किसानों की मेहनत पर हाथी फेर रहे पानी, गजराजों के आतंक से…- भारत संपर्क
किसानों की मेहनत पर हाथी फेर रहे पानी, गजराजों के आतंक से अन्नदाताओं का खेती करना हुआ मुश्किल
कोरबा। जिले में इन दिनों हाथियों का दल किसानों के लिए बड़ी मुसीबत बन गया है। गांव के आसपास जंगली हाथियों के डेरे ने अन्नदाताओं की खेती करना मुश्किल कर दिया है। किसान अपनी जान जोखिम में डालकर फसल उगाने को मजबूर हैं, लेकिन वन विभाग के पास इस समस्या का कोई ठोस समाधान नजर नहीं आ रहा है। जिले का कटघोरा वन मंडल अब हाथियों का हॉटस्पॉट बन गया है। पिछले कई सालों से हाथियों का एक बड़ा कुनबा यहां स्थायी रूप से डेरा जमाए हुए है। एतमानगर, केंदई, पसान और कटघोरा रेंज में करीब 46 हाथियों का दल लगातार विचरण कर रहा है। हाथियों की इस चहलकदमी से करीब 150 गांव सीधे तौर पर प्रभावित हो रहे हैं। इलाके के रहवासी साल भर दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं। वर्तमान में कृषि कार्य में तेजी आई है, लेकिन हाथी प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले किसान इस कदर दहशत में हैं कि वे अपने खेतों तक जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। जिले में हाथियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अनाज, फल और महुआ की सुगंध मिलने पर हाथियों का दल अक्सर गांव में घुस जाता है। इन हाथियों के तांडव से फसलें, मकान और यहां तक कि इंसान भी प्रभावित होते हैं।हाथियों द्वारा हर साल करीब 200 एकड़ की फसल को नुकसान पहुंचाया जाता है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है। वहीं, सरकार द्वारा हाथी से हुए नुकसान के लिए हर साल औसतन करीब 20 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है। हालांकि यह मुआवजा किसानों के नुकसान की भरपाई में नाकाफी साबित होता है और सबसे बड़ी बात यह है कि इस गंभीर आपदा पर स्थायी रूप से अंकुश लगाने के लिए सरकार या वन विभाग के पास कोई दीर्घकालिक उपाय नहीं है। जिले में पिछले ढाई दशक से हाथियों का मूवमेंट देखा जा रहा है। शुरुआती दौर में ये हाथी कुछ महीनों के बाद वापस लौट जाते थे, लेकिन कटघोरा के जंगलों में पर्याप्त पानी, भोजन और एक सुरक्षित परिवेश मिलने के कारण हाथियों का कुनबा यहीं रुक गया है। इसी कारण हाथी और इंसानों के बीच टकराव लगातार जारी है। अब देखना होगा कि इस गंभीर समस्या से प्रभावित लोगों को कभी स्थायी निजात मिल पाती है या नहीं।