कॉलेजों के 6890 सीटों में महज 700 दाखिला, विद्यार्थी दाखिले…- भारत संपर्क

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कॉलेजों के 6890 सीटों में महज 700 दाखिला, विद्यार्थी दाखिले को लेकर नहीं दिखा रहे रुचि

कोरबा जिले में अटल बिहारी बाजपेई यूनिवर्सिटी से सबद्ध कुल मिलाकर 24 कॉलेज हैं। इनमें से 15 सरकारी और 9 निजी कॉलेज हैं। सभी को मिलाकर बीए, बीएससी, बीकॉम और बीसीए की कुल 6890 सीट उपलब्ध हैं। ज्यादतर कॉलेजों में परंपरागत डिग्री की पढ़ाई होती है। जबकि कुछ कॉलेजों में प्रोफेशनल पाठ्यक्रम बीसीए भी उपलब्ध है। सरकारी कॉलेज में अब तक लगभग 500 बच्चों ने प्रवेश लिया है, जबकि निजी कॉलेजों की हालत और खराब है। यहां लगभग 180 से 200 बच्चे ही अब तक प्रवेश लिए हैं। कॉलेज प्रबंधन एडमिशन लेने वाले बच्चों के इंतजार में है। सभी उम्मीद कर रहे हैं, कि मानसून के सीजन के बाद या अंतिम तिथि करीब आते बच्चे कॉलेज की दौड़ लगाएंगे। स्कूल की पढ़ाई समाप्त करने के बाद उच्च शिक्षा की दहलीज पर खड़े छात्र कालेज में दाखिले को लेकर रूचि नहीं दिखा रहे हैं। वर्तमान में हालात यह है कि जिन बच्चों के नाम मेरिट सूची में दर्ज हैं वह प्रवेश नहीं ले रहे हैं और जिनके नाम सूची में नहीं है वह रोज कॉलेज के चक्कर लगा रहे हैं। डिग्री कॉलेज में प्रवेश की स्थिति बेहद दयनीय है। हालत यह है कि सूची जारी होने के बाद भी लगभग 90 प्रतिशत खाली रह गई है। पहली मेरिट सूची से प्रवेश करने की अंतिम तिथि 8 जुलाई थी। 9 जुलाई को दूसरी मेरिट सूची भी जारी कर दी गई है। दूसरी मेरिट सूची में जिन छात्रों का नाम है उन्हें महाविद्यालय पहुंचकर प्रवेश लेने के लिए 15 जुलाई तक का समय दिया गया है। सीट खाली रहती है तो इसके बाद तीसरी सूची में जारी की जाएगी।
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कॉलेज खुले, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर कमजोर
कांग्रेस शासन काल में उमरेली, रामपुर जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में कॉलेज की शुरुआत की गई। लेकिन यहां इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद कमजोर है। ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी कॉलेज के पास खुद के बिल्डिंग नहीं है। पढ़ाने के लिए प्राध्यापक नहीं हैं। नियमित प्राचार्य की भारी कमी है। हाल ही में शासन ने सहायक प्राध्यापक को प्रमोट कर प्राध्यापक बनाया है। इन प्रमोटेड प्राध्यापकों को प्रभारी प्राचार्य बनाकर अलग अलग कॉलेज में भेजा जाना है। जिससे कि ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेज की व्यवस्था सुदृढ होगी। लंबे समय से सहायक प्राध्यापक एक ही स्थान पर बने हुए हैं। उनका स्थानांतरण नहीं किया गया है। जिनका प्रमोशन हुआ वह भी दूसरे स्थान पर जाना नहीं चाहते। यदि इन्हें प्राचार्य बनाकर ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेज में भेजा जाता है। तो इससे निश्चित तौर पर वहां के छात्रों का फायदा होगा।

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