साल 1878… जब अमेरिका में महिलाओं ने अपने अधिकार के लिए उठाई आवाज, जानें इतिहास – भारत संपर्क

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साल 1878… जब अमेरिका में महिलाओं ने अपने अधिकार के लिए उठाई आवाज, जानें इतिहास – भारत संपर्क
साल 1878... जब अमेरिका में महिलाओं ने अपने अधिकार के लिए उठाई आवाज, जानें इतिहास

महिला अधिकारों के लिए अमेरिका में आंदोलन.

26 अगस्त 1920 को अमेरिका के संविधान में 19वां संशोधन करके महिलाओं को वोट का अधिकार दिया गया था. इसके 53 साल के बाद अमेरिकी कांग्रेस ने इसी तारीख को महिला समानता दिवस के तौर पर मनाना शुरू किया. इससे पहले 1878 में भी अमेरिका में महिलाओं के अधिकार के लिए आवाज़ उठाई गई थी और कांग्रेस में एक संवैधानिक संशोधन पेश किया गया था.

अमेरिका के संविधान में 19वां संशोधन महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. यह संशोधन अमेरिकी राज्य और संघीय सरकार को लिंग के आधार पर किसी भी अमेरिकी नागरिक को वोट देने के अधिकार से रोकने से बचाता है.

क्या है इतिहास?

अमेरिका में 19वीं सदी की शुरुआत में महिलाओं को विरासत में संपत्ति नहीं मिल सकती थी. वहीं नौकरी में भी पुरुष की तुलना में उन्हें आधा वेतन मिलता था. इसकी वजह से महिलाओं के लिए अधिकारों और प्रतिनिधित्व की मांग उठी. वहीं 20वीं सदी की शुरुआत में ही न्यूजीलैंड, फिनलैंड और ब्रिटेन समेत कई देशों ने महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दे दिया था.

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बता दें कि अमेरिका के संविधान में 19वां संशोधन पहली बार साल 1878 में ही पेश किया गया था, लेकिन उस समय यह पास नहीं हो सका. हालांकि प्रथम विश्व युद्ध के प्रयास में महिलाओं की भागीदारी के बाद उनका योगदान सबने माना और महिला मताधिकार आंदोलन को जोरदार समर्थन मिला. जो अमेरिका तक की सीमित नहीं रहा बल्कि दुनिया के कई देशों में इसका असर हुआ.

कब तय हुई तारीख?

एक तरफ यूरोप में लोकतंत्र की जंग चल रही थी, दूसरी तरफ अमेरिका में महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित हो रही थीं. हालांकि अमेरिका में संवैधानिक संशोधन के लिए दो-तिहाई राज्यों को अनुमोदन करना होता है. इसलिए 36 राज्यों ने 19वें संशोधन का अनुमोदन किया था. इस संशोधन के पक्ष में निर्णायक वोट टेनेसी विधायिका में हैरी टी. बर्न से आया, जिनकी मां की संशोधन का समर्थन करने की अपील एक निर्णायक बन गई थी.

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इसके बाद 19वें संशोधन के पारित होने की 50वीं सालगिरह पर, राष्ट्रीय महिला संगठन (अब) ने समानता के लिए हड़ताल बुलाया था. कांग्रेस महिला बेला अबजग, जिन्हें बैटलिंग बेला के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने इस हड़ताल के बाद 26 अगस्त की तारीख को महिला समानता दिवस के रूप में नामित करने का प्रस्ताव दिया था.

पहली बार 1973 में मनाया गया ये दिन

वहीं साल 1972 में तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने घोषणा जारी की, जिसने 26 अगस्त को महिला अधिकार दिवस के रूप में नामित किया. जिसके बाद अगस्त 1973 में कांग्रेस ने एचजे रेस. 52 को मंजूरी दी, जिसमें कहा गया था कि 26 अगस्त को महिला समानता दिवस के रूप में मनाया जाएगा. इसी साल पहली बार महिला समानता दिवस मनाया गया था.

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महिला समानता दिवस 2025 का थीम

महिला समानता दिवस 2025 की थीम एम्ब्रेस इक्विटी है. इसको 2021 से 2026 तक की रणनीतिक योजना में शामिल किया जाएगा. यह थीम लैंगिक समानता हासिल करने के महत्व पर जोर देती है. यह न केवल आर्थिक विकास, बल्कि बुनियादी मानवाधिकारों के लिए भी बेहद जरुरी है.

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