सपा से मनोज-अभय-राकेश को मिली सियासी बुलंदी, अखिलेश के एक्शन के बाद अब कैसे… – भारत संपर्क

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सपा से मनोज-अभय-राकेश को मिली सियासी बुलंदी, अखिलेश के एक्शन के बाद अब कैसे… – भारत संपर्क

अभय सिंह, राकेश सिंह, मनोज पांडेय और अखिलेश यादव

समाजवादी पार्टी से बगावत करने वाले सात विधायकों में से तीन विधायकों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को अयोध्या की गोसाईगंज सीट से विधायक अभय सिंह, अमेठी की गौरीगंज सीट से विधायक राकेश सिंह और रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज पांडेय को सपा से निष्कासित कर दिया है. अखिलेश के एक्शन के बाद तीनों विधायकों की सदस्यता तो बच गई है और अब डेढ़ साल तक कोई खतरा नहीं है, लेकिन आगे का सियासी सफर आसान नहीं है.
राज्यसभा चुनाव 2024 के दौरान क्रॉस वोटिंग करने वाले मनोज पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को सपा से बाहर कर दिया है, जबकि राकेश पांडेय, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी और आशुतोष मौर्य पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

अखिलेश के इस कार्रवाई के बाद सवाल उठने लगा है कि मनोज, राकेश और अभय सिंह का राजनीतिक भविष्य क्या होगा, क्योंकि सपा में रहते हुए तीनों नेता विधायक बन और सियासी बुलंदी मिली है, लेकिन पार्टी से बाहर होने के बाद राजनीतिक उड़ान कैसे भरेंगे?
सपा में मनोज-राकेश-अभय को मिली बुलंदी
सपा ने अमेठी के गौरीगंज से राकेश प्रताप सिंह, अयोध्या की गोसाईंगंज से अभय सिंह और रायबरेली की ऊंचाहार सीट से मनोज पांडेय को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. ये तीनों ही नेता 2012 में पहली बार सपा से विधायक चुने गए. मनोज पांडेय और राकेश प्रताप सिंह 2012, 2017 और 2022 में लगातार सपा से विधायक चुने गए जबकि अभय सिंह 2012 और 2022 में सपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. अभय सिंह और मनोज पांडेय पहले ही चुनावी किस्मत आजमा चुके थे, लेकिन जीत दर्ज नहीं कर सके थे. अभय सिंह बसपा से लेकर अपना दल तक से चुनावी किस्मत आजमा चुके थे, लेकिन जीत सपा से मिली. इसी तरह बीजेपी में रहते मनोज पांडेय विधायक नहीं बन सके.
राकेश प्रताप सिंह और मनोज पांडेय को 2012 में पहली बार विधायक बनने के बावजूद अखिलेश यादव ने मंत्री बनाकर अपनी कैबिनेट का हिस्सा बनाया था. मंत्री बनने के बाद राकेश प्रताप सिंह और मनोज पांडेय ने यूपी की राजनीति में मजबूत पहचान बनाई. ऐसे ही अभय सिंह ने भी अपना सियासी रसूख सपा में रहते हुए गोसाईगंज ही नहीं बल्कि अयोध्या जिले में स्थापित करने में सफल रहे. अखिलेश यादव के करीबी होने के नाते अभय सिंह से लेकर मनोज पांडेय और राकेश प्रताप सिंह की सपा में तूती बोला करती थी.
सपा से बाहर होने के बाद अब क्या करेंगे तीनों?
अखिलेश यादव ने सोमवार को राकेश प्रताप सिंह, मनोज पांडेय और अभय सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बाहर का रास्ता दिखा दिया है. सपा ने जिन तीन विधायकों को निष्कासित किया है, उसके पीछे की वजह बीजेपी के लिए काम करने की बात कही है. ऐसे में अखिलेश के एक्शन के बाद तीनों विधायकों को बड़ी राहत मिली है. अब इन तीनों विधायकों की सदस्यता पर कोई खतरा नहीं है, क्योंकि पार्टी से बाहर होने की वजह से इनपर दल बदल कानून के तहत कार्रवाई भी नहीं हो सकती.
मनोज पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह बिना विधायकी से इस्तीफा दिए जिस भी राजनीतिक दल के साथ जाना चाहे, जा सकते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह और मनोज पांडे जल्द ही बीजेपी की सदस्यता ले सकते हैं, क्योंकि राज्यसभा चुनाव से खुलकर बीजेपी के पक्ष में खड़े हुए नजर आ रहे हैं. ऐसे में देर सबेर बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. मनोज पांडेय 2024 में ही अपने आपको बीजेपी में शामिल होने की बात कर रहे हैं. राकेश प्रताप और अभय सिंह बीजेपी की भाषा बोल रहे हैं, लेकिन बीजेपी के दामन थामने की बात नहीं कह रहे हैं.
2027 में कैसे भर पाएंगे राजनीतिक उड़ान?
अखिलेश यादव के एक्शन के बाद मनोज पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह के राजनीतिक उड़ान पर ग्रहण लग सकता है. डेढ़ साल तक तीनों विधायक की विधानसभा सदस्यता तो बरकरार रहेगी, लेकिन 2027 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी उन्हें उनके क्षेत्र से प्रत्याशी बनाएगी. मनोज पांडेय के 2024 में रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर थी, लेकिन बीजेपी ने दिनेश प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया था. ऐसे में 2027 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी मनोज पांडेय को ऊंचाहार से टिकट दे सकती है, लेकिन राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह के लिए सियासी राह आसान नहीं है.
राकेश प्रताप सिंह के खिलाफ गौरीगंज से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले चंद्र प्रकाश मिश्रा मटियारी पूर्व सांसद स्मृति ईरानी के करीबी माने जाते हैं. मटियारी खुलकर राकेश प्रताप सिंह का विरोध कर सकते हैं. ऐसे ही गोसाईगंज सीट पर अभय सिंह के लिए बीजेपी से टिकट पाना आसान नहीं है. इसकी वजह उनकी छवि एक बाहुबली नेता की और मुख्तार अंसारी के साथ उनके रिश्ते जगजाहिर हैं. इसके अलावा गोसाईगंज से 2017 में अभय सिंह को चुनाव हारने वाले इंद्रर प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी भी बीजेपी के टिकट की दावेदारी कर सकते हैं. इस तरह तीनों ही नेताओं को बीजेपी से टिकट के लिए मशक्कत करनी होगी.
मनोज-राकेश-अभय कैसे साधेंगे समीकरण
बीजेपी से 2027 में राकेश प्रताप सिंह को गौरीगंज,मनोज पांडेय को ऊंचाहार और अभय सिंह को गोसाईगंज से टिकट दे भी देती है तो तीनों के लिए जीत दर्ज करना आसान नहीं होगा. लोकसभा चुनाव 2024 में खुलकर तीनों ही नेताओं ने बीजेपी के लिए प्रचार किए. इसके बाद भी तीनों ही विधायक अपने-अपने क्षेत्र में बीजेपी को जीत नहीं दिला सके. इतना ही नहीं तीनों के विधानसभा क्षेत्र से इंडिया गठबंधन को बढ़त मिली थी. मनोज पांडेय के ऊंचाहार और राकेश प्रताप के गौरीगंज सीट से कांग्रेस को बढ़त मिली थी और अभय सिंह के गोसाईगंज सीट से सपा को लीड मिली थी.
मनोज पांडेय बीजेपी के टिकट पर 2027 में ऊंचाहार सीट से उतरते हैं तो जीत दर्ज करना आसान नहीं होगा. इसकी वजह सीट का सियासी समीकरण है. ऊंचाहार सीट पर बीजेपी को कभी जीत नहीं मिली, न ही राम मंदिर आदोलन के दौरान और न ही मोदी-योगी की लहर में. सपा के टिकट पर यादव-मुस्लिम-ब्राह्मण गठजोड़ के सहारे मनोज पांडेय ऊंचाहार में हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन बीजेपी से चुनाव लड़ते हैं तो यादव और मुस्लिम दोनों ही छिटक जाएंगे. ऐसे में ब्राह्मण के साथ किस वोट का समीकरण बनाएंगे? क्योंकि मनोज पांडेय के चलते पहले से ही ठाकुर बनाम ब्राह्मण की अदावत चली आ रही है. मनोज पांडेय बहुत मामूली वोटों से ही अभी तक जीतते रहे हैं, जिसके चलते बीजेपी के टिकट पर उनका जीतना मुश्किल है.
जातिगत समीकरण बनेंगे मुसीबत
गौरीगंज और गोसाईगंज विधानसभा सीट के सियासी समीकरण भी बीजेपी के पक्ष में नजर नहीं आ रहे हैं. अभय सिंह गोसाईगंज और राकेश प्रताप गौरीगंज सीट पर ठाकुर-यादव-मुस्लिम समीकरण के बदौलत विधायक बनते रहे हैं. इन दोनों ही सीट पर यादव समुदाय का 50 हजार से ज्यादा वोट है. ऐसे ही ऊंचाहार सीट पर भी 50 हजार से यादव समाज है. गौरीगंज में मुस्लिम वोट करीब 65 हजार है तो गोसाईगंज सीट पर 45 हजार मुस्लिम है. ऊंचाहार में मुस्लिम वोटर 30 हजार के करीब हैं.
ऊंचाहार विधानसभा सीट की तरह गोसाईगंज और गौरीगंज विधानसभा सीट पर ठाकुर बनाम ब्राह्मण की सियासी अदावत रही है. राकेश प्रताप और अभय सिंह के खिलाफ बीजेपी से ब्राह्मण चेहरे ही अभी तक चुनाव लड़ते रहे हैं. बीजेपी 2027 में अगर उन्हें टिकट देती है तो फिर दोनों ही सीट पर ब्राह्मण समुदाय का वोट छिटक सकता है. वहीं, ऊंचाहार में मनोज पांडेय के चुनाव लड़ने पर ठाकुर वोटर अलग सियासी राह पकड़ सकता है. ऐसे में मनोज पांडेय ऊंचाहार, राकेश प्रताप सिंह गौरीगंज और अभय सिंह गोसाईगंज सीट से कैसे 2027 में अपनी सियासी नैया पार लगा सकेंगे?

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