42 साल पुराने मुद्दे से 2027 जीतने का प्लान, समझें मुजफ्फरनगर को लक्ष्मीनगर… – भारत संपर्क

सीएम योगी आदित्यनाथ
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले का नाम बदलकर लक्ष्मीनगर रखने की सियासत गर्मा गई है. बीजेपी एमएलसी मोहित बेनीवाल ने विधान परिषद में मुजफ्फरनगर जिले का नाम लक्ष्मीनगर रखने की 42 साल पुरानी मांग को उठाया और उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले और अपनी मांग को दोहराया. यही नहीं जिला पंचायत अध्यक्ष अगले हफ्ते बोर्ड की बैठक में नाम बदलने का प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. इस तरह 42 साल पुराने मुद्दे को सियासी हवा देकर बीजेपी 2027 का माहौल बनाने की रणनीति है?
मुजफ्फरनगर के 2013 में जाट और मुस्लिम के बीच हुए सांप्रदायिक दंगे ने बीजेपी के लिए पश्चिमी यूपी की जमीन को सियासी उपजाऊ बनाने का काम किया था. बीजेपी ने दंगे के एक साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में विपक्ष का सफाया कर दिया था. इसके बाद 2017 में कैराना से हिंदुओं के पलायन को मुद्दा उठाकर बीजेपी ने यूपी में अपने 15 साल के सियासी वनवास को खत्म करने में कामयाब रही. अब बीजेपी ने मुजफ्फरनगर को लक्ष्मीनगर करने की मांग के बहाने पश्चिम यूपी की सियासी नब्ज को पकड़ने की कवायद में है. इसीलिए 42 साल पुराने मुद्दे को सिर्फ हवा ही नहीं दे रही बल्कि जिला पंचायत के जरिए उसे अमलीजामा पहनाने का है.
मुजफ्फरनगर क्या बनेगा लक्ष्मीनगर?
बीजेपी के एमएलसी मोहित बेनीवाल ने मुजफ्फरनगर का नाम बदलकर लक्ष्मीनगर रखने की मांग को उठाया. बुधवार को विधान परिषद में बेनीवाल ने कहा कि साधु और संत लंबे समय से मुजफ्फरनगर नाम बदलने की मांग करते आ रहे हैं. ये हमारी सांस्कृतिक गौरव और सभ्यता का प्रश्न है. एमएलसी ने कहा कि लक्ष्मीनगर नाम आर्थिक प्रगति का आधार बनेगा. इसके बाद उन्होंने सीएम योगी से बुधवार को लखनऊ में मुलाकाक किया और अपनी मांग को उनके सामने भी रखा.
मुजफ्फरनगर के जिला पंचायत अध्यक्ष डा. वीरपाल निर्वाल भी लक्ष्मीनगर नाम रखने पर रजामंद हैं. इसके लिए वो जिला पंचायत की 12 मार्च को होने वाली बोर्ड बैठक में जिले के नाम बदलने का प्रस्ताव रखेंगे. उन्होंने कहा कि जिला पंचायत में आम सहमति से प्रस्ताव पास होने के बाद शासन हो भेजा जाएगा.मुजफ्फरनगर के स्थानीय बीजेपी नेता भी इस बात के समर्थन में है कि जिले का नाम लक्ष्मीनगर रखा जाना चाहिए.
जानें, मुजफ्फरनगर का नाम कब पड़ा?
मुजफ्फरनगर नाम शाहजहां के दौर में पड़ा है. शाहजहां के शासन काल प्रमुख सरदार सैय्यद मुजफ्फर खान को सरवट जागीर मिला था. उन्होंने 1633 में सुजडू के आसपास के क्षेत्र को मिलाकर शहर की स्थापना की थी।. इसके बाद में उनके बेटे मुन्नवर लश्कर खान ने अपने पिता मुजफ्फर खान की याद में मुजफ्फरनगर नाम दिया था. ब्रिटिश काल में मुजफ्फरनगर को जिला घोषित किया गया. इसके बाद से मुजफ्फरनगर से देश और दुनिया भर में जिला जाना जाता है.
RSS ने नाम बदलने का उठाई थी मांग
बीजेपी ने अस्सी के दशक में राममंदिर को अपना मुद्दा बनाया. इसी कड़ी में राम मंदिर आंदोलन के लिए मार्च 1983 में शहर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान पर संघ ने हिंदू सम्मेलन रखा था, जिसमें मुजफ्फरनगर को लक्ष्मीनगर रखने की बात उठी थी. इसके बाद संघ ने लक्ष्मीनगर नाम किए जाने के लिए जिले में बकायदा अभियान चलाया था. पत्राचार से लेकर पोस्टर और मकानों पर लक्ष्मीनगर लिखा गया था. लंबे समय तक आरएसएस और भाजपा नेताओं ने लक्ष्मीनगर के नाम से ही पोस्टकार्ड भेजते रहे. इस तरह मुजफ्फरनगर को लक्ष्मीनगर करने लड़ाई लंबे समय से चल रही है,
42 साल पुराने मुद्दे से 2027 का प्लान
विधान परिषद में मुजफ्फरनगर जिले का नाम बदलकर लक्ष्मीनगर किए जाने मांग उठाकर 42 साल पुराने मुद्दे को फिर हवा दे दी है. इस मुद्दे के बहाने बीजेपी सियासी संदेश देने के साथ-साथ हिंदुत्व के एजेंडे को सेट करने की रणनीति है. 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले नाम के मुद्दे को हवा मिलने की संभावना है. माना जा रहा है कि आमजन के बीच बनने वाले माहौल को भांपकर बीजेपी भविष्य की रणनीति तय करेगी ताकि पश्चिम यूपी के सियासी समीकरण साधने के लिए नाम का मुद्दा बनाए जाए.
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पश्चिमी यूपी के इलाके में तगड़ा झटका लगा है और उससे पहले 2022 के विधानसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा था. आरएलडी के साथ गठबंधन करने के बाद भी बीजेपी मुजफ्फरनगर, कैराना और सहारनपुर जैसी संसदीय सीट बीजेपी हार गई है. मेरठ सीट वो बहुत मामूली वोटों से जीतने में सफल रही है. ऐसे में पश्चिमी यूपी में आरएलडी का साथ लेना भी बीजेपी के लिए मुफीद नहीं रहा. इस तरह 2027 के लिए बीजेपी अभी से पश्चिमी यूपी में अपने सियासी समीकरण को मजबूत करने की कवायद में जुट गए हैं.
कैराना पलायन के मुद्दे पर विपक्ष की घेराबंदी कर चुकी बीजेपी 2027 में मुजफ्फरनगर के नाम पर पश्चिम यूपी की सियासी नब्ज पकड़ने की रणनीति पर है. पिछले साल केंद्रीय राज्यमंत्री गिरिराज सिंह ने भी जिले का नाम बदले जाने की बात कही थी और विधान परिषद सदस्य मोहित बेनीवाल ने जिला के नाम बदलने की मांग उठाकर सियासी एजेंडा सेट करने की है. जिला पंचायत की बोर्ड बैठक में नाम बदलने का प्रस्ताव लाने की तैयारी है. ऐसे में देखना है कि बीजेपी इस बहाने पश्चिमी यूपी के समीकरण को क्या सेट कर पाएगी?