बांस के जंगल को खतरा, सड़कों और बाजारों में बिक रहा करील,…- भारत संपर्क
बांस के जंगल को खतरा, सड़कों और बाजारों में बिक रहा करील, बांस की कोपलों को काटकर बाजारों तक ला रहे व्यापारी
कोरबा। वन विभाग की सख्त रोक और चेतावनी के बावजूद शहर की सड़कों और सब्जी बाजारों में खुलेआम करील की बिक्री जारी है। बांस की नई कोपलों को करील कहते हैं, जो जून से अगस्त के बीच बांस के झुरमुटों में उगती हैं। इन कोपलों से ही बांस के नए पौधे विकसित होते हैं, इसलिए इनकी कटाई और बिक्री पर वन विभाग ने सख्त प्रतिबंध लगाया है। बावजूद इसके व्यापारी चोरी-छिपे इन कोपलों की कटाई कर रहे हैं और बाजारों में ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं। कोटा, मरवाही, रतनपुर, कटघोरा और पाली के वनांचलों से बड़ी मात्रा में करील लाया जा रहा है। स्थानीय बाजारों में इसकी भारी मांग और ऊंचे दामों के कारण व्यापारी हर जोखिम उठाकर भी इसे बेचने में जुटे हुए हैं।सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि करील को ताज़ा और आकर्षक बनाए रखने के लिए इसे चूना पानी में डुबोया जा रहा है। इससे यह प्राकृतिक रंग की जगह सफेद दिखाई देता है और इसकी उम्र 2-3 दिन से बढ़कर 6-7 दिन तक हो जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, चूना मिला करील स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है और इसे खाना खतरनाक हो सकता है।
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कोपल काटने से नहीं बन पाते बांस
करील की कटाई से बांस के जंगलों का विस्तार रुक रहा है। वन वैज्ञानिकों के अनुसार, बांस की कोंपलें भविष्य के लिए बीज का काम करती हैं। यदि इनका समय से पहले दोहन होता रहा, तो धीरे-धीरे प्राकृतिक बांस के जंगल खत्म हो सकते हैं। वनांचलों से लगातार करील शहर पहुंच रहा है और खुलेआम बिक रहा है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में बांस के जंगल कम हो जाएंगे।