रोहिंग्या शरणार्थी करेंगे ‘जिहाद’, भारत के पड़ोस में अब मचेगा बड़ा बवाल – भारत संपर्क


रोहिंग्या शरणार्थी अपने घर लौटने के लिए सशस्त्र विद्रोह के लिए भी तैयार हैं.
बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रह रहे रोहिंग्या युवा अब जिहाद और युद्ध के लिए तैयार हैं. अपने वतन और घर म्यामांर के रखाइन क्षेत्र में वापस लौटने के लिए वह सशस्त्र संघर्ष के लिए भी तैयार हैं. वह ज्यादा दिन तक शरणार्थी शिविरों में नहीं रहना चाहते, उनमें अपने घर जाने की धारणा लगातार विकसित हो रही है. इसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार हैं.
कॉक्स बाजार के शरणार्थी शिविर में रह रहे एक रोहिंग्या युवक से बातचीत के आधार पर बीबीसी बांग्ला में प्रकाशित रिपोर्ट में यह कहा गया है कि रोहिंग्या अपने घर जाने को बेताब हैं. युवक के हवाले से लिखा है कि वह आजादी के लिए अराकान सेना के साथ लड़ने के लिए तैयार हैं. इसी तरह उखिया कैंप में भी एक युवक ने कहा कि हम अपने घर को पाने के लिए जिहाद के लिए तैयार हैं, इसके लिए एसआरएसए, आरएसओ, सभी मिलकर काम कर रहे हैं.
जिहाद और युद्ध भड़काने में लगे संगठन
रोहिंग्या शिविरों में नियमित रूप से बैठकें आयोजित की जा रही हैं, कम से कम चार संगठन ऐसे हैं जो शरणार्थियों के बीच में जाकर जिहाद और युद्ध भड़काने में लगे हैं. इन समूहों में अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी, रोहिंग्या सॉलिडेरिटी ऑर्गनाइजेशन, इस्लामिक महाज और अराकान रोहिंग्या आर्मी है. यह संगठन लगातार रोहिंग्या शरणार्थियों को एकजुट कर इन्हें अराकान सेना के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं.
आईसीजी की रिपोर्ट में पहले ही जताई जा चुकी है चिंता
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप ने हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें आशंका जताई गई है कि बांग्लादेश में शरण लेने वाले रोहिंग्या शरणार्थी अराकान आर्मी के खिलाफ विद्रोह कर सकते हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों ने आपसी संघर्षों को स्थगित कर नए सदस्यों की भर्ती बढ़ा दी है.
धार्मिक भाषा का किया जा रहा प्रयोग
आईसीजी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आतंकी समूह म्यांमार के रखाइन में लड़ने के लिए शरणार्थियों को भड़का रहा है. ICG में बांग्लादेश और म्यांमार पर वरिष्ठ सलाहकार थॉमस केन ने बीबीसी बांग्ला को बताया कि आतंकी संगठन पिछले डेढ़ साल से इस तरह का प्रयास कर रहे हैं. सशस्त्र समूह लगातार यह कर रहे हैं कि हमें वापस जाना होगा और अराकान सेना से लड़ना होगा. ICG की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रोहिंग्या शििवरों में बैठकों और सदस्यों की भर्ती के अलावा विभिन्न प्रशिक्षण भी आयोजित किए जाते हैं.
पैदा होंगे बहुत ही खतरनाक हालात
ICG के मुताबिक यह बहुत ही खतरनाक संदेश हैं, क्योंकि अगर रोंहिग्या शरणार्थी अराकान सेना के खिलाफ विद्रोह करते भी हैं तो इसके सफल होने की संभावना बहुत कम है. ये वही हल है जिसने म्यांमार सेना को हराया है. ऐसे में रोहिंग्या शरणार्थियों के विद्रोह में असफल होने पर बांग्लादेश, वहां के नागरिकों को रोहिंग्या आबादी पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. यह प्रभाव विनाशकारी भी हो सकता है.