रन बरसाते रहे इंग्लैंड के बल्लेबाज, मगर ये गेंदबाज करता रहा इंतजार, क्या गं… – भारत संपर्क

गौतम गंभीर और शुभमन गिल को नहीं अपने खिलाड़ी पर भरोसा?Image Credit source: PTI
नए कप्तान शुभमन गिल के नेतृत्व में टीम इंडिया पहली बार कोई टेस्ट सीरीज खेल रही है. गिल की कप्तानी की शुरुआत ही इंग्लैंड जैसे मुश्किल दौरे से हुई है. ऐसे में वो क्या करते हैं, कैसे फैसले लेते हैं, उस पर हर किसी की पैनी निगाहें रहेंगी. जाहिर तौर पर अनुभव की कमी के कारण उनके कुछ फैसले सवालों के घेरे में भी आएंगे. ऐसा ही एक फैसला लीड्स टेस्ट के दूसरे ही दिन देखने को मिला, जब टीम इंडिया को विकेट की सख्त तलाश थी लेकिन एक गेंदबाज बस इंतजार करता रह गया. ये गेंदबाज थे- शार्दुल ठाकुर.
भारतीय गेंदबाजों की होती रही पिटाई
लीड्स में शनिवार 21 जून को टेस्ट मैच का दूसरा दिन था. पहले दिन टीम इंडिया ने अपनी बैटिंग की शुरुआत की थी और दूसरे दिन के दूसरे सेशन में जाकर उसकी पारी खत्म हुई. इस वक्त तक बतौर कप्तान गिल को सिर्फ अपनी बैटिंग से जलवा दिखाने का मौका मिला था, जिसमें वो सफल भी हुए. फिर दूसरे सेशन से उनकी असली परीक्षा शुरू हुई, जब इंग्लैंड की टीम बैटिंग के लिए उतरी. यहीं से हर कोई ये देखना चाहता था कि वो गेंदबाजी में कैसे बदलाव करते हैं और किस तरह इंग्लैंड पर दबाव बना पाते हैं.
मगर सिर्फ 2 सेशन के अंदर ही बतौर कप्तान शुभमन गिल के एक फैसले ने सवाल खड़े कर दिए. असल में टीम इंडिया के लिए जसप्रीत बुमराह ने पहले ओवर में ही विकेट हासिल कर लिया था लेकिन इसके बाद अगले विकेट के लिए उसे 29वें ओवर तक इंतजार करना पड़ा. इस दौरान बुमराह को छोड़कर बाकी 3 गेंदबाज- मोहम्मद सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा और रवींद्र जडेजा- कुछ खास असर नहीं डाल सके. बेन डकेट और ऑली पोप तेजी से बैटिंग करते हुए लगातार रन बटोर रहे थे.
मगर शार्दुल ठाकुर करते रहे इंतजार
ऐसे में जब टीम इंडिया को विकेट नहीं मिल रहा था, तब कप्तान गिल के फैसले ने हर किसी को हैरान कर दिया. भारतीय टीम ने इस मैच में पांचवें गेंदबाज के रूप में शार्दुल ठाकुर को शामिल किया था लेकिन फिर भी उन्हें इस दौरान गेंदबाजी के लिए नहीं उतारा गया. जाहिर तौर पर गिल का कप्तान के रूप में मैदान पर सही मायनों में ये पहला दिन था. ऐसे में उनके अनुभवी की कमी को समझा जा सकता है. मगर ड्रेसिंग रूम में बैठे हेड कोच गौतम गंभीर की नजरें भी मैदान पर थीं. ऐसे में क्या उन्होंने भी गिल को ये सलाह नहीं दी कि शार्दुल ठाकुर को गेंदबाजी के लिए लगाया जाए?
गिल-गंभीर को नहीं शार्दुल पर भरोसा?
इससे सवाल उठना लाजिमी है कि क्या गौतम गंभीर और कप्तान गिल को शार्दुल ठाकुर की गेंदबाजी पर भरोसा नहीं हैं? अगर भरोसा नहीं है तो क्या उन्हें प्लेइंग इलेवन में चुना जाना सही था? अगर बैटिंग में गहराई के लिए ही उनका चयन किया गया तो क्या नीतीश कुमार रेड्डी इससे बेहतर विकल्प नहीं होते? ये सवाल उठते रहेंगे. जहां तक गेंदबाजी की बात है तो शार्दुल ठाकुर को आखिरकार 40वें ओवर में पहली बार गेंदबाजी के लिए उतारा गया. मगर तब तक गेंद का नयापन और चमक काफी कम हो गई थी. ऐसे में गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराने की काबिलियत रखने वाले शार्दुल ठाकुर का असर कम होना स्वाभाविक था और वही हुआ. शार्दुल ने सिर्फ 3 ओवर गेंदबाजी की और उसमें 23 रन खर्च दिए.