क्या है राजीव गांधी इक्विटी स्कीम? निवेश करने पर मिलती है 50…- भारत संपर्क

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क्या है राजीव गांधी इक्विटी स्कीम? निवेश करने पर मिलती है 50…- भारत संपर्क

इनकम टैक्स रिटर्न की फाइलिंग जल्द शुरू होने वाली है. उसके बाद से कई टैक्सपेयर फाइल करने में लग जाएंगे. अगर आप उन लोगों की लिस्ट में है और इस बात को लेकर चिंतित हैं कि टैक्स सेविंग का कोई तरीका मिल जाए तो यह खबर आपके लिए है. हम इसमें एक ऐसी स्कीम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका फायदा आप ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत उठा पाएंगे. उस स्कीम का नाम राजीव गांधी इक्विटी स्कीम है, जो टैक्स बेनिफिट्स प्रदान करती है, राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम छोटे निवेशकों को डोमेस्टिक कैपिटल मार्केट में बचत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी.

क्या है राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम?

राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम (आरजीईएसएस) की घोषणा 2012-13 में केंद्रीय बजट में की गई थी और 2013-14 में इसका और विस्तार किया गया. यह एक टैक्स सेविंग स्कीम है. यह विशेष रूप से नए निवेशकों के लिए डिज़ाइन की गई है, जिनके पास सिक्योरिटी मार्केट में बहुत कम या कोई अनुभव नहीं है और जिनकी प्रति वर्ष ग्रॉस इनकम एक निश्चित राशि से कम है. वह इसका फायदा उठा सकते हैं. जब योजना शुरू की गई थी तो 2012-13 में इनकम लिमिट 10 लाख रुपये रखी गई थी. 2013-14 में इसे बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया गया. आयकर अधिनियम की धारा 80सीसीजी के तहत, निवेशक वर्ष के दौरान निवेश की गई राशि में से 50 प्रतिशत की कटौती के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिसमें उन्हें 50 हजार रुपए की टैक्स छूट मिल सकती है.

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इस योजना का उद्देश्य

इस योजना का उद्देश्य भारत के सिक्योरिटी मार्केटों में रीटेल निवेशकों के आधार का विस्तार करना और बदले में वित्तीय समावेशन और वित्तीय स्थिरता लाना है. यह देश में इक्विटी निवेश की संस्कृति को जन्म देकर बचत के प्रवाह को प्रोत्साहित करके घरेलू पूंजी बाजार में सुधार को प्रोत्साहित करता है. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि आप इस योजना का लाभ तभी उठा पाएंगे जब आप सरकार द्वारा तय की गई गाइडलाइन को पूरा करते हैं.

  • रीटेल निवेशक भारत के निवासी हो.
  • निवेशक का डेरिवेटिव बाजार और इक्विटी बाजार में कोई इतिहास नहीं रहा हो.
  • उस वित्तीय वर्ष के लिए ग्रॉस इनकम 10 लाख रुपये से कम या उसके बराबर होनी चाहिए.
  • निवेश केवल उन कंपनियों में किया जा सकता है जो बीएसई-100 या सीएनएक्स-100 में शामिल हो या उनके “फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर” से संबंधित हो.
  • 51 फीसदी या उससे ज्यादा सरकारी हिस्सेदारी वाले पीएसयू के आईपीओ में ही निवेश करना होगा.
  • निवेश केवल म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड योजनाओं में किया जा सकता है जो आरजीईएसएस पात्र प्रतिभूतियों और उनके “नए फंड ऑफर” में निवेश करते हैं, जिसे एनएफओ कहा जाता है.

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