Alaska Story: जिस अलास्का में ट्रंप से मिलने जा रहे पुतिन, उसे रूस ने 72 लाख डॉलर में… – भारत संपर्क


अलास्का की पूरी कहानी (Photo- Alaska)
15 अगस्त, शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाक़ात होने जा रही है, जिसमें यूक्रेन युद्ध को कैसे ख़त्म किया जाए इस पर चर्चा होनी है. ट्रंप ने हफ्तेभर पहले इस बैठक का एलान किया था. साथ ही रूस को चेतावनी दी थी कि अगर रूस ने यूक्रेन में युद्धविराम पर सहमति नहीं दी, तो फिर उसे और ज़्यादा अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है.
ट्रंप के आग्रह के बाद रूस और यूक्रेन के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है, मगर अब तक दोनों पक्षों को शांति के क़रीब लाने में ये कोशिश नाकाम रही है. ट्रंप और पुतिन की मुलाकात अलास्का के एंकोरेज में होनी है. दोनों नेताओं की मेज़बानी जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ़-रिचर्डसन में होगी, जो अलास्का का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है. 64,000 एकड़ में फैला यह बेस आर्कटिक इलाके में अमेरिकी सैन्य तैयारियों का एक बेहद अहम केंद्र है.
लेकिन क्या आपको मालूम है कि जिस अलास्का में ट्रम्प और पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात हो रही है, वो एक वक्त रूस का हुआ करता था? सोचिए, अगर रूस ने ये इलाका न बेचा होता तो आज अमेरिका का सबसे बड़ा राज्य किसका होता? क्या इस मुलाकात के पीछे इतिहास की कोई छुपी हुई चाल है? चलिए, जानते हैं अलास्का की पूरी कहानी एक ऐसी दास्तां जिसमें राजनीति, रणनीति और अरबों डॉलर की डील छुपी है!
रूसी अलास्का का उदय
अठारहवीं सदी में साइबेरिया से आगे रूस का साम्राज्य फैल चुका था. साल 1741 में रूसी खोजकर्ता विटस बेरिंग पहली बार अलास्का पहुंचे. यहां फर यानी जानवरों की खाल का कारोबार शुरू हुआ सील, ऊदबिलाव और दूसरे जानवरों की खाल के लिए रूसी व्यापारी आए.
सिटका यहां की राजधानी बनी, लेकिन अलास्का रूस से काफी दूर था. जब भी कोई संकट आता, मदद पहुंचने में महीनों लग जाते थे. 1850 के दशक में क्रीमियन युद्ध के दौरान ब्रिटिश नौसेना ने रूसी बस्तियों पर हमला किया. रूस को समझ आ गया कि इतने दूर के इलाके को संभालना आसान नहीं है.
जब रूस ने अलास्का बेच दिया
फिर रूस के जार अलेक्जेंडर द्वितीय के सामने एक बड़ी दुविधा खड़ी हुई अलास्का पर खर्चा बढ़ता जा रहा था, और बिजनेस घट रहा था. डर था कि ब्रिटेन से जंग हुई तो ये इलाका वैसे भी हाथ से निकल जाएगा. ऐसे में रूस ने अमेरिका से बातचीत शुरू की. अमेरिकी विदेश मंत्री विलियम सेवार्ड का मानना था कि अलास्का अमेरिका के लिए गेटवे टू एशिया बन सकता है.
30 मार्च 1867 को रातभर चली डील के बाद रूस ने 15 लाख 70 हजार वर्ग किलोमीटर का ये इलाका सिर्फ 72 लाख डॉलर में अमेरिका को बेच दिया! यानी एक एकड़ जमीन के लिए उस वक्त रूस को सिर्फ 2 सेंट मिले थे!
उधर, अमेरिका में इस डील का मजाक उड़ाया गया इसे “सेवार्ड्स फॉली” कहा गया. लोगों को लगा, बर्फीली जमीन खरीदकर अमेरिका ने बेवकूफी की है.
छुपा खजाना: सोना, तेल और सामरिक ताकत
मगर किसे पता था कि कुछ ही सालों में अलास्का सोने की खान बन जाएगा! 1896 में क्लोंडाइक गोल्ड रश ने हजारों लोगों को यहां खींचा. फिर 20वीं सदी में तेल और गैस के भंडार मिले. आज अलास्का अमेरिका के ऊर्जा भंडारों का सबसे बड़ा स्रोत है.
सिर्फ खनिज ही नहीं, अलास्का की भौगोलिक स्थिति भी बेहद अहम है ये अमेरिका और रूस के बीच महज 85 किमी की दूरी पर है. शीत युद्ध के दौरान यहां अमेरिकी मिलिट्री बेस बने. आज भी यहां से रूस की हर गतिविधि पर नजर रखी जाती है.
अलास्का का रणनीतिक महत्व: आज और कल
अलास्का की सीमाएं आर्कटिक सर्कल से मिलती हैं यानी ये उत्तरी ध्रुव के काफी करीब है. आर्कटिक में बर्फ पिघलने के साथ ही नए समुद्री रास्ते खुल रहे हैं और तेल-गैस की दौड़ तेज हो गई है। रूस, अमेरिका, चीन सबकी नजर यहां की नई संभावनाओं पर हैं.
आज अलास्का अमेरिकी एयरफोर्स और नेवी की अहम पोस्ट है. यहां से पूरे आर्कटिक और रूस की सीमाओं पर नजर रखी जाती है. यही वजह है कि जब भी अमेरिका-रूस के रिश्तों में कोई बड़ी हलचल होती है, अलास्का चर्चा में आ जाता है।
ट्रम्प-पुतिन की मुलाकात: क्या है इसके मायने?
साल 2025 में हो रही, ये ट्रम्प-पुतिन की मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक बैठक नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए संकेत है कि अमेरिका-रूस के रिश्तों में नया मोड़ आ सकता है. अलास्का का चुनाव सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश है. दोनों देशों के नेता यहां मिलकर आर्कटिक, ऊर्जा, सैन्य संतुलन और नई तकनीक पर चर्चा करेंगे.
मगर अब सवाल ये भी है कि क्या रूस को कभी अफसोस होता है कि उसने अलास्का बेच दिया? इतिहासकार मानते हैं कि आज रूस के पास अलास्का होता तो उसकी आर्कटिक पॉलिसी और ज़्यादा मजबूत होती. वहीं, अमेरिका के लिए अलास्का ऊर्जा, सुरक्षा और भू-राजनीति का सबसे अहम मोहरा है.
क्या भविष्य में बदल सकता है अलास्का का रोल?
ऐसा माना जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन, आर्कटिक की नई दौड़ और वैश्विक राजनीति इन सबके बीच अलास्का की अहमियत और बढ़ने वाली है. क्या आने वाले समय में अमेरिका और रूस के बीच टकराव या सहयोग की नई कहानी यहीं से शुरू होगी? क्या ट्रम्प-पुतिन की ये मुलाकात इतिहास की किसी नई डील की तरफ इशारा है?