NEET अभ्यर्थियों की शिकायताें के समाधान के लिए समिति बनाने का निर्देश, दिल्ली…

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NEET अभ्यर्थियों की शिकायताें के समाधान के लिए समिति बनाने का निर्देश, दिल्ली…
NEET अभ्यर्थियों की शिकायताें के समाधान के लिए समिति बनाने का निर्देश, दिल्ली हाईकोर्ट ने एनटीए को दिए आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने एनटीए को दिया निर्देश

मेडिकल कॉलेजों में दाखिला के लिए आयोजित होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को एक बड़ा आदेश दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका में सुनवाई करते हुए एनटीए को आदेश दिया कि वहनीट में परीक्षार्थियों का समय बर्बाद होने के मुद्दे के समाधान के लिये एक समिति बनाए. एनटीए की तरफ से प्रत्येक साल नीट का आयोजन किया जाता है.

बिना गलती के ही अभ्यर्थियों का नुकसान

दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका में सुनवाई करते हुए कहा कि नीट परीक्षा के दौरान तकनीकी समस्याओं के कारण अभ्यर्थियों के समय का नुकसान होता है, जबकि असल में उनकी कोई गलती नहीं होती है. एनटीए को निर्देशित करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे परीक्षार्थियों के लिए एक स्थायी शिकायत निवारण समिति का गठनकिया जाए.

दिल्ली हाई कोर्ट ने 28 जुलाई के अपने आदेश में कहा है कि इस अदालत में कुछ ऐसे व्यक्तिगत मामले आये हैं, जहां परीक्षार्थियों को उनकी वजह से नहीं, बल्कि अन्य कारणों से परीक्षा में समय का नुकसान हुआ. इस बात को हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा किएनटीए को एक स्थायी शिकायत निवारण समिति गठित करने का निर्देश दिया जाता है, यदि पहले से ही नहीं है तो, इस कमेटी के सामने पीड़ित उम्मीदवार अपनी शिकायतों के निवारण के लिए संपर्क कर सकते हैं.

कोर्ट सभी की सीसीटीवी फुटेज नहीं देख सकती

असल में दिल्ली हाईकोर्ट नेउत्तर प्रदेश के मेरठ में त्रिशला देवी कनोहर लाल बालिका इंटर कॉलेज में नीट यूजी में शामिल एक अभ्यर्थी की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए हैं. याचिका में अभ्यर्थी नेपरीक्षा केंद्र पर बायोमेट्रिक सत्यापन में अनियमितताओं के कारण कथित रूप से समय की हानि और मानसिक परेशानी के लिए क्षतिपूर्ति अंक की मांग की थी.

याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि संवैधानिक अदालतों से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वे हर उस अभ्यर्थी का सीसीटीवी फुटेज देखें, जिसे बिना किसी गलती के परीक्षा समय के क्षति के कारण नुकसान हुआ हो.

न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा कि ऐसे मामलों की जांच पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा की जानी चाहिए. न्यायमूर्ति महाजन ने स्थायी समिति को जांच के लिए अधिक उपयुक्त फार्मूला तैयार करने की छूट दी.

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