.राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ की 9 मांग अभी भी नहीं…- भारत संपर्क

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.राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ की 9 मांग अभी भी नहीं…- भारत संपर्क






बिलासपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ द्वारा 18 जुलाई 2025 से जारी अनिश्चितकालीन आंदोलन के प्रमुख 10 मांगो में से 5 मांगो को पूर्ण करने का राज्य शासन द्वारा जो दावा किया जा रहा है वो पूरी तरह गलत है और संगठन को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।
मंगलवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए एनएचएम के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष श्याम मोहन दुबे ने बताया कि मीडिया द्वारा उन्हें यह पता चला है कि उनकी 5 मांगे पूर्ण कर दी गई हैं जबकि ऐसा हुआ नहीं है। उन्होंने बताया कि

  1. नियमितीकरण पहली मांग है नियमितीकरण का कार्यकारिणी समिति की बैठक में किसी भी प्रकार से उल्लेख नहीं है और न ही चर्चा हुयी है। अतः उनकी पहली मांग अपूर्ण है।
  2. पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना उनकी दुसरी मांग है पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना का कार्यकारिणी समिति की बैठक में किसी भी प्रकार से उल्लेख नहीं है और न ही चर्चा हुयी है। अतः दुसरी मांग भी अपूर्ण है।
  3. ग्रेड पे का निर्धारण – हमारी तीसरी मांग ग्रेड पे का निर्धारण का कार्यकारिणी समिति की बैठक में किसी भी प्रकार से उल्लेख नहीं है और न ही चर्चा हुयी है। तीसरी मांग भी अपूर्ण है।
    4.. कार्य मूल्यांकन व्यवस्था में पारदर्शिता ” हमारी चौथी मांग के संबंध में कार्यकारिणी समिति की बैठक में सहमति उपरांत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत किसी भी संविदा कर्मचारी के वार्षिक कार्यमूल्यांकन में पारदर्शिता सुनिश्चित किये जाने तथा प्रतिकूल टिप्पणी की स्थिति में कार्य सुधार नोटिस सेवा समाप्ति के पूर्व नैसर्गिक न्याय सिद्धांत के तहत अपीलीय अधिकारी का प्रावधान करने का आदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पत्र क्रमांक। एनएचएम/एचआर।202५/2025/ES७B/7626/1960 नया रायपुर दिनांक १९/०८2०2५ के माध्यम से जारी किया गया है। अतः यह चौथी मांग पूर्ण हुआ है।

5.. लंबित 27 प्रतिशत वेतन वृद्धि” हमारी पाँचवी मांग के संबंध में कार्यकारिणी समिति की बैठक के एजेंडा क्रमांक 5 में उल्लेख है की मुख्यमंत्री जी की घोषणा अनुसार
राष्टीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारियों को वेतन में 5 प्रतिशत वृद्धि का लाभ मानव संसाधन मद में उपलब्ध अव्ययीत राशि से प्रदान किये जाने की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गयी तथा वित्त विभाग, छत्तीसगढ़ शासन से सहमति उपरांत प्रदाय किया जावेगा इसका उल्लेख किया गया है। ज्ञात हो की पूर्व में भी वर्ष 2023 में वित्त विभाग से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारियों को वेतन में 5 प्रतिशत वद्धि का लाभ दिए जाने की अनुमति प्राप्त हो गयी थी परन्तु अनुमति उपरांत भी प्रदाय नहीं किया गया। इस प्रकार जब तक वित्त विभाग से अनुमति प्राप्त नहीं होती है तथा जिलों को प्रतिशत वेतन वृद्धि के लिए राशि जारी नहीं होती है तब तक यह मांग अपूर्ण है।

  1. नियमित भर्ती में सीटों का आरक्षण हमारी छठवीं मांग नियमित भर्ती में सीटों का आरक्षण का कार्यकारिणी समिति की बैठक में किसी भी प्रकार से उल्लेख नहीं है और न ही चर्चा हुई है। अतः छठवीं मांग भी अपूर्ण है।
  2. अनुकम्पा नियुक्ति – हमारी सातवीं मांग अनुकम्पा नियुक्ति का कार्यकारिणी समिति की बैठक में किसी भी प्रकार से उल्लेख नहीं है और न ही चर्चा हुयी है। अतः हमारी सातवीं मांग अपूर्ण है।
    8.मेडिकल एवं अन्य अवकाश की सुविधा – हमारी आठवीं मांग के संबंध में कार्यकारिणी समिति की बैठक के एजेंडा क्रमांक 4 में उल्लेख है “राष्टीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत प्रचलित मानव संसाधन नीति 2018 के कंडिका क्रमांक 35.8 दुर्घटना अवकाश में प्रावधानित 30 दिवस का अवैतनिक अवकाश को दुर्घटना गंभीर बीमारी की चिकित्सकीय आवशयकता हेतु मानवीय आधार पर सवैतनिक अवकाश की सैद्धांतिक सहमति दी जाती है।” उक्त संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पत्र क्रमांका एनएचएमएचआर।२०२५/२०२५/ESTB/7626/ 1959 नया रायपुर दिनांक 19/08/2025 के माध्यम से आदेश जारी किया गया है। परन्तु उक्त आदेश की अंतिम पंक्ति में उल्लेख है कि “उक्त अवकाश की स्वीकृति संबंधी प्रक्रिया राज्य स्तर से की जावेगी” यह बिलकुल भी न्यायसंगत नहीं है क्योंकि राज्य के समस्त अधिकारीयों एवं कर्मचारियों के चिकित्सकीय अवकाश का आंकलन जिला मेडिकल बोर्ड करता है. जहाँ पर विभिन्न विशेषज्ञ चिकित्सक पदस्थ है। ज्ञात हो कि मिशन संचालक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय पूर्णतः प्रबंधकीय कार्यालय है। अतः हमारी आठवीं मांग पूर्ण तो की गयी है परन्तु दोहरी मानसिकता वाली नीति के तहत लिया गया यह निर्णय बिलकुल भी न्यायसंगत नहीं है।
    9..स्थानांतरण नीति- हमारी नवमीं मांग के संबंध में कार्यकारिणी समिति की बैठक के एजेंडा क्रमांक 7 में उल्लेख है कि राष्टीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ अंतर्गत मानव संसाधन नीति 2018 के संसोधन हेत राज्य स्तरीय समिति का गठन कर., राज्य में अन्य विभागों के अंतर्गत संचालित परियोजनाओं में नियोजित संविदा मानव संसाधनों हेतु लागु मानव संसाधन नीतियों का अध्ययन कर, मानव संसाधन कल्याण से सम्बंधित नियम संगत एवं तर्क संगत प्रस्ताव हेतु अनुशंसा आगामी कार्यकारिणी समिति की बैठक में प्रसतुत करने के निर्देश दिए गए है।” जिसके आशय में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पत्र क्रमांक। एनएचएम/ एचआर ।२०२५/20२५/ ESTB/7626/ 1961 नया रायपुर दिनांक 1९/08/202५ का प्रसारित हुआ है जिसमे संयुक्त संचालक, राष्ट्रय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ की अध्यक्षता में 8 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है, परन्तू उक्त समिति में छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ के किसी पदाधिकारी को शामिल नहीं किया गया है। अतः हमारी नवमीं मांग के लिए समिति तो गठित कर दी गयी परन्तु जिनकी ये मांग उन्हें ही दरकिनार करते हुए लिया गया यह निर्णय बिलकुल भी न्यायसंगत नहीं है। इसी प्रकार यह मांग भी अधूरा है।
  3. न्यूनतम 0 लाख कैशलेस चिकित्सा बीमा – दसवीं मांग के संबंध में कार्यकारिणी समिति की बैठक के एजेंडा क्रमांक 6 में उल्लेख है कि “राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत नियोजित संविदा मानव संसाधनों को राज्य नोडल एजेंसी के माध्यम से प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) के तहत स्वास्थ्य बीमा योजना लाभ दिए जाने के सन्दभ में पूर्व में आयोजित कार्यकारिणी समिति की बैठक दिनांक २४१०९ /२०१८के एजेंडा क्रमांक १२ के निर्णय में सहमति प्रदान की जा चुकी है। उपरोक्तानुसार कार्यवाही राज्य नोडल एजेंसी के माध्यम ०1 माह के भीतर पूर्ण किये जाने के निर्देश दिए गए” उक्त निर्णय में ही विदित है कि वर्ष 2018 में लिए गए निर्णय को 7 वर्ष पूर्ण हो जाने पर भी लागु नहीं किया गया है उसे एक माह में कैसे लागु करा पाएंगे?? और महत्वपूर्ण बात यह कि स्वास्थ्य विभाग में ही नियमित रूप से कार्यरत मानव संसाधनों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति का प्रावधान है जिसमे वो राज्य एवं अन्य राज्यों में शासन द्वारा अनुबंधित विभिन्न प्रकार के सुपरस्पेशलिटी अस्पतालों में अपना व् अपने परिजनों का इलाज करा सकते है। ज्ञात हो कि राज्य में ही विभिन्न अस्पताल प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से पंजीकत नहीं है जिससे कि राष्टीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत नियोजित संविदा मानव संसाधनों को इलाज कराने में परेशानी होगी व बंधन के दायरे में होंगे। इस प्रकार से एक ही विभाग में दोहरी मानसिकता वाली यह नीति बिलकुल भी न्यायसंगत नहीं है जबकि इ्सी तारतम्य में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रय स्वास्थ्य मिशन को वित्तीय वर्ष 2024- 2026 के लिए जारी ROP में कर्मचारी कल्याण कोष के लिए 5 करोड़ रूपये स्वीकृत है परन्त् डेढ़ वर्ष बीतने के बाद भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा का लाभ लेने से वंचित है। इसी प्रकार यह मांग भी अधूरा है।अतः छत्तीसगढ़ प्रदेश एन एच एम कर्मचारी संघ के प्रमुख 10 मांगो में से मात्र 1 मांग ही पूर्ण हुयी है और 2 मांगे न्यायसंगत तरीके से दोहरी मानसिकता के साथ अधूरे रूप से पूर्ण हुयी है। कुल मिलकर हमारी प्रमुख मांगे नियमितीकरण, पब्लिक हेल्थ कैडर की स्थापना, वेतन वृद्धि आदि आज पर्यन्त तक अपूर्ण है। और शासन प्रशासन द्वारा जितने भी माध्यम से यह भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है उसका हम विरोध करते है।



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