खिड़की-दरवाजे का पुल… हॉस्टल में छात्रों ने बनाया, कहा- कमरे तक भरा पानी,…

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खिड़की-दरवाजे का पुल… हॉस्टल में छात्रों ने बनाया, कहा- कमरे तक भरा पानी,…
खिड़की-दरवाजे का पुल... हॉस्टल में छात्रों ने बनाया, कहा- कमरे तक भरा पानी, यही आने-जाने का रास्ता

छात्रों ने निकलने के लिए बांस और डंडों से बनाया पुल

बिहार के भागपुर में स्थित तिलका मांझी विश्वविद्यालय के छात्रावास तक पहुंचने के बदतर हालत को देखकर आपको शर्म आ जाएगी. यह वही विश्वविद्यालय है जहां एक वक्त राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर वाइस चांसलर हुआ करते थे. इस विश्वविद्यालय ने बिहार को चार मुख्यमंत्री भी दिए, लेकिन यूनिवर्सिटी के अंबेडकर कल्याण छात्रावास तक पहुंचने के लिए आपको पहले, 200 मीटर तक दीवार के रास्ते आना पड़ेगा. जिसके दोनों ओर गंदा पानी जमा है. उसके बाद छात्रों के ही द्वारा बनाई गई बांस की सीढ़ी व दरवाजे और खिड़की की मदद से बनाये गए पुल से होकर गुजरना पड़ेगा. यहां पिछले 4 वर्षों से हालात जस के तस हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी नजरें इनायत नहीं कर रहा. लिहाजा, छात्रों को खुद से ही जुगाड़ कर समस्या का समाधान ढूंढना पड़ा.

विश्विद्यालय प्रशासन और नगर निगम के उदासीन रवैये से छात्रावास के छात्रों की जिंदगी बदतर हो गई है. हर वक्त मौत का डर बना रहता है. तिलकामांझी भागलपुर विश्विद्यालय के अंबेडकर कल्याण छात्रावास संख्या 2 की तस्वीरें हर किसी को हैरान कर देंगी. कहने को तो कल्याण छात्रावास है लेकिन, यहां के छात्रों का पिछले चार साल से कल्याण नहीं हो सका है. छात्रावास के चारों तरफ ढाई से तीन फीट तक पानी भरा हुआ है. छात्रों को उसी से गुजरना पड़ता है.

आने जाने तक का रास्ता नहीं

अंबेडकर कल्याण छात्रावास में लगभग 100 छात्र रहते हैं. जुगाड़ वाला पुल छात्रों ने दरवाजे, खिड़की और लोहे के सहारे बनाया है. उस पुल से होकर सभी छात्र हॉस्टल से हॉस्टल की चाहरदीवारी तक जाते हैं, फिर 200 मीटर की दीवार को खतरनाक ढंग से पार करते हैं. हालात यह है कि हॉस्टल में रहने वाले दर्जनों छात्रों को खतरे के बीच गुजरना पड़ता है. हर वक्त जहरीले सांपों और बीमारियों का डर बना रहता है. छात्रों ने कई बार यूनिवर्सिटी के कुलपति को पत्र लिखा मिलकर समस्यां बताई. नगर निगम के अधिकारियों को पत्र लिख समस्याएं बताई, लेकिन निराकरण नहीं हुआ.

हर तरफ कीचड़ और गंदा पानी

हॉस्टल के आगे भैरवा तालाब का जीर्णोद्धार स्मार्ट सिटी के तहत हो रहा है. वहीं नाला निर्माण नहीं हो पाया है. लिहाजा वर्षों से छात्रावास में, और चारो तरफ जलजमाव की स्थिति है. पानी की निकासी नहीं होने से कई वर्षों से जल जमाव की स्थिति बनी हुई है . जिससे जहरीले जीव-जंतु व गंभीर बीमारियों का खतरा लगातार बना रहता है, लेकिन छात्र इसी गंदगी से होकर आने जाने को मजबूर हैं. जब किसी ने न सुनी तब छात्रों ने जुगाड़ वाले पुल से रास्ता बनाया और आवागमन कर रहे हैं.

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