बांगो बांध विस्थापित मछुवारा समुदाय को नहीं मिला है मछली…- भारत संपर्क

बांगो बांध विस्थापित मछुवारा समुदाय को नहीं मिला है मछली पकडऩे का अधिकार, समितियों का बुका में होगा विशाल सम्मलेन, सौंपा ज्ञापन
कोरबा। मिनीमाता बांगो बांध से विस्थापित आदिवासी मछुवारा समुदाय के लोगों ने आदिवासी मछुवारा संघ (बांगो जलाशय) और छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के बैनर तले रायपुर स्थित मत्स्य महासंघ को ज्ञापन सौंपकर विस्थापितों को मछली पकडऩे का अधिकार देने कि मांग की है। मामले में हस्तक्षेप करने और विस्थापित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए मछुवारा समिति के प्रतिनिधियों ने सदन के नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत से भी मुलाकात की है। प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि लगभग 4 दशक पूर्व मिनीमाता बांगो बांध के निर्माण से लाखों हेक्टयर जंगल, जमीन और लगभग 53 गाँव पूर्ण रूप से डूब क्षेत्र के कारण प्रभावित हुए थे द्य विस्थापित अधिकांश गाँव के ग्रामीण डुबान क्षेत्र के आसपास के स्थानों पर ही बसाये गए द्य शासन ने विस्थापित गाँव के लोगों के लिए यह भी सुनिश्चित किया था कि गाँव के ग्रामीण, आदिवासी मछुवारा समुदाय जल भराव क्षेत्र में मछली पालन कर अपनी आजीविका का प्रबंध कर पाएंगे तथा प्रशासन इसके लिए सहयोग भी करेगा । छत्तीसगढ़ शासन कि मत्स्य नीति में भी यह प्रावधान है कि वर्ष 1965 के पूर्व या बाद में मकान, भूमि डूब में आने के कारण विस्थापित व्यक्तियों, परिवारों या उनके समूहों व समिति को सम्बंधित जल क्षेत्र में मत्स्य पालन के लिए प्राथमिकता दिया जाए, परन्तु निजी ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इस प्रावधान को सिर्फ 1000 हेक्टेयर तक के जलाशयों के लिए सीमित कर दिया गया है द्य मत्स्य नीति के इस विरोधाभासी प्रावधान के कारण बड़े जलाशयों के मछुवारे न सिर्फ अपने अधिकारों से वंचित हैं बल्कि उनके सामने आजीविका का गहरा संकट है द्य इस वर्ष जून माह में बांगों जलाशय में मछली पकडऩे के ठेका की अवधि समाप्त होने वाली हैं द्य बांगो बांध के विस्थापित गाँव की सभी 19 मछुवारा समितियों ने संयुक्त रूप से शासन से ठेका व्यवस्था निरस्त कर स्थानीय समितियों को ही मछली पकडऩे के अधिकार देने की मांग रखी है द्य इस सम्बन्ध में सभी विस्थापित गाँव एवं उनकी समितियां शीघ्र ही बुका में विशाल सम्मलेन का भी आयोजन कर अपनी मांगों को शासन के समक्ष रखेंगे द्य प्रतिनिधि मंडल में फिरतु राम बिंझवार आदिवासी मछुवारा संघ (बांगो जलाशय) और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला सहित अन्य शामिल रहे।