ईरान पर कार्रवाई मतलब जंग को दावत… तो ड्रोन हमले का बदला कैसे लेगा US? | American…
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन. (फाइल फोटो)
जॉर्डन में अमेरिकी बेस पर 28 जनवरी को हुए ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों की मौत और 34 सैनिकों घायल हो गए थे. इस मामले में अमेरिका पर बदले की कार्रवाई करने का भारी दबाव है. राष्ट्रपति जो बाइडेन और अमेरिकी डिफेंस सेक्रेटरी लॉयड ऑस्टिन ने इस हमले का बदला लेने का ऐलान किया है.
पेंटागन इस मामले की जांच में जुटा है कि जार्डन के अमेरिकी बेस पर हमले में ईरान की क्या भूमिका थी. जानकारी की मुताबिक पेंटागन ईरान के साथ सीधे जंग के पक्ष में नहीं है. अमेरिकी रक्षा विभाग का मानना है कि ईरान के ऊपर किसी भी तरह की सीधी कार्रवाई दोनों देशों के बीच जंग में बदल सकती है. बाइडेन प्रशासन पर राजनीतिक दबाव भी चरम पर है.
अमेरिका के 22 बेस पर 2000 सैनिक
कहा जा रहा है कि अमेरिकी सरकार ईरान पर दो तरह के एक्शन पर विचार कर रही है. पहला- ईरान के कुछ सैन्य ठिकानों पर सीमित एवं सटीक स्ट्राइक, दूसरा- ईरानी सेना के टॉप कमांडरों को निशाना बनाया जाए. जॉर्डन पर अमेरिकी हमले के बाद अगर अमेरिका की तरफ से एक्शन नहीं हुआ तो डर इस बात का है कि मध्य-पूर्व में मौजूद दूसरे अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर भी हमले होगें. फिलहाल मध्य-पूर्व के दस देशों में अमेरिका के कुल 64 बेस मौजूद हैं. तुर्की में अमेरिका के दो सैन्य बेस पर कुल 2500 सैनिक मौजूद हैं जबकि सीरिया में अमेरिका के 22 बेस पर 2000 सैनिक हैं.
ईराक में 12 अमेरिकी बेस में कुल 6000 सैनिक मौजूद हैं.जार्डन में अमेरिका के दो बेस में कुल 3000 सैनिक हैं. कुवैत में अमेरिका के 8 सैन्य ठिकानें हैं जहां 13000 अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी बताई जाती है. सऊदी अरब में अमेरिका के पांच बेस पर कुल 3000 सैनिकों की संख्या है. बहरीन में अमेरिका के तीन बेस पर 7000 सैनिकों की मौजूदगी है जबकि कतर में अमेरिका के एक बड़ा बेस है जहां पर 13000 सैनिकों की मौजूदगी है. ईराक के प्रधानमंत्री अपने यहां मौजूद अमेरिकी बेस को जल्द से जल्द खाली करने की लगातार अपील कर रहे हैं.
एयरफोर्स के 350 सैनिक
सीरिया बॉर्डर से सटे जार्डन में मौजूद अमेरिकी ठिकाने पर अमेरिकी सेना और एयरफोर्स के 350 सैनिक तैनात थे. अमेरिका के मुताबिक इस बेस से उस इलाके में मौजूद आईएसआईएस के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. ईरान समर्थित इराकी मिलिशिया गुट ने हमले की जिम्मेदारी ली है जबकि अमेरिकी रक्षा विभाग इस हमले में ईरान का सीधा हाथ मानता है.