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किताबों की गड़बड़ी रोकने होगी ट्रेकिंग सिस्टम की शुरूआत, पहली से दसवीं तक की पुस्तकों में होगा यूनिक नंबर और बारकोड

कोरबा। इस साल पहली से दसवीं तक की सारे पाठ्य पुस्तकों में एक यूनिक नंबर और बारकोड होगा। इस बारकोड की खासियत यह होगी कि पुस्तक को स्कैन करते ही पता चल जाएगा कि उक्त पुस्तक किस विद्यालय की है। ऐसे में सरकारी पुस्तकों के वितरण में गड़बड़ी करना अब आसान नहीं होगा। अगर किसी स्कूल के द्वारा इन किताबों को बच्चों को बांटने के बजाए रद्दी में बेच दिया जाएगा या फेंक दिया जाएगा तो संबंधित स्कूल पकड़ में आ जाएगा। किताबों की गड़बड़ी रोकने के लिए इस ट्रेकिंग सिस्टम की शुरूआत की गई है। गौरतलब है कि पिछले साल कुछ जिलों में सरकारी स्कूल की हजारों किताबें रद्दी में पाई गई थी। ऐसी गड़बड़ी फिर न हो और जरूरत के हिसाब से पुस्तकें छपे, इसके लिए पाठ्यपुस्तक निगम ने इस बार टेक्नोलॉजी का सहारा लिया है। इसे टैक्स बुक ट्रेकिंग सिस्टम का नाम दिया गया है। प्रत्येक पुस्तक पर एक बारकोड और एक आईएसबीएन (इंटरनेशनल स्टैण्डर्ट बुक नंबर) छपा होगा। इस बारकोड को मोबाइल से स्कैन करते ही यह पता लगाया जा सकेगा कि वह किताब कब और कहां छपी, किस स्कूल को भेजी गई और कितने समय में छात्र तक पहुंची। विद्यालय को कुल कितनी किताबें मिली, कितने बच्चों में बंटी और और कितने शेष बच गए। बची किताबों को शिक्षकों ने वापस किया है या नहीं। सूत्रों के मुताबिक, इस सिस्टम से न केवल पारदर्शिता आएगी बल्कि पाठ्यपुस्तकों का गलत उपयोग रोकने में मदद मिलेगी। हर किताब में बारकोड प्रिंट होकर आएगी। स्कूलों में किताब पहुंचने के बाद सबसे पहले शिक्षक हर एक किताब को पहले अपने मोबाइल के जरिए एक साफ्टवेयर की मदद से स्कैन करेंगे। इसमें स्कूल का यूडाइस समेत अन्य जानकारी भरेंगे। इसके बाद ही बच्चों को बांटेंगे। इससे उक्त विद्यालय की सारी जानकारी उक्त बारकोड में फीड हो जाएगी। ऐसे में जब भी उस किताब को स्कैन किया जाएगा तो पता चल जाएगा कि उक्त किताब किस विद्यालय को भेजी गई थी और किस सत्र में भेजी गई थी।
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निजी स्कूलों में गड़बड़ी की आशंका ज्यादा
सरकारी स्कूलों में कक्षा पहलीं से लेकर दसवीं तक की किताबें मुफ्त में मिलती है। पाठ्यपुस्तक निगम की ओर से यह किताबें सरकारी स्कूलों को हर साल भेजी जाती है। इसी तरह प्राइवेट स्कूलों को भी हिंदी और अंग्रेजी माध्यम दोनों की किताबें भी मुफ्त में मिलती है। निजी स्कूलों में भी किताबों में बोरकोड अंकित रहेगा। इससे यहां भी गड़बड़ी पर रोक लगने की बात कही जा रही है। क्योंकि निजी स्कूलों में सरकारी किताबें पढ़ाने के बजाए निजी पब्लिकेशन की किताबें पढ़ाई जाती है और कई निजी स्कूल सरकारी किताबों को डंप कर देते हैं।

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