आईएमएफ के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भारत का लोहा, लगाया ये…- भारत संपर्क

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आईएमएफ के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भारत का लोहा, लगाया ये…- भारत संपर्क
आईएमएफ के बाद संयुक्त राष्ट्र ने भारत का लोहा, लगाया ये अनुमान

यूएनसीटीएडी के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था के 2024 में 6.5 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है.

दुनिया की इकोनॉमिक ग्रोथ का लोहा दुनिया की हरेक एजेंसी मान रही है. एक दिन पहले इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान लगाया था और कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तेज इकोनॉमी बना रहेगा. कुछ ऐसा ही अनुमान संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भी लगाया गया है. ये अनुमान साल 2024 के लिए है. भारत की दूसरी ओर तीसरी तिमाही के लिए भारत की ग्रोथ रेट सभी अनुमानों से बेहतर रही थी. तीसरी तिमाही में तो ग्रोथ का आंकड़ा 8 फीसदी से ऊपर पहुंच गया था. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र ने कितना अनुमान लगाया है.

कितनी रह सकती है ग्रोथ

भारत की इकोनॉमी के 2024 में 6.5 फीसदी बढ़ने का अनुमान है. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई. रिपोर्ट में कहा गया कि मल्टी नेशनल कंपनीज अपनी सप्लाई चेन में विविधता लाने के लिए देश में अपनी मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस का विस्तार कर रही हैं, जिसका भारतीय निर्यात पर पॉजिटिव असर देखने को मिलेगा. संयुक्त राष्ट्र व्यापार व विकास (यूएनसीटीएडी) ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत 2023 में 6.7 फीसदी की दर से बढ़ा और 2024 में 6.5 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद है. यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी.

स्ट्रांग डिमांड से मिला फायदा

रिपोर्ट में कहा गया कि 2023 में विस्तार, मजबूत सार्वजनिक निवेश परिव्यय के साथ-साथ सेवा क्षेत्र की जीवंतता से प्रेरित रहा. इसे उपभोक्ता सेवाओं के लिए मजबूत स्थानीय मांग और देश की व्यावसायिक सेवाओं के निर्यात के लिए मजबूत बाहरी मांग से फायदा मिला. रिपोर्ट में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा विनिर्माण आधार के रूप में भारत का अधिक रुख करने की बात पर भी ध्यान दिया गया क्योंकि वे अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता ला रहे है.

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विदेशी कंपनियों के निवेश से फायदा

विश्व निकाय में पिछले हफ्ते पेश 2024 फाइनेंसिंग फॉर सस्टेनएबल डेवल्पमेंट रिपोर्ट: फाइनेंसिंग फॉर डेवल्पमेंट एट ए क्रोसरोड में कहा गया था कि दक्षिण एशिया, खासकर भारत में निवेश मजबूत बना हुआ है. इसमें प्रत्यक्ष रूप से बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती रुचि से भारत को फायदा मिल रहा है. चीन के संदर्भ में कहा गया कि वे विकसित अर्थव्यवस्थाओं की आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण रणनीतियों के संदर्भ में भारत को एक वैकल्पिक विनिर्माण आधार के रूप में देखते हैं.

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