पाकिस्तान में चुनाव से पहले एक और मुसीबत, नियमों की अनदेखी पर राजनीतिक दलों पर एक्शन… – भारत संपर्क
पाकिस्तान में चुनाव प्रचार अपने अंतिम दौर में है. (सांकेतिक तस्वीर/pti)
पाकिस्तान में चुनाव में अब चंद रोज ही बचे हैं, लेकिन वहां पर मुसीबत कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. चुनाव से पहले वहां पर रोजाना कुछ न कुछ हंगामा होता ही रहा है. अब एक महिला संगठन ने पाकिस्तान चुनाव आयोग से उन राजनीतिक दलों के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया है जिन्होंने 8 फरवरी को होने वाले चुनाव के लिए सीटें आवंटित करते समय अनिवार्य महिला कोटा की अनदेखी की है.
वहां के नियम के मुताबिक, हर राजनीतिक दल के लिए नेशनल असेंबली और चार प्रांतीय विधानसभाओं में सामान्य सीटों के लिए कम से कम 5 फीसदी महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारना अनिवार्य है. डॉन अखबार ने बताया कि औरत फाउंडेशन (Aurat Foundation) ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी पार्लियामेंटेरियन्स (PPPP), जमात-ए-इस्लामी (JI), अवामी नेशनल पार्टी (ANP), तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP), जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (JUI-F), बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (BNP), पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के खिलाफ पाकिस्तान चुनाव आयोग से शिकायत की गई है कि इन दलों ने महिलाओं उम्मीदवारों को टिकट देने के मामले में तय प्रावधानों का उल्लंघन किया है. ऐसे में आयोग इन दलों पर एक्शन लें.
इमरान की पार्टी का नाम नहीं
शिकायत में जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नाम का जिक्र नहीं किया गया है क्योंकि पार्टी को चुनाव चिन्ह से ही वंचित कर दिया गया है. देश के अलावा जिन 4 प्रांतीय विधानसभाओं में चुनाव होंगे वे हैं पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान प्रांत.
हालांकि पीपीपी के नेता फरहतुल्ला बाबर ने इस आरोप का खंडन किया और दावा किया कि पार्टी ने सामान्य सीटों पर 5 फीसदी से भी अधिक महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. उन्होंने यह भी कहा कि 2018 के आम चुनावों में भी पीपीपी ने 5 फीसदी से अधिक महिला उम्मीदवार उतारे थे.
महिलाओं को जीत दिलाने वाली सीट पर हो बहसः बाबर
उन्होंने यह भी कहा, “मुझे शक है कि अन्य पार्टियों ने चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन किया है क्योंकि हर पार्टी को आयोग के समक्ष यह प्रमाण पत्र दाखिल करना होता है कि उसने 5 फीसदी से अधिक महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.” उन्होंने राजनीतिक दलों के इस नियम के पालन का जिक्र करते हुए कहा, “ज्यादातर राजनीतिक दल, आयोग की शर्तों को पूरा करने के लिए, उन सीटों पर महिला उम्मीदवारों को टिकट देते हैं, जहां पर उनके जीतने की संभावना नहीं होती. हालांकि हमारी पीपीपी अकेली ऐसी पार्टी है जिसमें कई महिला उम्मीदवार हैं जो निजी तौर पर सामान्य सीटों पर भी जीत हासिल कर सकती हैं.
फरहतुल्ला बाबर ने कहा कि अब इस मसले पर बहस शुरू किया जाना चाहिए कि जीतने योग्य सीटें महिलाओं को दी जानी चाहिए जिससे संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ सके. उन्होंने कहा कि आरक्षित और अल्पसंख्यक सीटों पर नामांकन के बाद भी महिलाओं के खाते में आमतौर पर विधानसभाओं में 18 से 23 फीसदी सीटें आती हैं.
क्या कहता है पाकिस्तान का नियम
दूसरी ओर, औरत फाउंडेशन ने नेशनल असेंबली और चार प्रांतीय असेंबली के लिए चुनाव लड़ने वाले कम से कम 8 राजनीतिक दलों की ओर से उतारे गए प्रत्याशियों की समीक्षा करने के बाद चुनावों में महिलाओं की भागीदारी को लेकर एक निराशाजनक तस्वीर पेश की है.
चुनाव अधिनियम 2017 की धारा 206 कहता है कि राजनीतिक दल हर विधानसभा में महिलाओं को कम से कम 5 फीसदी सामान्य सीटों पर टिकट देंगे. राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव अधिनियम 2017 के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान कानून की धारा 217 में किया गया है.
औरत फाउंडेशन ने आयोग से शिकायत करते हुए अनुरोध किया है कि वह तत्काल प्रभाव से मामले का संज्ञान ले और चुनाव अधिनियम 2017 तथा आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ धारा 217 और कानून के अन्य प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई करे. हालांकि अब वोटिंग में महज 3 दिन ही शेष रह गए हैं.