अपोलो कैंसर सेंटर्स ने किया “कॉल फिट” नामक व्यापक कोलोरेक्टल…- भारत संपर्क

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अपोलो कैंसर सेंटर्स ने किया “कॉल फिट” नामक व्यापक कोलोरेक्टल…- भारत संपर्क

भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ते मामलों के बीच अपोलो कैंसर सेंटर्स ने “कॉल फिट” नामक एक व्यापक कोलोरेक्टल कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम आरंभ किया है।
भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में वृद्धि को देखते हुए अपोलो कैंसर सेंटर्स ने कॉल फिट नामक एक स्क्रीन प्रोग्राम को,जो कोलोरेक्टल कैंसर की शुरुआती चरण में ही पता लगाने और उसके रोकथाम के लिए डिजाइन किया गया है, देशभर में लॉन्च किया है।इस पहल का उद्देश्य जीवन प्रत्याशा की दर सुधार व उपचार की लागत को कम करना, और रोग के प्रति भ्रांतियां एवं भय की चिंताजनक स्थिति को संबोधित करना है।
कोलोरेक्टल कैंसर आरंभिक चरणों में ही डायग्नोज किए जाने पर रोक जा सकते व उपचार योग्य है। आरंभिक चरणों में उपेक्षा किए जाने पर एडवांस स्टेज में जीवन प्रत्याशा में कमी वह उपचार लागत में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है।
कनकॉर्ड -2, के अनुसार भारत में कोलोरेक्टल कैंसर के मरीजों के 5 साल की जीवित रहने की दर 40% से भी कम है उक्त तथ्य को कनकॉर्ड 2 के अध्ययन में भारतीय मामलों में मलाशय के कैंसर के लिए 5 साल की जीवित रहने की दर में गिरावट को उजागर किया है। कोलोरेक्टल कैंसर अक्सर ऐसे लक्षणों के साथ प्रस्तुत होते हैं जिन्हें नजर अंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इनमें प्रमुख मल त्याग की आदतों में लगातार परिवर्तन जैसे बहुत पुराना दस्त, मलाशय से रक्तसव, या मल में रक्त या अनजाने में वजन कम होना और लगातार पेट में दर्द या मरोड़ शामिल है। इसके प्रमुख कारकों में फाइबर युक्त भोजन की कमी, निष्क्रिय जीवन शैली, मोटापा, अनुवांशिक प्रवृत्ति आदि सम्मिलित हैं। इन लक्षणों को आरंभिक अवस्था में पहचाना रोकथाम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपोलो कैंसर सेंटर के कॉल फिट कार्यक्रम में फिकल इम्यूनो केमिकल टेस्ट को शामिल किया गया है, जो एक बिना चीर फाड़ के सटीक परिणाम देने वाला स्क्रीन टूल है जो मल में छिपे हुए रक्त की पहचान करता है। इस टेस्ट के लिए केवल एक नमूने की आवश्यकता होती है।
कॉल फिट स्क्रीन प्रक्रिया एक सिस्टमैटिक स्क्रीनिंग प्रक्रिया है जिसमें सर्वप्रथम जोखिम का निर्धारण किया जाता है।
औसत जोखिम वाले व्यक्तियों जिनकी आयु 45 वर्ष सबसे अधिक है जिनका इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास नहीं है को स्टूल टेस्ट के लिए भेजा जाता है। उच्च जोखिम वाले मरीजों को जिनका पारिवारिक इतिहास है को कोलोनोस्कोपी की सलाह दी जाती है। इन जांचों के उपरांत असामान्य परिणाम के नमूनों को आगे विशेष जांच हेतु भेजा जाता है जबकि कोलोनोस्कोपी के निष्कर्ष की समीक्षा पॉलिप या ट्यूमर के लिए की जाती है।
नकारात्मक मामलों में 1 से 10 वर्ष के बीच फॉलो अप की सलाह दी जाती है जबकि समस्या वाली नमूने में आवश्यकता अनुसार बायोप्सी के लिए भेजा जाता है। स्क्रीनिंग के परिणाम के बाद मरीज को जीवन शैली में बदलाव आदि कl परामर्श दिया जाता है l
यह प्रक्रिया आरंभिक पहचान समय पर उपचार व प्रभावित रोकथाम सुनिश्चित करते हैं जिससे कॉलरेक्टिकल कैंसर की वृद्धि का जोखिम काफी कम हो जाता है। अपोलो कैंसर सेंटर के वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ अमित वर्मा ने कहा कि हमें कोलोरेक्टल कैंसर के लिए प्रोएक्टिव स्क्रीनिंग से आगे बढ़कर रिएक्टिव देखभाल में स्थानांतरित करने की आवश्यकता है। खराब आहार, निष्क्रिय आदतें, आधुनिक जीवन शैली, मोटापे जैसी कारक (सीआरसी) कोलोरेक्टल कैंसर के बढ़ते मामलों में प्रमुख योगदान कर रहे हैं। कॉल फिट प्रोग्राम के साथ हम आरंभिक अवस्था में रोग की पहचान व उपचार को सुलभ बना रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि कोलोरेक्टल कैंसर भारत में युवा व बुजुर्ग आबादी को प्रभावित कर रहा है फिर भी देर से निदान के कारण जीवन प्रत्याशा में कमी की दर चौंकाने वाली है जबकि स्क्रीनिंग कार्यक्रम को अपनाने वाले देशों में इसके बेहतर परिणाम देखे गए हैं। लगभग 50% कोलोरेक्टल कैंसर के मामले एडवांस स्टेज में ही पता चल चलते हैं। इसके अतिरिक्त 20% मामले वृहद रूप से फैले हुए (मेटास्टैसिस) के साथ प्रस्तुत होते हैं। अपोलो कैंसर सेंटर में हम सटीक उपचार व समग्र देखभाल के माध्यम से शुरुआती दौर में ही रोग का पता लगाने के लिए प्रतिबद्ध है ताकि रोगी के परिणाम में सुधार हो सके।
डॉ देवेंद्र सिंह वरिष्ठ उदर रोग विशेषज्ञ, डॉक्टर सीतेंदू पटेल उदर रोग विशेषज्ञ अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर ने कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों के बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त की। साथ hi उसके प्रमुख कारण आधुनिक जीवन शैली, जिसमें शारीरिक श्रम में कमी ,भोजन में फाइबर युक्त पदार्थ में कभी को मुख्य रूप से कारण बताया। उन्होंने भी आरंभिक अवस्था में डायग्नोसिस पर जोर देते हुए कहा कि इससे उपचार में लागत में कमी तथा जीवन प्रत्याशा में वृद्धि होती है। उन्होंने आरंभिक अवस्था में डायग्नोसिस के महत्व को बताते हुए बताया कि उनकी एक पेशेंट 2003 में 18 वर्ष की आयु में आरंभिक लक्षणों के बाद तुरंत ही अस्पताल में आकर उनसे परामर्श लिया तथा उसका समुचित उपचार किया गया और आज 22 वर्षों बाद भी वह सामान्य खुशहाल पारिवारिक जीवन की रही हैं।

अपोलो कैंसर सेंटर के यूनिट सीईओ अर्नब एस रlहा ने इस कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्नत कैंसर देखभाल में अपोलो समूह मैं हमारा लक्ष्य न केवल उपचार करना है बल्कि कोलोरेक्टल कैंसर की रोकथाम में जागरूकता का प्रसार प्रसार करना भी है। नवीनतम उपचारों मल्टीलेवल अप्रोच के साथ हम सटीक देखभाल प्रदान करते हैं जो की जीवन प्रत्याशा में वृद्धि व जीवन की क्वालिटी मैं सुधार करती है l हमारी टीम मरीजों के साथ मिलकर उनकी आवश्यकताओं के अनुसार ट्रीटमेंट प्लान के लिए काम करती है। कोलोरेक्टल कैंसर की रोकथाम के लिए अत्यंत आवश्यक है कि इसका निदान (डायग्नोसिस) आरंभिक अवस्था में ही किया जाए व स्वस्थ जीवन शैली को अपनाया जाए। आज कैंसर के देखभाल करते हैं 360 डिग्री व्यापक देखभाल जिसके लिए कैंसर विशेषज्ञ,आधुनिक उपकरण एवं सपोर्ट टीम एक साथ कार्य करती है। अपोलो कैंसर सेंटर्स जिसमें 390 से अधिक अनुभवी कैंसर विशेषज्ञ शामिल है और जो पूरे भारतवर्ष में लगभग 147 देश के कैंसर मरीजों का इलाज करते हैं। अपोलो कैंसर सेंटर बिलासपुर में भी अत्याधुनिक रेडिएशन मशीन लीनियर एक्सीलेटर 2013 से स्थापित है तथा कैंसर के लिए मेडिकल सर्जिकल एवं रेडिएशन द्वारा उपचार की सुविधा उपलब्ध है।


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