विधानसभा में उठा जुली तिर्की को भारमुक्त नहीं किए जाने का…- भारत संपर्क
विधानसभा में उठा जुली तिर्की को भारमुक्त नहीं किए जाने का मुद्दा, सिविल सेवा आचरण नियम के तहत कार्रवाई की रखी गई मांग, विधानसभा सदस्य बालेश्वर साहू ने मामले में चर्चा का किया आग्रह
कोरबा। कोरबा में पदस्थ अधिकारी जुली तिर्की के स्थानांतरण के बाद भी भार मुक्त नहीं किए जाने का मुद्दा विधानसभा में उठा है। एक पक्षीय कार्य मुक्त आदेश के पालन नहीं कराए जाने को लेकर सवाल उठाए गए हैं।विधानसभा सदस्य बालेश्वर साहू ने सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशानुसार एक पक्षीय कार्य मुक्त किए गए अधिकारियों का मुद्दा विधानसभा में उठाया है।
श्री साहू ने कहा कि प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में अवर सचिव के आदेशानुसार दिनांक 14.10.024 और दिनांक 24.10.2024 को विभिन्न वर्गों के अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानांतरण आदेश जारी किए गए थे। शासन के स्थानांतरण नीति का पालन सुनिश्चित करने सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समस्त भार साधक सचिव छ ग शासन को पत्र दिनांक 25.11.2024 जारी कर निर्देश प्रदान किए गए थे कि शासकीय सेवकों की पदस्थापना/स्थानांतरण होने पर नवीन पदस्थापना में कार्यभार ग्रहण कराए जाने की समय अवधि एक सप्ताह से अधिक नहीं होनी चाहिए। पुनः सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश दिनांक 20.01.2025 जारी करते हुए अपने पूर्व पत्र दिनांक 25.11.2024 का संदर्भ देकर इसका पालन सुनिश्चित करने वर्ष 2024 में स्थानांतरण किए गए परन्तु कार्यमुक्त नहीं किए गए अधिकारी कर्मचारी को एकपक्षीय भारमुक्त कर दिया गया है। इसके बावजूद भी कोरबा जिले में पदस्थ अधिकारी सुश्री जुली तिर्की को नवीन पदस्थापना में कार्यभार ग्रहण नहीं कराया गया है। इससे स्पष्ट है कि शासन के अधीनस्थ अधिकारी अपने उच्चाधिकारियों के आदेश निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं। ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध सिविल सेवा आचरण नियम के तहत अवचार की कार्यवाही किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में सामान्य प्रशासन विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के प्रभार में और यहां उच्च कार्यालय के आदेश का पालन नहीं हो पा रहा है तो अन्य विभाग की क्या स्थिति होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे स्पष्ट है कि संबंधित अधिकारी कर्मचारी अपने अनुसार शासन प्रशासन को संचालित कर रहे हैं। इससे नौकरशाही हावी हो रही है। इस प्रवृत्ति पर रोक लगाया जाना आवश्यक है। इससे भविष्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था प्रभावित होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। शासन एकपक्षीय भारमुक्त किए गए अधिकारी कर्मचारी को तत्काल नवीन पदस्थापना में कार्यभार ग्रहण कराना सुनिश्चित करे। सदन में इस पर चर्चा कराई जाए।