हल्दीराम के बाद अब दिग्गज दवा कंपनी सिप्ला बेचने जा रही है…- भारत संपर्क
दिग्गज दवा कंपनी सिप्ला बेचने जा रही है बड़ी हिस्सेदारी
हल्दीराम के बिकने की खबरें एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई हैं. दरअसल, अभी तक कई बार हल्दीराम के बिकने की अफवाह सामने आई है, लेकिन पहली बार ऑफिशियल रूप से 3 बड़ी विदेशी कंपनियों ने इसका पूरा कारोबार खरीदने की बोली लगाई है. हल्दीराम को खरीदने वाली कंपनियों में दुनिया की सबसे बड़ी इक्विटी निवेश कंपनी ब्लैकस्टोन, अबुधाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी और गवर्नमेंट ऑफ सिंगापुर इनवेस्टमेाट कॉरपोरेशन शामिल हैं.
जहां एक तरफ हल्दीराम के बिकने की चर्चाएं चल ही रही थीं कि अब दिग्गज फार्मा कंपनी की भी हिस्सेदारी बेचने की खबरें आने लगीं. दरअसल, दवा बनाने वाली कंपनी सिप्ला आज यानि बुधवार को ब्लॉक डील करने की प्लानिंग बना रही है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि इस बड़ी और सबसे पुरानी कंपनी की कमान किसके हाथों में जाएगी और इसका फार्मा सेक्टर पर क्या असर होगा. क्या दवाओं की कीमतों पर कुछ असर हो सकता है? क्योंकि माना जाता है कि सिप्ला ने ऐसी दवाएं काफी कम कीमत पर मुहैया कराई, जो दूसरी कंपनियां महंगे दामों पर बेचती रहीं हैं.
कितनी हिस्सेदारी बेच सकती है कंपनी
देश की दिग्गज फार्मा कंपनी ब्लॉक डील के तहत कंपनी के प्रमोटर परिवार और ओकासा फार्मा 2.53 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच सकते हैं. यह 2,637 करोड़ रुपये की डील होगी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिस कीमत पर सिप्ला ब्लॉक डील होने की उम्मीद है वह 1289.50-1357.35 रुपये के बीच है. यह कोटक सिक्योरिटीज ब्लॉक डील का एकमात्र ब्रोकर है. ब्लॉक ट्रेड के बाद सेलर्स के लिए 90 दिनों का लॉक-इन पीरियड है.
जानकारी के अनुसार, यह ब्लॉक डील 1,289.5 से 1,357.35 रुपये प्रति शेयर के दायरे में हो सकती है. यह मंगलवार के क्लोजिंग प्राइस 1,358.20 रुपये से करीब 5% की छूट पर है. मनीकंट्रोल के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2024 के अंत में, सिप्ला में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 33.47% थी. वहीं, म्यूचुअल फंड ने जनवरी-मार्च तिमाही में अपनी हिस्सेदारी 16.66% से बढ़ाकर 16.83% कर ली है. इसके अलावा, FII या FPI ने भी अपनी हिस्सेदारी इसी तिमाही में 25.73% से बढ़ाकर 25.82% कर ली है.
ये है स्ट्रेटेजी
अपने फाइनेंशियल रिजल्ट के साथ-साथ, दवा कंपनी ने भारत में वजन घटाने के सेक्टर में उतरने की अपनी स्ट्रेटेजिक मंशा का भी खुलासा किया. कंपनी मोटापे से निपटने के समाधान की बढ़ती मांग को भुनाने की कोशिश कर रही है. सिप्ला जहां खुद एक मोटापा रोधी दवा पर काम कर रही है, वहीं यह भारतीय बाजार में अमेरिकी दवा निर्माता एली लिली की वजन घटाने वाली दवाओं को बेचने के लिए भी तैयार है. गौरतलब है कि सिप्ला की पहले से ही एली लिली के साथ देश में उनकी डायबिटीज की दवाओं को बेचने और बढ़ावा देने के लिए पार्टनरशिप कर चुकी है.
ये कंपनी दिखा चुकी है दिलचस्पी
ET के मुताबिक, टॉरेंट फार्मा ने सिप्ला में अन्य पारिवारिक हिस्सेदारी खरीदने पर दिलचस्पी दिखाई थी. रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद स्थित टोरेंट ने एक कंसोर्टियम में माइनोरिटी हिस्सेदारी के लिए एडवेंट इंटरनेशनल, बेन कैपिटल, वारबर्ग पिंकस और सीवीसी कैपिटल सहित कई पीई फंडों से संपर्क किया है. बुधवार को ब्लॉक डील की तारीख का ऐलान होने के बाद खरीदारों का खुलासा हो जाएगा.
कैसे रहे तिमाही नतीजे
मार्च तिमाही में सिप्ला लिमिटेड का प्रॉफिट 78.7 प्रतिशत बढ़कर 931.87 करोड़ रुपये हो गया. सिप्ला ने शेयर बाजार को दी गई एक सूचना में कहा कि एक साल पहले की अवधि में उसका प्रॉफिट 521.51 करोड़ रुपये रहा था. तिमाही में परिचालन आय 6,163.24 करोड़ रुपये रही, जो एक साल पहले की समान अवधि में 5,739.3 करोड़ रुपये थी. वित्त वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में सिप्ला का कुल खर्च 5,153.31 करोड़ रुपये रहा जबकि वित्त वर्ष 2022-23 में यह 4,946.14 करोड़ रुपये था.
समूचे वित्त वर्ष 2023-24 में सिप्ला का मुनाफा 4,153.72 करोड़ रुपये रहा जो वित्त वर्ष 2022-23 में 2,832.89 करोड़ रुपये था. इस दौरान कंपनी की परिचालन आय भी बढ़कर 25,774.09 करोड़ रुपये हो गई जबकि साल भर पहले यह 22,753.12 करोड़ रुपये थी