अफगानिस्तान में अलकायदा की वापसी, कभी संबंध तोड़ने की खाई थी कसम | al qaeda growing… – भारत संपर्क

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अफगानिस्तान में अलकायदा की वापसी, कभी संबंध तोड़ने की खाई थी कसम | al qaeda growing… – भारत संपर्क
अफगानिस्तान में अलकायदा की वापसी, कभी संबंध तोड़ने की खाई थी कसम

अफगान‍िस्‍तान में फ‍िर एक बार अलकायदा की एंट्री होने लगी है.

15 अगस्त 2021 को तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया था. सत्ता में आने के बाद उसने दुनियाभर से ढ़ेर सारे वादे किए कि इस बार का उसका शासन पहले से अलग होगा. अब कितने वादे पूरे हुए कितने नहीं, इस पर तो लंबी बहस हो सकती है. लेकिन उन वादों से तालिबान मुकर रहा है ये बात तो साफ नजर आती है. वो इसलिए क्योंकि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट आई है. जिसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में अलकायदा का आतंकवादी समूह अपनी पैठ बना रहा है.

अल कायदा पर नज़र रखने वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक समिति ने रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में कहा गया कि आतंकवादी समूह ने अफगानिस्तान में कई सुरक्षित ठिकानों को सेफहाउस बनाए रखने के साथ-साथ आठ नए ट्रेनिंग कैंम्प भी बनाए हैं. यही नहीं 5 मदरसे और एक हथियार डिपो खोला है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एनालिटिकल सपोर्ट और सैंक्शनंस मॅानिटरिंग टीम ने इस बात पर जोर दिया है कि तालिबान और अल कायदा के बीच संबंध घनिष्ठ बने हुए हैं.

कहां कहां नए शिविर और मदरसे बने?

रिपोर्ट के मुताबिक, अल कायदा के आठ ट्रेनिंग कैंम्प अफगानिस्तान के गजनी, लघमान, परवान और उरुजगान प्रांतों में खोले गए हैं. हालाँकि रिपोर्ट कहती है कि कुछ फौरी तौर पर लगाए गए हैं. लघमान, कुनार, नंगरहार, नूरिस्तान और परवान प्रांतों में, आतंकवादी समूह पांच मदरसे भी चलाता है. इन धार्मिक स्कूलों में बच्चों को लड़ाकू बनने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. वहीं पंजशीर प्रांत में समूह ने “हथियार जमा करने के लिए” एक नया अड्डा भी बनाया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन ट्रेनिंग कैंम्पों में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के लिए सुसाइड बॅीम्बर के लिए भी ट्रेनिंग दी जाती है. इसकी ट्रेनिंग अल कायदा नेता का ही नेता हकीम अल-मसरी देता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इसी एनालिटिकल सपोर्ट और सैंक्शनंस मॅानिटरिंग टीम की पिछली रीपोर्ट में कहा गया था कि आतंकवादी संगठन हेलमंद, ज़ाबुल, नंगरहार, नूरिस्तान, बदघिस और कुनार में ट्रेनिंग कैंम्प चला रहा था. फिलहाल, ये शिविर अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से 10 में काम कर रहे है.

तालिबान ने तोड़ा अपना वादा

ये नया घटनाक्रम तालिबान की अमेरिका से की गई प्रतिज्ञा का सीधा उल्लंघन है. दरअसल, दोहा समझौते के जरिए तालिबान ने वादा किया था कि वह अल-क़ायदा या किसी अन्य चरमपंथी समूह को अपने नियंत्रण वाले इलाकों में काम करने की अनुमति नहीं देगा. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2021 में अमेरिका की तरफ से अपने सैनिकों को वापस बुलाने और आतंकवादी समूह द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से तालिबान ने अल कायदा को संरक्षण और समर्थन बढ़ा दिया है.

अल कायदा ने 1991-2001 में अफगानिस्तान में अपनी प्रशिक्षण गतिविधियों का विस्तार किया था. मोर्चे की लड़ाई के लिए एक बुनियादी ट्रेनिंग, शहरी आतंकवाद सहित कई तरह के कौशल सिखाने वाले विशेष पाठ्यक्रम और अल कायदा के अपने संगठन के निर्माण के लिए एक कैडर पाठ्यक्रम वहां के कैंम्प में पेश किया गया था.

ईरान से कनेक्शन

रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान के काबुल और हेरात प्रांत में कई सुरक्षित ठिकाने अल कायदा को देश में और पड़ोसी ईरान में उसके शीर्ष नेतृत्व के बीच आवाजाही और संपर्क को आसान बनाने में मदद करते हैं. अमेरिकी न्याय विभाग ने अल कायदा के वर्तमान नेता सैफ अल-अदल, जिसके बारे में माना जाता है कि वह ईरान में रह रहा है, उसके सटीक ठिकाने की जानकारी देने वाले को 10 मिलियन डॉलर का इनाम देने की पेशकश की है. जुलाई, 2022 में अमेरिकी ड्रोन हमले में पिछला नेता अयमान अल जवाहिरी मारा गया था.

कथित तौर पर जवाहिरी को तालिबान अफगानिस्तान के वर्तमान आंतरिक मंत्री, आतंकवादी समूह के उप अमीर और हक्कानी नेटवर्क के संस्थापक सिराजुद्दीन हक्कानी के लेफ्टिनेंट के सुरक्षित घर में पनाह दिया गया था. इस समूह को अल कायदा के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण एक विदेशी आतंकवादी संगठन का नाम दिया गया है और हक्कानी को अमेरिका ने वैश्विक आतंकवादियों के रूप में लेबल किया है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है, “अफगानिस्तान में अल कायदा के वरिष्ठ लोगों की उपस्थिति नहीं बदली है, और ये समूह संभावित रूप से खतरा बना हुआ है.” हालाँकि, ये भा कहा गया है कि समूह वर्तमान में बड़े हमले नहीं कर सकता है.

तालिबान ने रिपोर्ट का किया खंडन

हालाँकि, तालिबान ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है और संयुक्त राष्ट्र दुष्प्रचार फैलाने का आरोप लगाया है. तालिबान ने एक बयान में कहा, “अफगानिस्तान में अल कायदा से संबंधित कोई नहीं है, न ही इस्लामिक अमीरात किसी को अफगानिस्तान के क्षेत्र का इस्तेमाल दूसरों के खिलाफ करने की इजाजत देता है.

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