पत्नी, प्रेमी संग भागी तो पति ने कहा- भगवान का शुक्र है राजा…- भारत संपर्क


एक समय था जब विवाह को जीवनभर का बंधन माना जाता था, जहां सात फेरों के साथ दो आत्माओं का मिलन सात जन्मों के लिए होता था। लेकिन वर्तमान में, शादी युवाओं के लिए एक भयावह अनुभव बनती जा रही है — प्रेम, धोखा और यहां तक कि मौत के खतरे के बीच।

बदायूं से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक नवविवाहित युवक अपनी पत्नी के प्रेमी के साथ फरार होने की खबर सुनकर न केवल शांत रहा, बल्कि उसने पुलिस स्टेशन में पत्नी को उसके प्रेमी के साथ छोड़ते हुए यह तक कह दिया – “भगवान का शुक्र है, मैं राजा रघुवंशी बनने से बच गया, मेरे लिए यही काफी है।”

13 दिन का रिश्ता और फिर विदाई… हमेशा के लिए
17 मई को विवाह के बंधन में बंधे युवक और युवती की जिंदगी मात्र 13 दिन में बदल गई। पत्नी ससुराल में कुछ दिन रहकर मायके चली गई, और फिर 10 जून को खबर आई कि वह अपने प्रेमी संग भाग गई है। 16 जून को दोनों प्रेमी-प्रेमिका पुलिस द्वारा पकड़ लिए गए और कोतवाली लाए गए। युवती ने साफ-साफ कह दिया कि वह पति के साथ नहीं रहना चाहती और उसी प्रेमी से विवाह करेगी।
इस दौरान युवक ने न तो कोई शिकायत की, न ही कोई दावा या हर्जाना मांगा। उसने सिर्फ इतना लिखकर दिया कि अब उसका उस महिला से कोई वास्ता नहीं है। यह मामला जितना शांत प्रतीत हुआ, उतना ही गहरे में यह आज के युवाओं के मन में विवाह संस्था को लेकर व्याप्त संदेह और भय को दर्शाता है।
शादी से एक दिन पहले दूल्हे का मर्डर
दूसरी ओर रामपुर में एक दिल दहला देने वाली वारदात ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया। जहां इंदौर निवासी राजा रघुवंशी की हत्या हनीमून के दौरान कर दी गई। वहीं, रामपुर में शादी से ठीक एक दिन पहले निहाल नामक युवक की अपहरण कर गला दबाकर हत्या कर दी गई।

निहाल के परिवार के अनुसार, उसकी मंगेतर गुलफ्शा की शादी तय होने से नाराज उसके पुराने प्रेमी सद्दाम ने अपने दो साथियों – अनीस और फरमान – के साथ मिलकर यह हत्या की। शनिवार को खुद को चचेरा साला बताकर एक युवक ने निहाल को घर से बाहर बुलाया, फिर कपड़ों की नाप दिलाने के बहाने बाइक से जंगल की ओर ले गए और उसकी हत्या कर शव वहीं फेंक दिया।
शादी: अब सिर्फ रस्म या जोखिम का सौदा?
इन दोनों घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब विवाह केवल सामाजिक बंधन नहीं रह गया, बल्कि इसमें धोखा, अविश्वास, भावनात्मक टूटन और कई बार मृत्यु तक का खतरा भी जुड़ गया है।
जहां एक ओर बदायूं का युवक विवाह के टूटने को सहजता से स्वीकार कर अपने जीवन को आगे बढ़ाने का प्रयास करता दिखा, वहीं रामपुर में निहाल की कहानी बताती है कि कुछ युवक-युवतियां इस बंधन को लेकर इतने असहज और असुरक्षित महसूस करते हैं कि भावनाओं की जगह हिंसा ले लेती है।
सवाल जो समाज के सामने खड़े होते हैं:
क्या आज के युवा विवाह को गंभीरता से ले पा रहे हैं?
क्या प्रेम और विवाह के बीच की सीमाएं धुंधली हो गई हैं?
क्या परिवार, समाज और कानून विवाह पूर्व ईमानदारी और पारदर्शिता को लेकर पर्याप्त रूप से सजग हैं?
इन घटनाओं ने समाज के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। विवाह जैसी संस्था की गरिमा और उसका भविष्य इन घटनाओं के प्रकाश में पुनः विचारणीय हो गया है। प्रेम, विश्वास और संवाद के बिना विवाह न केवल असफल हो सकता है, बल्कि त्रासदी का रूप भी ले सकता है।
अब समय आ गया है कि हम विवाह को सिर्फ एक सामाजिक रस्म नहीं, बल्कि भावनात्मक, मानसिक और कानूनी जिम्मेदारी के रूप में देखें — ताकि ‘रघुवंशी’ जैसी त्रासदियां दोहराई न जाएं, और ‘निहाल’ जैसी हत्याएं रोकी जा सकें।
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