत्र रूप से मछली पकडऩे की मांग रखी। सम्मलेन में छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष, पूर्व विधायक जनकलाल ठाकुर, कार्यकर्ता समिति से रमाकांत बंजारे, हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति से रामलाल करियाम, मुनेश्वर पोर्ते, पूर्व सरपंच हृदय तिग्गा, ऋषिकांत चौधरी बिलासपुर से रामसागर निषाद आदि शामिल हुए। सम्मलेन को संबोधित करते हुए छतराम धनवार ने कहा कि बांध में हमारी पुरखों की जमीन, जंगल, देवी देवता सब कुछ खत्म हो गया। पूर्ण रूप से 52 गांव विस्थापित हुए है लेकिन किसी भी व्यक्ति को रोजगार नहीं मिला । वैकल्पिक रोजगार के लिए रेशम, कुक्कुट पालन की व्यवस्था की गई जो कुछ वर्षों में ही बंद हो गया। ग्रामीण बांध से मछली मार कर अपना जीवन यापन कर रहे थे लेकिन बांध को बड़े व्यवसायियों को ठेका पर दे दिया गया जिससे अब रोजी रोटी का वह साधन भी छिन गया। फिरतू बिंझवार ने कहा कि हमारे सामने आजीविका का गंभीर संकट है । जंगल से वन विभाग भागता है और पानी से ठेकेदार । सब कुछ छीन जाने के बाद बांध का जलाशय ही हमारी आजीविका का एकमात्र साधन है । हम किसी भी कीमत पर पानी पर अपने अधिकार को नहीं छोड़ेंगे और मछली पकडऩे का अधिकार भी हासिल करेंगे। आलोक शुक्ला ने कहा कि विकास के नाम पर आज से चालीस वर्ष पूर्व जिनका सब कुछ छीन लिया गया वह आज भी वैकल्पिक रोजगार और जीवन यापन के मूलभूत अधिकार से वंचित हैं। चंद राजस्व के नाम पर स्थानीय आदिवासी मछुआरा समुदाय से मछली पकडऩे का अधिकार छीनकर ठेकदारों को सौंप देना प्रभावितों के साथ एक और अन्याय है। जिस बागों बांध के पानी से जांजगीर, चांपा, कोरबा, बिलासपुर में समृद्धि आई उसी बांध प्रभावित 52 गांव के हजारों लाखों लोगों के सामने आज भी रोजी रोटी का संकट है। उन्होंने कहा कि पानी पर प्राथमिक अधिकार विस्थापितों का है और मछली पकडऩे का अधिकार भी। जनकलाल ठाकुर ने कहा कि हम सभी किसान है। मेहनत करने वाला, कमाने वाला सभी किसान है और आपकी लड़ाई में प्रदेश भर के किसान आंदोलन के साथी भी आपके साथ हैं। झारखंड के चांडिल सहित देश के कई बांध प्रभावितों ने संघर्ष कर मछली पकडऩे का अधिकार लिया है। एतमा नगर सरपंच सरबोध मिंज ने कहा कि हमने अपनी जमीन नहीं दी है हमसे जबरन छीनी गई है। अब हमारे आंसू पोछने के बजाए शासन प्रशासन हमारी रोजी रोटी भी छीन रहा है। हर घर वाले को केज की व्यवस्था की जाए और यदि जबरन बाहरी व्यक्ति को ठेका दिया गया तो हम ठेकदार को पानी में घुसने नहीं नहीं देंगे। विस्थापित आदिवासी मछुआरा समुदाय ने अपने अधिकारों के लिए व्यापक आंदोलन की घोषणा की। बांध के ठेका को निरस्त कर स्थानीय मछुआरा समितियों को मछली पकडऩे का कानूनी अधिकार सौंपने की मांग पर एक प्रतिनिधिमंडल राजधानी रायपुर में मंत्री से मुलाकात करेगा।

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