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ईएसआईसी हास्पिटल बना सफेद हाथी पर्याप्त डॉक्टर न स्टाफ, भटकते हैं मरीज
ढाई साल बाद भी अस्पताल में इलाज की पूरी सुविधा नहीं, सरकार नहीं दे रही ध्यान

 

कोरबा। ईएसआईसी हॉस्पिटल का संचालन ढाई साल पूर्व प्रारंभ किया गया है, लेकिन अस्पताल में न तो पर्याप्त एमबीबीएस डॉक्टरों की भर्ती हो सकी और ना ही विशषेज्ञ चिकित्सकों की। पैरामेडिकल और नर्स स्टॉफ की कमी की वजह से स्वास्थ्य सुविधाएं ठप पड़ी हुई है। इस कारण यहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए श्रमिक वर्ग भटक रहे हैं। ऊर्जाधानी में कोयला खदान, बिजली प्लांट से लेकर कई औद्योगिक संस्थाएं और कंपनियां संचालित हैं। इन उद्योगों में बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग कार्य कर रहे हैं। लेकिन मजदूर वर्ग के स्वास्थ्य सुविधा को लेकर शासन व प्रशासन गंभीर नहीं है। जिले में करोड़ों रुपए की लागत से ईसीआईसी हॉस्पिटल का भवन का निर्माण कराया गया है। साथ ही मरीजों की सुविधा के लिए जरूरी मशीन और बेड भी है। लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टर, मेडिकल और स्टॉफ नहीं होने की वजह से स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। मरीज इलाज कराने के लिए अस्पताल पहुंचते हैं लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक व सुविधा नहीं होने का हवाला देकर उन्हें अनुबंधित चिकित्सालय रेफर कर दिया जाता है। इसे लेकर मजदूर वर्ग में काफी नाराजगी है। बताया जा रहा है कि वर्तमान में अस्पताल में सिर्फ ओपीडी में ही इलाज की सुविधा है। लेकिन 100 बेड वाले इस अस्पताल में मरीजों को भर्ती कर इलाज करने की सुविधा नहीं है। इसके लिए मरीजों को रेफर कराना पड़ रहा है। इस रेफर की वजह से मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर काटना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि डॉक्टरों, नर्स स्टाफ से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती केंद्र सरकार की गाइडलाइन पर की जाती है। अस्पताल में गर्भवती महिलाओं के प्रसव तक की सुविधा नहीं है। इसके लिए न तो विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है और न ही स्टॉफ नर्स है। इसकी वजह से प्रसव के लिए भी महिलाओं को रेफर किया जा रहा है।
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गिनती के विशेषज्ञ डॉक्टर के भरोसे अस्पताल
बताया जा रहा है कि ईएसआईसी हॉस्पिटल में कुल 55 डॉक्टरों का सेटअप है। इसमें 38 एमबीबीएस और 17 विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल हैं। लेकिन अस्पताल गिनती के विशेषज्ञ डॉक्टर के भरोसे ही अस्पताल संचालित हो रही है। इसके अलावा 53 पैरामेडिकल और 59 नर्स स्टॉफ की जरूरत है, लेकिन अस्पताल में इसकी भी कमी है।

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Arvind Rathore


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