प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल बना रहा है चीन, ऐसे काम करता है पूरा सिस्टम – भारत संपर्क

अमेरिका और चीन के वैज्ञानिकों ने एक तकनीक बनाई है जिससे प्लास्टिक के जहरीले कचरे को सीधे पेट्रोल में बदला जा सकता है. ये तकनीक 95 फीसदी ज्यादा असरदार साबित हुई है. सबसे खास बात ये है कि ये प्रक्रिया कमरे के तापमान पर ही हो जाती है, यानी ज़्यादा ऊर्जा या महंगे उपकरणों की जरूरत नहीं पड़ती.
ये पहली बार हुआ है कि मिक्स्ड प्लास्टिक वेस्ट को इतनी आसानी से और इतने असरदार तरीके के साथ पेट्रोल में बदला गया है. वो भी सिर्फ एक बार में और नॉर्मल टेंपरेचर और प्रेशर पर.
कचरे को लायक बनाने की तकनीक
वैज्ञानिकों का कहना है कि ये खोज सर्कुलर इकॉनमी को सपोर्ट करती है यानी कचरे को बर्बाद करने के बजाय उसे दोबारा इस्तेमाल करने के लायक बनाना. इस रिसर्च में अमेरिका के पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी, कोलंबिया यूनिवर्सिटी, जर्मनी की टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख और चीन की ईस्ट चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक जुड़े हुए हैं.
इस तकनीक के फायदे क्या हैं?
इस तरीके से सिर्फ पेट्रोल ही नहीं, बल्कि केमिकल्स और हाइड्रोक्लोरिक एसिड भी बनते हैं. ये सब चीज़ें पानी की सफाई, दवाइयाँ बनाने, खाने-पीने की इंडस्ट्री और पेट्रोलियम सेक्टर में काम आ सकती हैं.
क्यों कारगर है ये तकनीक?
पहला: दुनिया में ज्यादातर प्लास्टिक पॉलीओलेफिन जैसे पॉलीएथिलीन और पॉलीप्रोपाइलीन से बनती है, और लगभग 10% पीवीसी यानी पॉलीविनाइल क्लोराइड से. पीवीसी का इस्तेमाल पाइप, पैकेजिंग, घरेलू सामान, मेडिकल डिवाइस और कपड़ों में होता है.
दूसरा: अब तक प्लास्टिक को जलाने या ईंधन बनाने के लिए पीवीसी को पहले डिक्लोरीनेट करना पड़ता था क्योंकि उसमें से जहरीले गैस निकलते हैं. ये प्रोसेस मुश्किल और बहुत एनर्जी खपाने वाला होता था. नई तकनीक में वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक वेस्ट को लाइट आइसोएल्केन नाम के एक हाइड्रोकार्बन के साथ मिलाया.
तीसरा: टेस्ट में ये पाया गया कि 30°C पर सॉफ्ट पीवीसी पाइप्स 95% तक और हार्ड पीवीसी पाइप्स और वायर 99% तक पेट्रोल में बदल गए. यहां तक कि जब पीवीसी को दूसरे प्लास्टिक के साथ मिलाकर टेस्ट किया गया, तब भी 80°C पर 96% कचरा पेट्रोल में बदल गया. इसका मतलब है कि ये तकनीक मिक्स्ड और गंदे प्लास्टिक वेस्ट को भी संभाल सकती है.