टैक्स विवाद पर कर्नाटक सरकार का दावा गलत, केंद्र ने कहा 1.74…- भारत संपर्क

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टैक्स विवाद पर कर्नाटक सरकार का दावा गलत, केंद्र ने कहा 1.74…- भारत संपर्क

कर्नाटक सरकार का टैक्स विवाद दिल्ली की सड़कों पर दिखाई दिया. कर्नाटक सरकार केंद्र पर भेदभाव समेत कई तरह के आरोप भी लगाए. केंद्र सरकार ने कर्नाटक सरकार को झूठा करार दिया. केंद्र की सत्ता ने जवाब दिया कि राज्य सरकार झूठे आंकड़ें पेश कर रही है. जो बयान कर्नाटक सरकार की ओर से दिए जा रहे हैं वो पूरी तरह से बेसलेस है. वित्त वर्ष 2024-25 तक केंद्र सरकार राज्य सरकार को 1.74 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा आवंटित कर चुकी होगी. सरकार ने कर्नाटक सरकार के दावे का लिखित में जवाब दिया है और वो भी आंकड़ों के साथ. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर केंद्र सरकार ने कर्नाटक सरकार को किस तरह के जवाब दिए हैं.

नुकसान पर केंद्र का जवाब

केंद्र सरकार ने स्पष्टीकरण दिया कि सेंट्रल टैक्स के बंटवारे में भेदभाव का आरोप पूरी तरह से गलत हैं. कर्नाटक सरकार के दावों में कई फैक्चुअल मिस्टेक्स हैं. साथ ही राज्य सरकार ने 15वें फाइनेंस कमिशन के टेन्योर में हुए प्रॉफिट जानकारी दिए बिना कथित तौर पर हुए कुछ नुकसान का जिक्र किया है. केंद्र सरकार ने जानकारी देते हुए कहा कि मौजूदा समय में राज्यों के हिस्से का हस्तांतरण 15वें वित्त आयोग (एफसी) की सिफारिशों के अनुसार होता है. 15वें एफसी ने अक्टूबर 2020 में अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश की थी और सरकार ने 2021 में आयोग की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई के बारे में मेमोरेंडम दिया था. 15वें एफसी का अवॉर्ड पीरियड 2020-21 से 2025-26 तक है.

केंद्र सरकार ने बताया कि 14वें एफसी की पांच साल के अवॉर्ड पीरियड (2015-16 से 2019-20) के दौरान कर्नाटक को टैक्स डिवोल्यूशन के रूप में 1,51,309 करोड़ मिले. हालांकि, मौजूदा फाइनेंस ​कमिशन के पहले चार वर्षों में, कर्नाटक को मार्च, 2024 तक पहले ही 1,29,854 करोड़ रुपये मिल चुके होंगे. भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट में 44,485 करोड़ रुपए जारी करने का अनुमान लगाया है. इसका मतलब है कि पांच साल में राज्य को कुल मिलाकर 1,74,339 करोड़ रुपए मिल चुका होगा. कोविड-19 पीरियड के दौरान रेवेन्यू में भारी गिरावट के बावजूद यह 14वें एफसी पीरियड से ज्यादा है. केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य घाटे के अपने झूठे दावे को मजबूत करने के लिए कर्नाटक सरकार ने अगले 2 वित्तीय वर्षों अर्थात 2024-25 और 2025-26 की कमी को भी शामिल किया है.

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सेस और सरचार्ज पर स्पष्टीकरण

कर्नाटक सरकार ने लोगों को गुमराह करने के लिए भारत सरकार द्वारा लगाए गए सेस और सरचार्ज में वृद्धि को दिखाया गया है, जिसमें केंद्र को अनुचित लाभ देने की कोशिश की गई है. जबकि सेस के एक बड़े हिस्से का उल्लेख नहीं किया गया है, जिसमें जीएसटी कंपंसेशन सेस शामिल है. यह सेस केंद्र सरकार से संबंधित नहीं है यह पूरी तरह से राज्य सरकार को फायदा पहुंचाता है. वित्त वर्ष 2021-22 में सेस और सरचार्ज के रूप में 4.81 लाख करोड़ रुपए कलेक्ट किए गए थे, जिसमें से 104,769 करोड़ रुपए का अमाउंट राज्यों के लिए जारी किया गया था.

राज्य को हुए नुकसान पर स्पष्टीकरण

कर्नाटक सरकार ने इस फैक्ट को नहीं बताया कि उसे 15वें फाइनेंस कमीशन में 1,631 करोड़ रुपए का रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट मिला है. उसी तरह से केरल को भी रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट दिया गया है. जबकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार जैसे दूसरे राज्यों को रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट नहीं दिया है. डिवोल्यूशन के अलावा, भारत सरकार ने मार्च, 2022 में कर्नाटक को 12671 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि दी, जो 1996 से बकाया है. यह पैसा 2014 से पहले की सरकारों के साथ बकाया राशि के रूप में 81,470 करोड़ रुपये के समझौते का हिस्सा था. केंद्र सरकार ने कर्नाटक को योजना के तहत 50 साल तक ब्याज मुक्त लोन के रूप में 6280 करोड़ रुपए दिए.कर्नाटक को अब तक 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान आपदा राहत के लिए 6,136 करोड़ रुपए की राशि भी दी जा चुकी है.

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