जेल यात्रा के दौरान कालजयी रचना ‘पुष्प की अभिलाषा’ लिखने…- भारत संपर्क

बिलासपुर। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई महान विभूतियों की साक्षी रही बिलासपुर सेंट्रल जेल अब एक ऐतिहासिक पहल के तहत प्रसिद्ध कवि पं. माखनलाल चतुर्वेदी की प्रतिमा स्थापित करने जा रही है। जेल प्रशासन ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे जल्द ही जेल विभाग को भेजा जाएगा।

माखनलाल चतुर्वेदी, जिन्हें ‘एक भारतीय आत्मा’ के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 1921 से 1922 तक बिलासपुर सेंट्रल जेल में बंद रहे थे। इसी दौरान उन्होंने अपनी कालजयी रचना “पुष्प की अभिलाषा” लिखी थी, जो राष्ट्रभक्ति और बलिदान की भावना से ओत-प्रोत है। वे जेल की बैरक नंबर 9 में रहे, जहां उन्होंने कई प्रेरणादायक रचनाएँ लिखीं।
जेल प्रशासन ने उनकी स्मृति को संरक्षित किया
केंद्रीय जेल के अधीक्षक खोमेश मंडावी ने बताया कि पं. माखनलाल चतुर्वेदी की स्मृति में प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसे जल्द ही जेल विभाग को भेजा जाएगा। उनका कहना है कि यह पहल आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता संग्राम और साहित्य की गौरवशाली विरासत से परिचित कराएगी।

इतिहासकारों की पुष्टि
इतिहासकारों के अनुसार, पं. माखनलाल चतुर्वेदी ने “पुष्प की अभिलाषा” कविता जेल में ही लिखी थी, जो आज भी लोगों के मन में राष्ट्र के प्रति त्याग और समर्पण की भावना जागृत करती है।
बिलासपुर सेंट्रल जेल में इस ऐतिहासिक पहल के पूरा होने के बाद यह स्थान साहित्य और स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा।
Post Views: 1