क्यों कम नहीं होगी आपकी EMI? लगातार 6वीं बार RBI ले सकता है…- भारत संपर्क

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क्यों कम नहीं होगी आपकी EMI? लगातार 6वीं बार RBI ले सकता है…- भारत संपर्क

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग मंगलवार से शुरू हो चुकी है. 8 जनवरी को आरबीआई गवर्नर द्विमासिक मौद्रिक नीति का ऐलान करेंगे. खबर ये है कि आरबीआई लगातार 6वीं बार रेपो रेट को फ्रीज रखने का फैसला ले सकता है. आरबीआई ने महंगाई दर को 4 फीसदी पर लाने के लिए रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बीते करीब एक साल से होल्ड पर रखा हुआ है. वैसे आरबीआई की एमपीसी इस बार आने वाले महीनों में ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं का ऐलान कर सकती है.

बदलाव ना होने की संभावना

आरबीआई के रेट सेटिंग पैनल से उम्मीद की जा रही है कि वह रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर ही रखेगा. यदि आरबीआई आगामी पॉलिसी मीटिंग में यथास्थिति बनाए रखता है, तो रेपो रेट के 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहने का पूरा एक वर्ष पूरा हो जाएगा. केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार 8 फरवरी, 2023 को रेपो दर को 25 बेसिस प्वाइंट (बीपीएस) बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था.आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी की घोषणा अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मीटिंग के कुछ दिनों बाद की जाएगी.

फेड ने भी इस बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं दिया है. मौजूदा समय में फेड पॉलिसी रेट 5.25 फीसदी – 5.5 फीसदी पर है. साथ ही फेड ने इस बात की ओर भी इशारा किया कि ब्याज दरों को बदलने की जल्दी नहीं है. बाजार को पहले अनुमान था कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक इस साल मार्च से ब्याज दरों में कटौती शुरू कर सकता है.

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लिक्विडिटी का संकट

कुछ अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि आरबीआई बैंकिंग सिस्टम में टाइट लिक्विडिटी कंडीशन को देखते हुए कुछ लिक्विडिटी का ऐलान कर सकता है. बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्री दीपानिता मजूमदार ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि आगामी आरबीआई पॉलिसी में लिक्विडिटी का ऐलान होने की उम्मीद है. मौजूदा समय में मौजूदा वित्तीय वर्ष में अब तक लोन और डिपॉजिट के बीच का अंतर 3.6 लाख करोड़ रुपए है.

इस प्रकार, लिक्विडिटी पर निकट अवधि के दबाव से इंकार नहीं किया जा सकता है जब तक कि आरबीआई सिस्टम की ड्यूरेबल लिक्विडिटी में सुधार के लिए कुछ उपाय नहीं करता है. कम सरकारी खर्च, ज्यादा टैक्स आउटफ्लो और स्लो बैंक डिपॉजिट ग्रोथ के कारण पिछले कुछ समय से बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की स्थिति कठिन बनी हुई है. 24 जनवरी को, लिक्विडिटी डेफिसिट 3.46 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया.

ब्याज दरों को क्यों फ्रीज रख सकती है आरबीआई?

आरबीआई यह कहता रहा है कि उसका लक्ष्य सीपीआई महंगाई को 4 प्रतिशत पर लाना है और जब तक यह टिकाऊ बेस पर हासिल नहीं हो जाता, तब तक उसका ध्यान डिसइंफ्लेशनरी बने रहने पर रहेगा. दालों, मसालों, फलों और सब्जियों जैसे खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण दिसंबर में सीपीआई महंगाई, यानी खुदरा महंगाई, चार महीने के हाई लेवल 5.69 फीसदी पर पहुंच गई. नवंबर 2023 में सीपीआई महंगाई 5.55 प्रतिशत थी. हालांकि हेडलाइन इंफ्लेशन सरकार द्वारा आरबीआई के लिए निर्धारित 2-6 फीसदी बैंड के भीतर आ गया है, फिर भी यह 4 फीसदी के टारगेट से ऊपर बना हुई है.

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024 में सीपीआई महंगाई 5.4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 5.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. गोल्डमैन सैक्स ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में कहा कि आरबीआई एमपीसी 8 फरवरी की पॉलिसी मीटिंग में पॉलिसी रेट को 6.50 फीसदी पर रखेगा. रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई ग्रोथ पर आशावादी रहेगा. साथ ही महंगाई को 4 फीसदी लाने के प्रयास को फिर से दोहराएगा. वित्त वर्ष 2024 के लिए, RBI का रियल GDP ग्रोथ अनुमान 7 फीसदी है.

वित्त मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में देश की इकोनॉमी 7 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ने की संभावना है और अगले तीन वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने की उम्मीद है. रिपोर्ट के अनुसार हमें उम्मीद है कि आरबीआई CY24 की तीसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर तक पॉलिसी रेपो रेट को फ्रीज ही रखेगा. नोमुरा को उम्मीद है कि अगस्त से दरों में 100 बीपीएस की कटौती होगी, जिसमें पहले की कटौती का जोखिम भी शामिल है.

अगर रेपो रेट में नहीं होता बदलाव

आरबीआई द्वारा रेपो दर को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित छोड़ने की उम्मीद के साथ, रेपो दर से जुड़ी सभी बाहरी बेंचमार्क उधार दरें (ईबीएलआर) नहीं बढ़ेंगी. इससे कर्जदारों को फिर से राहत मिलेगी क्योंकि उनकी समान मासिक किस्तें (ईएमआई) नहीं बढ़ेंगी. हालांकि, लेंडर्स उन लोन पर ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं जो फंड-बेस्ड उधार दर (एमसीएलआर) की सीमांत लागत से जुड़े हैं, जहां मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच रेपो दर में 250 बीपीएस की बढ़ोतरी का फुल ट्रांसमिशन नहीं हुआ है.

पॉलिसी रेपो दर में 250 बीपीएस की बढ़ोतरी के जवाब में, बैंकों ने अपने ईबीएलआर में समान मैग्नीट्यूटी के साथ इजाफा किया है. जबकि मई 2022-दिसंबर 2023 की अवधि के दौरान एक साल की औसत एमसीएलआर में 155 बीपीएस की वृद्धि हुई है. इसके अनुरूप, वेटेड एवरेज लेडिंग रेट मई 2022-नवंबर 2023 तक फ्रेश और आउट स्टैंडिंग रुपया लोन पर (WALR) क्रमशः 183 बीपीएस और 108 बीपीएस का इजाफा हुआ है.

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