होम्योपैथी में हाई ब्लड प्रेशर का उपचार कैसे किया जाता है ? – hypertension…

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होम्योपैथी में हाई ब्लड प्रेशर का उपचार कैसे किया जाता है ? – hypertension…

हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन बहुत सारी समस्याओं को गंभीर बना सकता है। इसे समय रहते कंट्रोल न किया जाए तो व्यक्ति की जान भी जा सकती है। अगर आप एलोपेथी दवाएं नहीं लेना चाहतें , तो यहां होम्योपैथिक उपायों के बारे में बताया जा रहा है।

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में, हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर अब सिर्फ बुज़ुर्गों की समस्या नहीं रही है। आजकल बड़ी संख्या में युवा—विशेषकर 20 से 30 साल की उम्र के लोग—इस समस्या से जूझ रहे हैं। इसका मुख्य कारण है—बैठे रहने वाली जीवनशैली, असंतुलित आहार, अत्यधिक तनाव और अनियमित नींद। यह अब उम्र से जुड़ी हुई बीमारी न होकर, एक आम और तेजी से बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है।

वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे 2025 (World hypertension day 2025)

हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन की गंभीरता को समझने और इसके बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाया जाता है। भारत में लगभग 311 मिलियन लोग हाइपरटेंशन के साथ जी रहे हैं—यानी हर तीन में से एक वयस्क। शहरी क्षेत्रों में इसकी दर 24% से 35.5% तक है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में भी आंकड़े चिंताजनक हैं। वैश्विक स्तर पर, 1.39 बिलियन से अधिक लोग हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं।

नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफॉर्मेशन के अनुसार अक्टूबर 2023 तक भारत में वयस्कों में हाइपरटेंशन की अनुमानित दर 28% है। यह स्थिति दुनियाभर में दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का मुख्य कारण बनी हुई है।

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युवाओं में भी हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ती जा रही है। चित्र : अडोबीस्टॉक

क्यों इतनी तेजी से बढ़ रही है हाइपरटेंशन की समस्या (Common causes of hypertension)

इस बीमारी के कारण आपस में जुड़े और बहुआयामी हैं—बैठे रहने की आदतें, गलत खानपान, नींद की कमी, तनाव और पारिवारिक इतिहास। अक्सर यह समस्या चुपचाप विकसित होती है, और लोगों को तब तक पता नहीं चलता जब तक कि कोई सामान्य जांच या अन्य बीमारी की वजह से इसकी जानकारी न मिले। इसलिए आज की दुनिया में जरूरी है कि हम समय-समय पर अपनी जांच करवाएं और अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहें।

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क्या होम्योपैथी से किया जा सकता है हाइपरटेंशन को कंट्रोल (Hypertension treatment in homeopathy)

होम्योपैथी इस स्थिति को प्रबंधित करने का एक भरोसेमंद और टिकाऊ तरीका बनकर उभरी है। होम्योपैथी की “होलिस्टिक” यानी सम्पूर्ण व्यक्ति को ध्यान में रखकर इलाज करने की पद्धति इसे अन्य उपचार विधियों से अलग बनाती है। इसमें सिर्फ ब्लड प्रेशर के आंकड़े नहीं, बल्कि व्यक्ति की शारीरिक संरचना, भावनात्मक स्थिति, पारिवारिक इतिहास, जीवनशैली और मानसिक तनाव को भी समझा जाता है। होम्योपैथी में दो मरीजों का इलाज कभी एक जैसा नहीं होता क्योंकि हर व्यक्ति अलग होता है।

हाइपरटेंशन के लिए होम्योपैथिक दवाएं (Homeopathic medicines for hypertension)

कुछ प्रभावी होम्योपैथिक दवाएं जो डॉक्टर की सलाह पर असरकारक साबित हो सकती हैं:
Natrum Muriaticum – जब हाई बीपी का कारण भावनात्मक तनाव या दबा हुआ दुख हो।
Lachesis – जिनके लक्षण आराम के बाद बढ़ जाते हैं, और जो चिड़चिड़े और अत्यधिक सोचने वाले होते हैं।

Glonoinum – अचानक बीपी बढ़ने पर, खासकर जब सिर में भारीपन और धड़कन महसूस हो।
Belladonna – जब चेहरे पर लालिमा, गर्मी और धड़कन के साथ अचानक बीपी बढ़े।
Rauwolfia Serpentina – भारतीय जड़ी-बूटी से बनी यह दवा धीरे-धीरे ब्लड प्रेशर को संतुलित करती है और मानसिक तनाव कम करती है।
Crataegus Oxyacantha – दिल को मज़बूती देने वाली दवा जो रक्त संचार में सुधार करती है।
Aurum Metallicum – उन लोगों के लिए जो मानसिक दबाव, गुस्सा या थकावट का बोझ अपने अंदर दबाकर रखते हैं।

बिना डॉक्टरी परामर्श के न लें कोई भी दवा

यह सभी दवाएं व्यक्ति की विशेष जरूरतों के अनुसार दी जाती हैं। इसलिए किसी योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श लेना अत्यंत आवश्यक है। बिना जानकारी के दवा लेना, अगर वह प्राकृतिक हो तब भी हानिकारक हो सकता है।

हाइपरटेंशन से निपटने के लिए कुछ जरूरी उपाय (Tips to deal with hypertension)

बेहतर परिणाम तब मिलते हैं जब होम्योपैथिक इलाज के साथ जीवनशैली में भी जरूरी बदलाव किए जाएं। खानपान इसमें अहम भूमिका निभाता है। मौसमी फल, सब्जियां, साबुत अनाज और अच्छे वसा से युक्त भोजन दिल की सेहत के लिए लाभकारी होता है। DASH डाइट (Dietary Approaches to Stop Hypertension) वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है जो पोटैशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होती है और साथ ही सैचुरेटेड फैट, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम को सीमित करती है।

1 हाइपरटेंशन कंट्रोल करने के लिए डाइट टिप्स

पैकेज्ड फूड के लेबल ज़रूर पढ़ें – सैचुरेटेड फैट 20% से कम होना चाहिए।
हाई फैट वाली चीज़ें जैसे पनीर, अंडे की ज़र्दी, फुल क्रीम दूध, क्रीम, मक्खन और आइसक्रीम से परहेज करें।
चिकन, मछली, सोया, लो फैट डेयरी और स्किनलेस प्रोटीन को प्राथमिकता दें।
‘हाइड्रोजनेटेड’ या ‘पार्शियली हाइड्रोजनेटेड’ शब्दों से सतर्क रहें – यह ट्रांस फैट के संकेत हैं।
प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, तले हुए आइटम और रेडीमेड बिस्किट, कुकीज़, नमकीन से बचें।
मछली और चिकन को फ्राई करने के बजाय ग्रिल, उबाल, बेक या भाप में पकाएं।
हाई फैट सॉस और ड्रेसिंग से दूर रहें।

2 एक्सरसाइज भी है जरूरी 

व्यायाम उतना ही ज़रूरी है जितना खानपान। रोज़ाना थोड़ी देर की वॉक, योग, या सिर्फ 20 मिनट की स्ट्रेचिंग—नियमित रूप से करने पर रक्त संचार बेहतर होता है और बीपी स्वाभाविक रूप से कम होता है। साथ ही ध्यान, साँस लेने के अभ्यास और बेहतर नींद से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। यह कोई कठिन बदलाव नहीं हैं—बस छोटे-छोटे, सोच-समझकर किए गए निर्णय हैं जो समय के साथ बड़ा असर दिखाते हैं।

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योग से करें अपने शरीर को 7 चक्रों को संतुलित। चित्र : अडोबी स्टॉक

3 उपचार में समन्वय बनाकर रखें 

भारत, जहां प्राकृतिक चिकित्सा की गहरी जड़ें हैं और युवा पीढ़ी स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हो रही है, इस समग्र उपचार पद्धति को अपनाने में एक अग्रणी भूमिका निभा सकता है। आधुनिक विज्ञान और पारंपरिक ज्ञान के समन्वय की ओर बढ़ती जागरूकता के साथ, होम्योपैथी उपचार का एक उज्ज्वल भविष्य रखती है।

4 समय रहते ध्यान देना है जरूरी

युवाओं के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है कि वे अपनी सेहत की कमान खुद संभालें। समय रहते हाई बीपी का इलाज आसान है और कई बार इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। सही मार्गदर्शन, वैयक्तिक योजना और निरंतर देखभाल के ज़रिये अधिकांश लोग बिना ज़िंदगीभर दवाओं पर निर्भर हुए स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

याद रखें 

होम्योपैथी सिर्फ नंबर नहीं घटाती, यह संतुलन, लचीलापन और मानसिक स्पष्टता वापस लाती है।
और जब यह जागरूक जीवनशैली के साथ जुड़ती है, तो यह दीर्घकालिक स्वास्थ्य की मजबूत नींव बन जाती है। हाइपरटेंशन आपका भविष्य तय नहीं करता—आप तय कर सकते हैं कि अब से कैसे जिएं।

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