यूपी में हिट और बिहार में फ्लॉप… लोकतंत्र में भोजपुरी स्टारडम का रिपोर्ट…


राजनीति में भोजपुरी सितारे.
सियासत और सिनेमा का बड़ा पुराना नाता है. बॉलीवुड हो या भोजपुरी इंडस्ट्री, कई कलाकारों ने अपनी लोकप्रियता को वोट में भुनाया है. सियासत और भोजपुरी सिनेमा के इस कॉकटेल का यूपी-बिहार में खास असर देखने को मिलता है. मगर हैरानी की बात ये है कि भोजपुरी एक्टर यूपी और दिल्ली में तो हिट रहे हैं लेकिन बिहार में इनकी पॉलिटिकल पिक्चर फ्लॉप ही हुई है. अब जब बिहार विधानसभा चुनाव सिर पर हैं तो कई भोजपुरी कलाकारों के चुनावी रण में उतरने की चर्चा तेज है. भोजपुरी सिंगर रितेश पांडेय ने तो प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज का दामन थाम भी लिया है. कई नाम अभी चर्चा में हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि कौन-कौन से भोजपुरी कलाकार सियासत में उतरे और इनमें से कौन सफल हुए. ये भी जानने की कोशिश करेंगे कि इनके हिट और फ्लॉप होने की क्या वजहें रहीं.
हम बात करेंगे मनोज तिवारी, रवि किशन, निरहुआ, पवन सिंह, राकेश मिश्रा, अरविंद अकेला ‘कल्लू’, कुणाल सिंह, अक्षरा सिंह, रानी चटर्जी और खेसारी लाल यादव जैसे कलाकारों की. बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से की मिट्टी से धूम मचाने वाली भोजपुरी इंडस्ट्री की चमक ने सियासी गलियारों में खूब रोशनी बिखेरी. इसमें मनोज तिवारी और रवि किशन बड़े नाम हैं.
रील से रियल लाइफ तक मनोज तिवारी का सफर
मनोज तिवारी भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं. 2014, 2019 और 2024 में वो सांसद चुने गए. 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार कन्हैया कुमार को हराकर जीत की हैट्रिक लगाई. वो उत्तर पूर्वी दिल्ली से सांसद हैं. दिल्ली की सियासत में वो बड़ा चेहरा हैं. पूर्वांचल के वोटों पर उनकी अच्छी पकड़ है. इसके साथ ही वो दिल्ली में पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी से पहले 2009 का चुनाव उन्होंने समाजवादी पार्टी के टिकट पर गोरखपुर से लड़ा था. हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
रवि किशन ने जीता जनता का दिल
अब बात करते हैं भोजपुरी इंडस्ट्री के बड़े चेहरे रवि किशन की. रवि किशन 2024 में दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए. वो उत्तर प्रदेश की वीवीआईपी सीट गोरखपुर का संसद में प्रतिनिधित्व करते हैं. बीजेपी से पहले 2009 में उन्होंने जौनपुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि, इसमें हार का सामना करना पड़ा था.
निरहुआ को भी मिला जनता का आशीर्वाद
इसी तरह भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने भी सियासी पारी खेली. वो भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े और संसद पहुंचे. वो आजमगढ़ से सांसद रह चुके हैं. ये वो सितारे हैं जो भोजपुरी इंडस्ट्री का हिस्सा हैं और सांसद चुने गए. इसके ठीक उलट पवन सिंह जैसे बड़े नाम हैं, जिन्होंने बिहार से चुनाव लड़ा लेकिन इनकी पॉलिटिकल पिक्चर फ्लॉप रही.
पवन सिंह की पॉलिटिक्ल पिक्चर हुई फ्लॉप
2024 के लोकसभा चुनाव में पवन सिंह को पहले भारतीय जनता पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया था. हालांकि, बाद में उनकी सीट बदली गई तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. मगर, वो अपनी लोकप्रियता को वोट मैं कैश कराकर संसद तक पहुंचने में नाकाम रहे. उन्होंने काराकाट लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई थी.
खेसारी लाल यादव की सियासत से नजदीकी
अब बात करते हैं खेसारी लाल यादव की. खेसारी ने वैसे तो कोई चुनाव नहीं लड़ा लेकिन वो राजनेताओं के नजदीक देखे जाते हैं. इस लिस्ट में एक नाम है कुणाल सिंह का, जो कि 2014 के लोकसभा में पटना साहिब सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे. हालांकि, उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था. भोजपुरी इंडस्ट्री की चर्चित एक्ट्रेस अक्षरा सिंह ने भी सियासत में एंट्री की.
नया ठिकाना तलाश रहीं अक्षरा सिंह
साल 2023 में अक्षरा सिंह प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज जॉइन की थी. अब चर्चा है कि वो नया ठिकाना तलाश रही हैं. भोजपुरी एक्स्ट्रेस की लिस्ट में रानी चटर्जी का भी नाम शामिल है. उन्होंने 2022 में कांग्रेस जॉइन की थी. फिलहाल वो अब साइड लाइन हैं. ये तो बात हो गई भोजपुरी इंडस्ट्री के उन कलाकारों की जो सियासत में उतरे या सियासत के नजदीक हैं.
क्यों बनता है सियासत और सिनेमा का कॉकटेल
अब बात करते हैं आखिर क्यों बनता है सियासत और सिनेमा का कॉकटेल. इसका पहला और सबसे बड़ा कारण है लोकप्रियता. राजनीतिक दल भी चाहते हैं कि ऐसे कलाकारों को चुनावी रण में उतारा जाए जो अपनी सीट जीतने के साथ ही आसपास की सीटों पर अपनी लोकप्रियता का प्रभाव डाल सकें. ये कलाकार सियासत में आने से पहले ही लोगों के दिल में बसे होते हैं. इसलिए इन्हें चुनावी समर में अपनी पहचान बनाने के लिए खास मेहनत नहीं करनी पड़ती.
प्रचारक का पैकेज और भीड़ खींचने की मशीन
फिल्मी डायलॉग और स्टाइल के चलते ये लोगों से जल्दी जुड़ जाते हैं. ये सितारे प्रचारक का एक पैकेज होते हैं जो चुनाव लड़ने के साथ ही भीड़ खींचने की मशीन का भी काम करते हैं. मगर हर बार ये कॉकटेल सफल हो ऐसा भी नहीं है. कई बार हार का भी सामना करना पड़ता है. बेशक ये पर्दे पर सिंघम हों पर जनता की अदालत में इनकी कठिन परीक्षा होती है. अब आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में कौन सा सितारा अपनी किस्मत आजमाएगा और सफल होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.