लालू यादव Vs नीतीश कुमार… बिहार के जंगलराज में कौन किस पर भारी?

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लालू यादव Vs नीतीश कुमार… बिहार के जंगलराज में कौन किस पर भारी?
लालू यादव Vs नीतीश कुमार... बिहार के जंगलराज में कौन किस पर भारी?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व सीएम लालू यादव

बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे अपराधियों के हौसले भी बुलंद होते जा रहे हैं. एक के बाद एक दो हत्याओं से राजधानी पटना में हड़कंप मचा हुआ है. मुख्यमंत्री से लेकर राज्य के सारे सियासतदान यहां निवास करते हैं. इसके बाद भी अपराधियों के हौसले कुछ इस तरह से बुलंद हैं कि दिन दहाड़े हत्याओं को अंजाम दिया जा रहा है. गोपाल खेमका हत्याकांड की गुत्थी सुलझी भी नहीं थी कि अब बदमाशों ने पारस अस्पताल में भर्ती चंदन मिश्रा को गोलियों से छलनी कर दिया.

चंदन मिश्रा हत्याकांड के बाद से बिहार में जंगलराज शब्द एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. तेजस्वी यादव समेत विपक्ष दल के नेता नीतीश सरकार को जंगलराज की याद दिला रहे हैं. उनका कहना है कि पहले गोपाल खेमका और फिर चंदन मिश्रा हत्याकांड को जिस तरह से अंजाम दिया उसने नीतीश कुमार के सरकार के सुशासन के दावों की पोल खोलकर रख दी है. विपक्षी दल के नेता इसके लिए सीधे तौर पर नीतीश सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. यहां तक कि एनडीए में शामिल दल भी बिहार के मौजूदा हालातों को लेकर नीतीश कुमार की पुलिस पर हमला बोलते नजर आ रहे हैं.

विरोधी खुद दे रहे जंगलराज का हवाला

बिहार के लिए जंगलराज शब्द कोई नया नहीं है. न ही इससे कोई अनभिज्ञ है. 90 के दशक से लेकर अभी तक सत्ता की धुरी इसी जंगलराज पर टिकी हुई नजर आती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो आज भी लालू यादव के जंगलराज का हवाला देते नहीं थकते हैं, लेकिन विरोधी अब उसी जंगलराज का कलंक उनके माथे पर जड़ना चाहते हैं. इसलिए हत्याओं को लेकर सियासी दल नीतीश कुमार को पानी पी पी कर कोसते हुए नजर आ रहे हैं.

बिहार में 1990 के बाद से अब तक या तो लालू यादव और उनकी पार्टी की सरकार रही या फिर नीतीश कुमार की. अब सवाल है कि किसके शासन को जंगलराज माना जाए. आज हम आंकड़ों के साथ इस सवाल का जवाब देंगे. बिहार के अस्पतालों में हत्याकांड का इतिहास भी जानेंगे लेकिन पहले चंदन मिश्रा मर्डर केस से जुड़े अपडेट पर नजर मार लेते हैं.

दिनदहाड़े 15 राउंड फायरिंग से दहला पटना

सबसे लेटेस्ट अपडेट ये है कि पटना के पारस अस्पताल में अपराधियों ने एक दो नहीं बल्कि 15 राउंड फायरिंग की थी. सोचिए राजधानी पटना में दिनदहाड़े 15 राउंड फायरिंग हुई. इस दौरान चंदन की जान चली गई जबकि एक शख्स घायल है. पुलिस ने इस मामले में अस्पताल के 10 गार्ड से पूछताछ भी की है. घटना के बाद वीडियो भी सामने आया है जिसमें अपराधी अस्पताल के बाहर खड़े होकर प्लानिंग करते हुए नजर आए. इस मामले में 5 पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया है. इसमें एक दरोगा लेवल का अफसर है.

Chandan

1990 से अब तक लालू-नीतीश के ही हाथ में रही सत्ता

सवाल है कि किसके शासन को जंगलराज माना जाए. लालू यादव या फिर नीतीश कुमार. इसे अपराध के कुछ आंकड़ों से समझते हैं. 1990 से लेकर आज तक या तो लालू यादव मुख्यमंत्री रहे या उनकी पत्नी राबड़ी देवी या फिर नीतीश कुमार. बीच में कुछ दिनों के लिए जीतन राम मांझी सीएम बने थे लेकिन मोटे तौर पर पहले के तीन नेताओं का ही लंबा कार्यकाल है.

लालू यादव कब से कब तक मुख्यमंत्री रहे?

सबसे पहले बात लालू यादव के कार्यकाल करत लेते हैं. लालू दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे. पहला कार्यकाल 10 मार्च 1990 से 28 मार्च 1995 तक रहा. दूसरा कार्यकाल 4 अप्रैल 1995 से लेकर 25 जुलाई 1997 तक था. इस बीच में 28 मार्च से 4 अप्रैल तक बिहार में राष्ट्रपति शासन भी लगा था. यानी कुछ दिनों की बात छोड़ दें तो मार्च 1990 से लेकर जुलाई 1997 तक बिहार की सत्ता लालू यादव के हाथ में ही थी.

  • पहला कार्यकाल: 10 मार्च 1990 से 28 मार्च 1995 तक
  • दूसरा कार्यकाल: 4 अप्रैल 1995 से 25 जुलाई 1997 तक

कब से कब तक मुख्यमंत्री रहीं राबड़ी देवी?

इसके बाद राबड़ी देवी की बात कर लेते हैं कर लेते हैं. राबड़ी 25 जुलाई 1997 को बिहार की मुख्यमंत्री बनीं. तब बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में उनके पति लालू यादव को जेल जाना पड़ा था. जिसके बाद लालू यादव ने उन्हें राज्य की कमान सौंप दी थी. राबड़ी देवी का पहला कार्यकाल 25 जुलाई 1997 – 11 फरवरी 1999 तक यानी करीब दो साल तक का था.

इसके बाद दूसरा कार्यकाल 9 मार्च 1999 से 2 मार्च 2000 तक का था. तीसरा और आखिरी कार्यकाल 11 मार्च 2000 से शुरू होकर 6 मार्च 2005 तक चला था. राबड़ी अपने आखिरी कार्यकाल में पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री रहीं. यह भी कह सकते हैं कि राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री जरूर थी, लेकिन सत्ता की लगाम लालू यादव के ही हाथ में था. लालू के इशारे पर ही सारे फैसले लिए जाते थे.

  • पहला टर्म: 25 जुलाई 1997 -11 फरवरी 1999
  • दूसरा टर्म: 9 मार्च 1999 2 मार्च 2000
  • तीसरा टर्म: 11 मार्च 2000 6 मार्च 2005

बिहार में नीतीश कुमार का रहा है सबसे लंबा कार्यकाल

लालू और राबड़ी राज के बाद नीतीश कुमार को बिहार की कमान मिली. मौजूदा कार्यकाल को मिलाकर नीतीश कुमार अब तक 9 बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. इस बीच में वो एनडीए और गठबंधन की सरकार चला चुके हैं. पहली बार 3 मार्च 2000 को केवल 7 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद 24 नवंबर 2005 से उनका दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ. बीच में कुछ दिनों के लिए जीतन राम मांझी भी मुख्यमंत्री रहे, लेकिन बहुत छोटा कार्यकाल था. इसके बाद फिर से कमान नीतीश कुमार के हाथ में आ गई.

  1. पहला कार्यकाल: 3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 (केवल 7 दिन; बहुमत साबित न कर पाने के कारण इस्तीफा)
  2. दूसरा कार्यकाल: 24 नवंबर 2005 से 25 नवंबर 2010
  3. तीसरा कार्यकाल: 26 नवंबर 2010 से 20 मई 2014 (इस बीच मई 2014 में नीतीश ने CM पद से इस्तीफा दे दिया)
  4. चौथा कार्यकाल: 22 फरवरी 2015 से 19 नवंबर 2015 (जीतन राम मांझी के बाद फिर से CM बने)
  5. पांचवां कार्यकाल: 20 नवंबर 2015 से 26 जुलाई 2017 (महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस के साथ)
  6. छठा कार्यकाल: 27 जुलाई 2017 से 15 नवंबर 2020 (एनडीए के साथ वापसी)
  7. सातवां कार्यकाल: 16 नवंबर 2020 से 9 अगस्त 2022 (जेडीयू-बीजेपी)
  8. आठवां कार्यकाल: 10 अगस्त 2022 से 28 जनवरी 2024 (महागठबंधन में लौटे)
  9. नौवा कार्यकाल: 28 जनवरी 2024 से वर्तमान (एनडीए के साथ फिर से मुख्यमंत्री बने)

इस तरह से इन तीन मुख्यमंत्रियों ने बिहार की सत्ता पर राज किया है. सत्ताधारी दल के नेताओं से जब भी अपराध के बारे में पूछा जाता है तो उनके जुबान पर एक ही शब्द आता है वो जंगलराज है. सत्ताधारी लालू यादव और राबड़ी देवी के सरकार में हुई घटनाओं और परिस्थितियों का हवाला देने लगते हैं. मानो ऐसे जैसे जंगलराज शब्द वो अपनी जेब में लेकर चलते हो. अब वहीं जंगलराज शब्द उन पर भारी पड़ रहा है. मौजूदा घटनाओं के लिए उन्हें जवाब देना पड़ा रहा है.

Bihar Crime Card

  1. NCRB के मुताबिक 1992 में बिहार में कुल एक लाख 31 हजार अपराध हुए थे. इनमें 5 हजार 743 हत्याएं जबकि एक हजार 120 रेप के मामले थे. तब लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री हुआ करते थे.
  2. 2004 में अपराध के कुल मामले एक लाख 15 हजार से ज्यादा थे. इनमें 3800 मर्डर, एक हजार से ज्यादा बलात्कार और ढाई हजार से ज्यादा अपहरण के मामले थे. तब राबड़ी देवी बिहार की सीएम थीं.
  3. इसके बाद नीतीश कुमार का दौर शुरू हुआ जो आज तक चल रहा है. उनके शासन के आंकड़े बताते हैं कि 2022 में बिहार में लगभग साढ़े तीन लाख अपराध हुए. इनमें लगभग 12 हजार अपहरण, करीब 3 हजार हत्याएं और लगभग 900 रेप के मामले शामिल हैं.

एनसीआरबी के इन आंकड़ों पर नजर डाला जाए तो पता ये चलता है कि बिहार में घटनाओं की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है. हालांकि, हत्या जैसी जघन्य घटनाओं में 40 फीसदी से ज्यादा की कमी भी आई है. हाल के कुछ सालों में राज्य में चोरी, डकैती और हत्या जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी जरूरी हुई है. अब ये देखना है कि हत्या जैसी घटनाओं से निपटने के लिए सरकार क्या कदम उठाती है और अपराधियों पर कैसे लगाम लगाती है.

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