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इस बार नवतपा बना रहा बारिश की स्थिति, 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में होगा सूर्य का प्रवेश

 

कोरबा। नवग्रह के राजा सूर्य 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही नवतपा की शुरुआत हो जाएगी। इस बार रोहिणी का वास समुद्र तट पर होगा। इस दृष्टि से पूर्वोत्तर दिशा में वर्षा की श्रेष्ठतम स्थिति दिखाई देगी। अश्व पर सवार समय पल-पल में बारिश की तीव्रतम स्थिति निर्मित करेगा। उत्तम वर्षा से नदी, तालाब, कुआं, बावड़ी आदि जलाशय लबालब होंगे।ज्योतिषाचार्य ने बताया भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नवतपा की गणना में रोहिणी व समय के निवास का विशेष महत्व है। इससे आगामी वर्षा ऋतु में बारिश की स्थिति का पता लगाया जाता है। वर्षा ऋतु में वर्षा हल्की, मध्यम या तीव्रतम होगी इसका पता समय के वाहन से लगता है। सूर्य का रोहिणी में प्रवेश, नक्षत्र में गोचर का समय, रोहिणी व समय का निवास, समय का वाहन आदि की विवेचना बता रही है, इस बार वर्षा की स्थिति शुभ संकेत दे रही है। इस बार रोहिणी का वास समुद्र में होगा, इस दृष्टि से पूर्वोत्तर दिशा में वर्षा की श्रेष्ठतम स्थिति दिखाई देगी, वहीं दक्षिण पश्चिम में कुछ स्थानों पर खंडवृष्टि एवं कुछ स्थानों पर अतिवृष्टि का दर्शन होगा।सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश तेरह दिन का रहता है लेकिन आमतौर पर इसे नवतपा कहा जाता है। वजह सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के प्रथम नौ दिन मौसम में परिवर्तन की विशेष स्थिति निर्मित करते हैं। इनमें पहले 3 दिन उमस अथवा आंधी, दूसरे तीन दिन कहीं-कहीं तेज हवा और बूंदाबांदी तथा आखिरी के तीन दिन कहीं-कहीं बूंदाबांदी के साथ-साथ तेज वर्षा का योग बनता है। यह हमेशा नहीं होता है फिर भी यदि सूर्य का वृषभ चक्र और मौसम का कारक बुध और चंद्र का केंद्र त्रिकोण संबंध हो तो ऐसी स्थिति बन जाती है। समय का वाहन अश्व है इसलिए वर्षा की तीव्रतम स्थिति पल-पल में दिखाई देगी। यह एक विशिष्ट प्रकार के ऋतु चक्र से संबद्ध होता है। इस दृष्टि से भी समय के वाहन का अश्व के रूप में होना अच्छा माना जाता है। समय का निवास रजक के घर पर होगा। यह समय पर वर्षा की स्थिति को दर्शाता है। हालांकि दिशाओं के आधार पर इसका गणित अलग-अलग प्रकार से बनता है।
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सूर्य का रोहिणी में गोचर 13 दिन का रहेगा
प्रत्येक ग्रह का अलग-अलग राशि व नक्षत्र में गोचर अलग प्रकार का प्रभाव निर्मित करता है। सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में गोचर श्रेष्ठ वर्षा, अतिवृष्टि, मध्यम वर्षा या खंडवृष्टि की स्थिति को तय करता है। इसके पीछे अलग-अलग सैद्धांतिक मान्यता है। इसमें चंद्र, शुक तथा मौसम के कारक ग्रह बुध का अध्ययन भी किया जाता है। सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में गोचर तेरह दिन का रहता है।

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Arvind Rathore


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