बलात्कार के आरोपी पुलिसकर्मी को अधिवक्ता निखिल शुक्ला की…- भारत संपर्क

आकाश मिश्रा

मनेन्द्रगढ़ जिला न्यायालय के एक संवेदनशील आपराधिक प्रकरण, जिसमें छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में पदस्थ कर्मचारी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(n) के तहत बलात्कार का आरोप दर्ज किया गया था, उस मामले में आरोपी को चालान प्रस्तुत होने से पूर्व ही नियमित जमानत मिल गई, जो कि अधिवक्ता निखिल शुक्ला (उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ ) द्वारा प्रस्तुत की गई गहन कानूनी रणनीति और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णयों की प्रभावी व्याख्या का प्रत्यक्ष परिणाम है। श्री शुक्ला ने न्यायालय के समक्ष यह दृढ़ता से रखा कि आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच दीर्घकालीन प्रेम संबंध आपसी सहमति पर आधारित थे, तथा प्राथमिकी में विवाह के वादे को लेकर कपट या बल प्रयोग का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। साथ ही यह भी तर्क प्रस्तुत किया गया कि आरोपी एक नियमित शासकीय कर्मचारी है, जिसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, और वह जांच में पूर्ण सहयोग कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों — Jothiragawan v. State , Uday v. State of Karnataka , और Deelip Singh @ Dilip Kumar v. State of Bihar — का हवाला देते हुए श्री शुक्ला ने यह स्थापित किया कि यदि कोई संबंध आपसी सहमति से निर्मित हुआ हो और विवाह का वादा कपटपूर्वक सिद्ध न हो, तो वह बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता। न्यायालय ने प्रस्तुत तर्कों व निर्णयों से सहमत होकर आरोपी को नियमित जमानत प्रदान की, जिससे यह साबित होता है कि विधिक प्रक्रिया में निष्पक्षता और अधिकारों की रक्षा सर्वोपरि है। यह सफलता अधिवक्ता निखिल शुक्ला की विधिक सूझबूझ, तथ्यों की गंभीर पड़ताल और न्यायिक दृष्टांतों की सटीक प्रस्तुति का परिणाम है।
Post Views: 2
