लश्कर-जैश का खुलकर समर्थन करने वाला चीन द रेजिडेंट फ्रंट के विरोध में क्यों उतरा? – भारत संपर्क

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लश्कर-जैश का खुलकर समर्थन करने वाला चीन द रेजिडेंट फ्रंट के विरोध में क्यों उतरा? – भारत संपर्क
लश्कर-जैश का खुलकर समर्थन करने वाला चीन द रेजिडेंट फ्रंट के विरोध में क्यों उतरा?

चीन ने टीआरएफ को आतंकी संगठन घोषित करने के फैसले का स्वागत किया है.

पहलगाम आतंकी हमले में शामिल द रेजिडेंट फ्रंट को अब चीन भी नहीं बचाएगा. चीन ने अमेरिकी एक्शन का समर्थन किया है और कहा है कि आतंकवादी संगठनों को लेकर चीन कोई रहम वाला बर्ताव नहीं करेगा. अमेरिका ने 2 दिन पहले पाकिस्तान में मौजूद द रेजिडेंट फ्रंट को आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया है.

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लीन जियान ने अमेरिकी प्रयासों का समर्थन किया है. लीन के मुताबिक चीन हमेशा से आतंकवाद का विरोध करता रहा है. अगर किसी पर इस तरह का आरोप है, तो चीन उसके खिलाफ है.

लीन जियान ने और क्या कहा है?

बीजिंग में पत्रकारों से बात करते हुए लीन जियान ने कहा कि चीन सभी प्रकार के आतंकवाद का दृढ़ता से विरोध करता है. 22 अप्रैल को भारत के पहलगाम में जो हुआ, उसकी हम कड़ी निंदा करते हैं.

जियान ने आगे कहा कि चीन अपने आसपास के पड़ोसी देशों से आतंकवाद-रोधी सहयोग बढ़ाने और क्षेत्रीय सुरक्षा एवं स्थिरता को संयुक्त रूप से बनाए रखने का आह्वान करता है.

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने जिस तरीके से यह फैसला किया है, वो सराहनीय है.

बड़ा सवाल- TRF के विरोध में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र संघ में पर्दे के पीछे से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों का समर्थन देने वाला चीन आखिर द रेजिडेंट फ्रंट के खिलाफ मुखर क्यों है? वो भी तब, जब टीआएरफ लश्कर ए तैयबा का ही एक शाखा है.

दरअसल, चीन पहलगाम मामले में कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहता है, जिससे उसकी किरकिरी हो. पहलगाम में जिस तरीके से लश्कर समर्थित टीआरएफ के आतंकियों ने निर्दोष प्रयटकों पर अटैक किया, उससे पूरी दुनिया में उसकी आलोचना हुई.

चीन इन आतंकियों के साथ हमदर्दी दिखाकर खुद बैकफुट पर नहीं आना चाहता है. दूसरी वजह चीन भारत के साथ रिश्ते सुधारने में जुटा है. अमेरिकी टैरिफ दबाव को कम करने के लिए चीन की कोशिश सहयोगी देशों को लामबंद करना है.

रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने हाल ही में एक बयान में कहा कि हम चीन के साथ मिलकर भारत को साध रहे हैं. टीआरएफ पर विरोधी रूख अपनाकर चीन की कोशिश भारत को साथ रखने की है. यही वजह है कि चीनी विदेश मंत्रालय ने खुलकर टीआरएफ पर बयान दिया है.

टीआरएफ नामक आतंकी संगठन क्या है?

साल 2019 में लश्कर ए तैयबा और इंडियन मुजाहिद्दीन नामक आतंकी संगठन ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर द रेजिडेंट फ्रंट की स्थापना की. ओआरएफ पत्रिका के मुताबिक संगठन का उद्देश्य भारत के जम्मू कश्मीर में आतंक फैलाना है. संगठन के कमांडरों की ट्रेनिंग पाकिस्तान में होती है.

टीआरएफ पहला आतंकी संगठन है, जिसका कोई मुखिया नहीं है. संगठन की स्थापना सज्जाद गुल ने की थी. हाफिज सईद और आईएसआई के अधिकारियों का इस संगठन के संचालन में सीधा दखल है. पहलगाम अटैक के बाद इस संगठन ने खुद आगे आकर उसकी जिम्मेदारी ली.

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