अब क्या होगा? इधर रूस ने यूक्रेन पर तेज किए हमले, उधर अमेरिका ने रोक दी हथियारों की… – भारत संपर्क


पुतिन, ट्रंप और जेलेंस्की.
रूस–यूक्रेन युद्ध में हालात बदतर होते जा रहे हैं, एक तरफ तो रूस ने यूक्रेन पर ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए हैं, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका ने यूक्रेन को दी जाने वाली अहम हथियारों की आपूर्ति पर अस्थायी रोक लगा दी है. इन हथियारों में पैट्रियट एयर डिफेंस मिसाइलें, GMLRS प्रिसिशन-गाइडेड मिसाइलें, हेलफायर मिसाइलें और होवित्जर राउंड्स शामिल हैं.
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक पेंटागन ने यह कदम अमेरिका के हथियार भंडार में आई गिरावट को देखते हुए उठाया है. रक्षा नीति के लिए उप सचिव एल्ब्रिज कोल्बी ने कहा कि, ‘यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि राष्ट्रपति ट्रंप यूक्रेन को सैन्य सहायता जारी रखने के लिए प्रभावी विकल्पों के साथ आगे बढ़ सकें, और साथ ही इस दुखद युद्ध को समाप्त करने के अपने लक्ष्य के अनुरूप काम कर सकें. कोल्बी ने यह भी कहा, विभाग यह सुनिश्चित करने के लिए रणनीति की समीक्षा कर रहा है कि अमेरिका की सेनाएं अपनी तैयारी बनाए रखें.
यूक्रेन नेजताई नाराजगी
ओहायो की सांसद मार्सी कैप्टर, जो कांग्रेस यूक्रेन कॉकस की सह-अध्यक्ष हैं, ने इस अमेरिका के फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि यूएस निर्मित पैट्रियट जैसे एयर डिफेंस सिस्टम यूक्रेन की सुरक्षा की रीढ़ हैं. ये प्रभावी हैं और रोज जानें बचाते हैं. अगर अमेरिका ये हथियार देना बंद कर देता है तो यूक्रेन के पास कोई विकल्प नहीं रहेगा.
किन हथियारों की आपूर्ति रोकी गई?
1- AIM-7 स्पैरो मिसाइल (मध्यम दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइल)
2- स्टिंगर मिसाइलें (कम दूरी की रक्षा प्रणाली)
3- AT-4 ग्रेनेड लॉन्चर
रूस ने यूक्रेन पर तेज किए हमले
रूस की सेना ने यूक्रेन पर हमले तेज कर दिए हैं, हाल ही में रूस की ओर से यूक्रेन पर पिछले तीन साल में सबसे बड़ा हवाई हमला किया था. माना जा रहा है कि ऐसे समय यूक्रेन को अमेरिका की ज्यादा जरूरत थी. हालांकि अमेरिका ईरान और इजराइल युद्ध को लेकर संशय में है, दरअसल अमेरिका ने ईरान पर हमला कर युद्ध का खतरा मोल ले लिया है. इसके बाद ही ईरान ने कतर में अमेरिकी बेस पर हमला किया था. अब ऐसी स्थिति से बचने के लिए अमेरिका ने कतर में अल-उदीद एयरबेस पर ईरान द्वारा किए गए बैलिस्टिक मिसाइल हमले को रोकने के लिए एयर डिफेंस सिस्टम सक्रिय किए हैं. माना जा रहा है कि इसीलिए अमेरिका पहले अपने लिए हथियारों का इंतजार करना चाहता है. इसीलिए उसने ये फैसला लिया है.