नौकरी, पुनर्वास और मुआवजे के पेंच में फंसी अंबिका खदान, अब…- भारत संपर्क
नौकरी, पुनर्वास और मुआवजे के पेंच में फंसी अंबिका खदान, अब तक शुरू नहीं हो सकी है परियोजना
कोरबा। एसईसीएल की योजना कोरबा एरिया से ही विकासखंड पाली क्षेत्र में प्रस्तावित अंबिका खदान को खोलने की है। कंपनी की योजना इस वित्तीय वर्ष में यहां से कोयला खनन शुरू करने की थी। यहां से सालाना 25 हजार टन कोयला बाहर निकालने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन अभी तक यह खदान चालू नहीं हो सकी है। नौकरी, पुनर्वास और मुआवजे के पेंच में खदान फंसी हुई है। खदान से प्रभावित होने वाले लोग पहले अपनी समस्या के समाधान की मांग कर रहे हैं। इसके बाद खनन के लिए राजी होने की बात कह रहे हैं। इससे अंबिका कोयला खदान उत्पादन में नहीं आ रहा है हालांकि कोयला कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि सारी अड़चनों को दूर कर खदान को खोलने की कोशिश चालू सत्र में की जा रही है। कोरबा एरिया के अंतर्गत 8 खदानें चल रही है इसमें लगभग 4 हजार कर्मचारी नियोजित हैं। वर्तमान में मानिकपुर और सरईपाली ओपनकास्ट खदान ही उत्पादन को लेकर साथ दे रहा है। मानिकपुर अपने लक्ष्य से ज्यादा खनन कर रहा है। इससे प्रबंधन राहत महसूस कर रहा है। चालू वित्तीय वर्ष में मानिकपुर से 5 लाख 25 हजार टन कोयला बाहर निकल रहा है। अभी तक यहां से 2 लाख 78 हजार टन कोयला बाहर निकाला जा चुका है। वहीं सरईपाली से पौने दो लाख टन कोयला खनन का लक्ष्य रखा गया है। लगभग एक लाख टन कोयला बाहर आ चुका है। इन दो खदानों को छोडक़र कोरबा एरिया के अंतर्गत चलने वाली 6 भूमिगत खदानें साथ नहीं दे रही है। इस बीच रजगामार में कंटीन्यूअस माइनर मशीन उतार कर कोयला उत्पादन बढ़ाने की योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही है। पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार रजगामार में इस साल कंटीन्यूअस माइनर मशीन खदान के भीतर उतर जाना चाहिए था लेकिन अभी तक मशीन को लेकर कोई स्पष्ट रूख प्रबंधन का सामने नहीं आ रहा है। अफसर यह नहीं बता पा रहे हैं कि खदान में माइनर कटर मशीन कब तक लगेगी। इतना जरूरी कह रहे हैं कि कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ने रजगामार में माइनर कटर मशीन लगाने का निर्णय लिया है और इसे पूरा किया जाएगा। उम्मीद है कि अगले साल इस मशीन को खदान के भीतर उतारा जाएगा। गौरतलब है कि रजगामार 4 और 5 नंबर खदान से निकलने वाले कोयले की गुणवत्ता अच्छी है। इसमें कार्बन की मात्रा ज्यादा होने के कारण कंपनी इस खदान से कोयला खनन जारी रखना चाहती है लेकिन वर्तमान परिस्थितियां कंपनी के लिए मुश्किल भरा हो रहा है। चालू वित्तीय वर्ष में रजगामार से 30 हजार टन कोयला खनन का लक्ष्य रखा गया है लेकिन वर्तमान में इस खदान से महज 6 हजार टन ही कोयला बाहर निकला है। नवंबर का पहला पखवाड़ा बीत गया है लेकिन यहां से एक टन कोयला भी इस महीने बाहर नहीं आया है जबकि लक्ष्य तक पहुंचने के लिए नवंबर में रजगामार से 1047 टन कोयला बाहर निकलना चाहिए था। कोल इंडिया की ओर से जारी किए गए आंकड़ों से स्पष्ट हुआ है कि यह खदान 100 फीसदी निगेटिव ग्रोथ में है।